जलालाबाद सीट से 2012 में सुखबीर बादल ने दर्ज की बड़ी जीत, तीन बार सीपीआइ भी रही विजेता

वर्ष 2017 में आप व कांग्रेस ने शिअद के किले को भेदने के लिए बड़े चेहरों को यहां से चुनाव लड़वाया। आप के भगवंत मान और कांग्रेस के रवनीत बिट्टू यहां से चुनाव लड़े। बेहद कड़े मुकाबले में सुखबीर बादल यहां से विजेता रहे।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Tue, 18 Jan 2022 04:57 PM (IST) Updated:Tue, 18 Jan 2022 04:57 PM (IST)
जलालाबाद सीट से 2012 में सुखबीर बादल ने दर्ज की बड़ी जीत, तीन बार सीपीआइ भी रही विजेता
जलालाबाद सीट से शिअद के अध्यक्ष सुखबीर बादल पिछले चार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। पुरानी फोटो

मोहित गिल्होत्रा, फाजिल्का। जिले की जलालाबाद सीट हमेशा एक हाट सीट रही है। यहां से शिअद के अध्यक्ष सुखबीर बादल पिछले चार विधानसभा चुनाव से जीतते रहे हैं। इस कारण अन्य पार्टियों की कोशिश होती है कि वह अपने किसी बड़े चेहरे को उनके समक्ष खड़ा करें ताकि उनके गढ़ में सेंध लगाई जा सके। उपचुनाव को छोड़कर पिछले 12 वर्षों से यहां शिअद जीतती आ रही है। इस बार भी कांग्रेस व भाजपा जलालाबाद से बड़े चेहरे को उतारने की योजना बना रही हैं। जलालाबाद के अब तक के इतिहास की बात करें तो यहां उपचुनावों को मिलाकर चार-चार बार कांग्रेस व शिअद विजेता रही हैं। कम्युनिस्ट पार्टी को भी तीन बार जीत मिली है। 

पिछले चार विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर

2007 में शिअद के उम्मीदवार की जीत के बाद 2012 में सुखबीर बादल ने यहां चुनाव लड़ा। तब कांग्रेस को दो बार जीत दिलवाने वाले हंसराज जोसन को टिकट नहीं मिला तो वह आजाद उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में उतरे। इसके बावजूद सुखबीर बादल ने भारी मतों से इसमें जीत हासिल की। जबकि 2017 में आप व कांग्रेस ने शिअद के किले को भेदने के लिए बड़े चेहरों को यहां से चुनाव लड़वाया। आप के भगवंत मान और कांग्रेस के रवनीत बिट्टू यहां से चुनाव लड़े। बेहद कड़े मुकाबले में सुखबीर बादल यहां से विजेता रहे।

साल 2019 के उपचुनाव में भले ही सुखबीर बादल उम्मीदवार का चेहरा नहीं बन सकते थे, लेकिन यहां से खड़े होने वाले उम्मीदवार को हराना मुश्किल था। लेकिन कांग्रेस ने रमिंद्र आंवला को टिकट थमाई और उन्होंने भी पार्टी को जीत दिलवा शिअद के गढ़ में सेंध लगाई। अब एक बार फिर से यहां सुखबीर बादल के चुनाव लड़ने से मुकाबला कड़े होने की उम्मीद है।

सुखबीर ने हासिल की थी सबसे बड़ी जीत

सबसे छोटी जीत की बात करें तो साल 1992 में हंसराज जोसन ने 2888 वोटों से जीत हासिल की थी। वहीं, साल 2012 में सुखबीर सिंह बादल यहां से 50,000 वोटों के अंतर से जीते थे। वर्ष 1977 में सीपीआई के उम्मीदवार को जीत हासिल हुई थी। अगले चुनाव में भी वहीं उम्मीदवार जीत हासिल करने में कामयाब हुआ। लेकिन कांग्रेस के उम्मीदवार ने 1980 में जीत हासिल करते हुए सीपीआई पार्टी की जीत का सिलसिला तोड़ा। लेकिन अगले ही चुनाव 1985 में एक बार फिर से सीपीआई ने जीत हासिल की।

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