ये हैं पंजाब के नन्हे वैज्ञानिक, पराली को जलने से बचाएगा इनका माडल, मंगल पर जीने की राह भी दिखाई

पंजाब के अमृतसर स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों ने विज्ञान के ऐसे माडल तैयार किए हैं जो उपयोगी साबित हो सकते हैं। इन विद्यार्थियों को डा. रेशम शर्मा ने प्रेरित किया और उनके निर्देशन में उन्होंने माडल तैयार किए।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 28 Feb 2022 01:46 PM (IST) Updated:Mon, 28 Feb 2022 01:46 PM (IST)
ये हैं पंजाब के नन्हे वैज्ञानिक, पराली को जलने से बचाएगा इनका माडल, मंगल पर जीने की राह भी दिखाई
स्टबल वेस्ट मैनेजमेंट मॉडल के साथ विद्यार्थी रचित मेहरा व वासु मेंटर डा. रेशम शर्मा के साथ। फोटो सौजन्य: रचित

अखिलेश सिंह यादव, अमृतसर। अगर कुछ करने की इच्छा हो तो इसमें उम्र बाधा नहीं होती। छोटी उम्र से ही बच्चों में प्रतिभा होती है। बस इसे निखारने की जरूरत होती है। अमृतसर स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल में डा. रेशम शर्मा बच्चों की प्रतिभा निखार रहे हैं और उन्हें जीवनोपयोगी माडल बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। यहां के विद्यार्थी अब तक कई माडल बना चुके हैं। 

पराली से जिंदगी होगी आसान

पराली के धुएं से पैदा होने वाली बेहद गंभीर बीमारियों को दूर करने का रास्ता नन्हे वैज्ञानिकों ने सुझाया है। इन वैज्ञानिकों के अनुसार पराली का सदुपयोग कर किसान स्वयं को आर्थिक रूप से संपन्न बना सकते हैं। नन्हे वैज्ञानिक छात्र वासु मेहरा, हेमंग गुप्ता व रचित अग्रवाल डीएवी पब्लिक स्कूल में पढ़ते हैं। इन तीनों ने अपना लाजवाब स्टबल वेस्ट मैनेजमेंट माडल मेंटर डा. रेशम शर्मा की देखरेख में तैयार किया है।

पराली को जलाने से बचाने के लिए पुलिस की मदद से ऐसे सेंसर को विकसित करने में महारत हासिल की है कि जब भी कोई खेत में पराली को आग लगाए तो उसका मैसेज सेलफोन पर मिल जाएगा। इससे प्रशासन पराली को जलाने से बचा पाएगा और किसान को दंडित करने के साथ साथ पर्यावरण की संभाल हो पाएगी।

डा. रेशम शर्मा ने बताया कि विद्यार्थियों ने यही एक प्रयास किया है। किसानों को पराली को जलाने के बजाय बेचने की प्रवृत्ति विकसित करनी होगी। पराली से बाइंडिंग, पैकिंग पेपर बनाया जा सकता है। साथ ही साथ पराली से ईंट बन सकती है। इस ईंट से प्रत्येक मौसम का तापमान मेंटेन किया जा सकता है। पराली से चारा भी बना कर विद्यार्थियों ने अपने माडल में दिखाया है।

एस्ट्रो क्लाउड फार फार्मिंग मॉडल के साथ विद्यार्थी कृतिन, अनिकेत व कृष्णा। फोटो सौजन्य: कृतिन

एस्ट्रो क्लाउड फार फार्मिंग मॉडल ने सिखाया मार्स पर खेती का गुर

मंगल ग्रह यानी मार्स पर जीवन उपयोगी वस्तुओं का सृजन किस प्रकार करना है, यह बताया है डीएवी पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों कृतिन, अनिकेत व कृष्णा ने। यह तीनों बारहवीं कक्षा के विद्यार्थी हैं। इन्होंने एस्ट्रो क्लाउड फार फार्मिंग माडल तैयार कर मार्स पर जीवन उपयोगी वस्तुओं की खेती की राह दिखाई है।

इस माडल ने 2022 में अटल इनोवेशन मिशन, इसरो और सीबीएसई की ओर से आयोजित स्पेस प्रतियोगिता में भी अपना जमकर लोहा मनवाया। माडल का थीम स्पेस इनोवेशन था। इन बच्चों ने अपने माडल के जरिये मार्स में रहने की संभावना तलाशी। विभिन्न फसलों को वहां की मिट्टी में कैसे उगाया जाना है। पृथ्वी अनुकूल वातावरण कैसे तैयार कर उसकी मिट्टी उपयोगी बनानी है। यह सब उन्होंने माडल में बताया है।

बच्चों ने एक माडल का छोटा मिनीएचर तैयार किया है। मेंटर डा. रेशम शर्मा ने बताया कि बच्चों ने अपने माडल में एक चैंबर बनाया, जिसमें रेडिएशन प्रवेश नहीं कर सकती है। धरती का वातावरण तैयार करके वहां पर खेतीबाड़ी की। इन सब के लिए बच्चों ने मार्स ग्रह का एनालिसिस किया। नासा व इसरो का डाटा खंगाला फिर उसके बाद ऐसा माडल तैयार किया। माडल में सेंसर भी लगाए, ताकि पृथ्वी के अनुकूल तापमान को स्थिर बनाया जा सके व अन्य उपयोगी गैसों का भी चेंबर के भीतर प्रवाह बना रहे।

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