अब किडनी डैमेज के खतरे से बचना होगा आसान, यूं टेस्‍ट कराना होगा सुविधाजनक

अब किडनी डैमेज के खतरे का पता लगाना और इससे बचना आसान होगा। यूरीनरी ट्रेक्ट (मूत्रमार्ग) में इन्फेक्शन का आसान टेस्‍ट से पता लगाया जा सकेगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Thu, 10 Jan 2019 11:43 AM (IST) Updated:Thu, 10 Jan 2019 09:01 PM (IST)
अब किडनी डैमेज के खतरे से बचना होगा आसान, यूं टेस्‍ट कराना होगा सुविधाजनक
अब किडनी डैमेज के खतरे से बचना होगा आसान, यूं टेस्‍ट कराना होगा सुविधाजनक

जालंधर, [मनीष शर्मा]। अब किडनी डैमेज के खतरे से बचना आसान होगा। इसकी जांच और उसकी रिपोर्ट प्राप्‍त करना सरल व सुविधाजनक होगा। यूरीनरी ट्रेक्ट (मूत्रमार्ग) में इन्फेक्शन और उसके इलाज में कौन सा एंटीबायोटिक काम करेगा, यह जानने के लिए मरीज को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। यह प्रक्रिया अब छह घंटे में पूरी होगी। इससे पहले इसके लिए कल्चर टेस्ट होता था और रिपोर्ट के लिए दो दिन का इंतजार करना पड़ता था।

बस छह घंटे में मिलेगी यूरीनरी ट्रेक्ट इन्फेक्शन रिपोर्ट, घटेगा किडनी डैमेज का खतरा

यह संभव होगा रेपिडोग्राम किट से। जिसे केरल के त्रिवेंद्रम स्थित श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट््यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। किट के सफल ट्रायल के बाद अब इसके प्रोडक्शन के लिए यह खोज कंपनियों को ट्रांसफर की जा रही है।

रेपिडोग्राम किट के बारे में जानकारी देते साइंटिस्ट डॉ. छवि गुप्ता और डॉ. पवन कुमार श्रीवास।

लवली प्रोफेशनल यूनीवर्सिटी में 106वीं इंडियन साइंस कांग्रेस में इसे प्रदर्शित किया गया था। इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक डॉ. अनुग्या भट्ट, डॉ. छवि गुप्ता व डॉ. पवन कुमार श्रीवास ने बताया कि यह एंटीबायोटिक सेंसेटिविटी किट है। इसके दाम भी मौजूदा टेस्ट के मुकाबले आधे होंगे और इससे घर पर खुद भी संक्रमण की जांच की जा सकेगी।

प्राइमरी हेल्थ सेंटरों के लिए तैयार की सस्ती किट, घर बैठे भी कर सकेंगे जांच

उन्‍होंने बताया कि यह किट प्राइमरी हेल्थ सेंटरों की जरूरत को देखते हुए तैयार की गई है ताकि लोगों को महंगा खर्चा कर बड़े अस्पतालों में जाने को मजबूर न होना पड़े। वैज्ञानिक डॉ. नरेश ने बताया कि वैज्ञानिक डॉ. मायानंद कुमार की अगुवाई में इस किट को बनाया गया है। जो इन्फेक्शन की जांच के साथ उसके इलाज के बारे में भी बताएगी।

ऐसे काम करेगी किट
वैज्ञानिक डॉ. छवि गुप्ता के मुताबिक इस किट में 12 कॉमन एंटीबायोटिक शामिल किए हैं। अगर किसी को यूटीआई की जांच करनी हो तो वह यूरीन सैंपल लेकर किट में डाल दे और एंटीबायोटिक के रंग बदलने के लिहाज से छह घंटे के भीतर रिजल्ट मिल जाएगा कि संक्रमण है या नहीं और उसे फैला रहे बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए कौन सा एंटीबायोटिक लेना चाहिए। खासकर, महिलाओं में यह बीमारी ज्यादा होती है, इसलिए प्राइमरी हेल्थ सेंटर स्तर या फिर घर में जांच व इलाज डिटेक्ट करने की यह आसान सुविधा उनके लिए काफी लाभदायक साबित होगी।
खून का इंजेक्शन, वेन व्यूअर भी बना चुका इंस्टीट्यूट
केरल स्थित यह सरकारी इंस्टीट्यूट जंग के वक्त जख्मी होने वाले सैनिकों के खून के बहाव को रोकने के लिए भी इंजेक्शन बना चुका है। डॉ. अनुग्या भट्ट के मुताबिक यह इंजेक्शन खून के कंपोनेंट्स फाइब्लोजन व थ्रोमबिन से तैयार किया गया है। दोनों को एक साथ लगाने पर खून बहने वाली जगह पर चंद सेकेंड में ही खून का थक्का बन जाता है।

इसके अलावा छोटे बच्चों के कोमल शरीर में इंजेक्शन लगाने की जरूरत पडऩे पर नसें ढूंढने के लिए वेन व्यूअर भी वो बना चुके हैं। वहीं, प्री-मेच्योर बच्चों के लिए इंस्टीट्यूट इन्फेंट वार्मिंग रैपर भी बना चुका है। अभी ऐसे बच्चों को महंगे इन्क्यूबेटर में रखना पड़ता है। इसकी कीमत सिर्फ 10 हजार है, जो इन्क्यूबेटर से लगभग 6-7 गुना सस्ता है। इसे तीन से चार महीने तक इस्तेमाल किया जा सकता है।

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