सिविल अस्पताल में आयुष्मान योजना का नहीं मिल रहा लाभ, बाहर से लानी पड़ रही दवाइयां Jalandhar News

मरीजों को इलाज के दौरान दवाइयां खुद बाजार से खरीदनी पड़ रही हैं। मरीजों पर पड़ रहे अतिरिक्त आर्थिक बोझ के मामले में अस्पताल प्रशासन साफ पल्ला झाड़ रहा है।

By Sat PaulEdited By: Publish:Sat, 21 Dec 2019 09:36 AM (IST) Updated:Sat, 21 Dec 2019 09:36 AM (IST)
सिविल अस्पताल में आयुष्मान योजना का नहीं मिल रहा लाभ, बाहर से लानी पड़ रही दवाइयां Jalandhar News
सिविल अस्पताल में आयुष्मान योजना का नहीं मिल रहा लाभ, बाहर से लानी पड़ रही दवाइयां Jalandhar News

जालंधर, जेएनएन। गरीब लोगों की स्वास्थ्य सेवा के लिए केंद्र व राज्य सरकार की ओर से चलाई गई आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना के तहत मरीजों का इलाज करने पर सिविल अस्पताल को 36 लाख रुपये की राशी अदा करने के बावजूद मरीजों की जेब कट रही है। मरीजों को इलाज के दौरान दवाइयां खुद बाजार से खरीदनी पड़ रही हैं। मरीजों पर पड़ रहे अतिरिक्त आर्थिक बोझ के मामले में अस्पताल प्रशासन साफ पल्ला झाड़ रहा है।

सिविल अस्पताल के जच्चा-बच्चा सेंटर में आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना के दायरे में आने वाली गर्भवतियों के प्रसव करने पर बीमा कंपनी की ओर से पैकेज के आधार पर अदायगी की जा रही है। कंपनी से बिल वसूलने के बावजूद अस्पताल प्रशासन मरीजों से दवाइयां मंगवा रहा है। जच्चा-बच्चा सेंटर में प्रसव से बच्चेदानी में पानी होने की वजह से आने वाली गर्भवतियों को अमिनो एसिड नाड़ी के माध्यम से चढ़ाया जाता है। रोजाना इस तरह के दो तीन गंभीर मरीज अस्पताल आ रहे हैं।

प्रत्येक मरीज को कम से कम चार से छह बोतल चढ़ जाती है। मरीज बाजार से प्रत्येक बोतल की कीमत 450 रुपये से 500 रूपये में खरीद रहे हैं। पूरे इलाज में मरीज पर करीब दो हजार रुपये का बोझ पड़ रहा है। जच्चा बच्चा विभाग में तैनात स्टाफ के अनुसार उक्त दवा की बार बार डिमांड भेजी गई परंतु दवा की सप्लाई नही आई। अस्पताल में रोजाना आयुष्मान योजना का लाभ उठाने के लिए औसतन 15 मरीज आ रहे हैं। इनमें 70 फीसद जच्चा बच्चा स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने वाले हैं।

बाहर से खरीदनी पड़ रही दवाइयां

सिविल अस्पताल के जच्चा बच्चा वार्ड में आयुष्मान सरबत सेहत बीमा योजना के तहत दाखिल मरीज निर्मला देवी निवासी अनूप नगर के परिजनों ने बताया कि निर्मला की हालत खराब होने पर उसे सिविल अस्पताल में दाखिल करवाया था। डॉक्टरों ने बच्चेदानी में पानी कम होने की बात कही। उन्होंने दवा लिख कर दी जो उन्हें बाजार से खरीदनी पड़ी। उन्होंने छह बोतल खरीदी जिसके लिए उन्हें करीब दो हजार रुपये कीमत अदा करनी पड़ी।

एमिनो एसिड की सप्लाई अस्पताल में नहीं है। सस्ते दाम पर जन औषधि सेंटर में इसका स्टॉक रखवाया गया है। मरीजों को वहां भेजने की स्टाफ को हिदायतें दी जाएंगी। आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना के तहत अगर मरीज दवाइयां खरीदते हैं तो मेडिकल सुपरिंटेंडेंट से आवेदन कर बिलों के भुगतान का प्रावधान है।

-डॉ. गुरिंदर बीर कौर, एसएमओ , सिविल अस्पताल।

समस्या गंभीर है। जच्चा बच्चा सेंटर में प्रसव करवाने वाली किसी भी महिला से दवा बाहर से नही मंगवानी चाहिए। आयुष्मान भारत सरबत सेहत बीमा योजना के मरीजों के मामले को लेकर विभाग काफी सख्त है। इस समस्या का अस्पताल की मेडिकल सुपरिंटेंडेंट के साथ बैठक कर समाधान करेंगे।

-डॉ. गुरिंदर कौर चावला, सिविल सर्जन। 

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