छोटी उम्र में ही पिता ने छोड़ा साथ, मां के संघर्ष ने जसप्रीत को कांस्टेबल लगाया Jalandhar News

पति का साथ छोड़ने के बाद निर्मल कौर बुरी तरह से टूट चुकी थी लेकिन बेटी की अच्छी परवरिश का भी जिम्मा भी उनके कंधों पर था।

By Edited By: Publish:Fri, 25 Oct 2019 09:24 PM (IST) Updated:Sat, 26 Oct 2019 03:09 PM (IST)
छोटी उम्र में ही पिता ने छोड़ा साथ, मां के संघर्ष ने जसप्रीत को कांस्टेबल लगाया Jalandhar News
छोटी उम्र में ही पिता ने छोड़ा साथ, मां के संघर्ष ने जसप्रीत को कांस्टेबल लगाया Jalandhar News

जालंधर, जेएनएन। पिता जिसे घर की नींव कहा जाता है और यहीं से परिवार का फलना फूलना शुरू होता है। पिता को हम एक पेड़ भी कह सकते हैं जो अपने परिवार जैसी टाहनियों को मजबूत रखता है। लेकिन जब पिता का साथ जिंदगी में न मिले तो कैसा महसूस होगा। आप इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते। कुछ ऐसा ही हुआ भोगपुर के जसप्रीत कौर के घर में। जब जहान में पिता होते हुए भी वह उसका साथ छोड़ गए। लेकिन मां की ममता ऐसी कि वह पिता का साया बन बेटी के सुनहरे भविष्य के लिए संघर्ष की राह पर चली पड़ी। इसी तरह बेटी ने मां की मेहनत को चार चांद लगाने के लिए दिन-रात एक कर दिया। यहां से शुरू होती है जसप्रीत कौर की मां निर्मल कौर की संघर्ष की दास्तां।

पति का साथ छोड़ने के बाद निर्मल कौर बुरी तरह से टूट चुकी थी, लेकिन बेटी की अच्छी परवरिश का भी जिम्मा भी उनके कंधों पर था। उन्होंने दिन रात एक कर लोगों के घरों में काम कर बेटी जसप्रीत कौर को बड़ा किया, पढ़ाया और खेलने के लिए प्रेरित किया। जसप्रीत कौर ने भी मां का सपना पूरा करने के लिए पढ़ाई की और पुलिस में नौकरी हासिल कर मां का नाम सुनहरे इतिहास में दर्ज करवाया। सबसे पहले जसप्रीत कौर ने जैवलिन थ्रो को खेल के रूप में अपनाया, फिर खुद का करियर बनाने के साथ-साथ अब मां का खुशी के वो पल दे रही है जो कभी उसके पिता ने सोचे भी न होंगे।

एक सवाल के जवाब में जसप्रीत बताती हैं कि छोटी उम्र में पिता ने मां को छोड़कर दूसरी शादी कर ली। उसके बाद घर के आर्थिक हालात खराब होने लगे। कमाने वाला कोई नहीं था। तीन बहनों को लेकर मां अकेली कैसे रहती। मां को दुनिया से लड़ते हुए करीब से देखा। उसी समय ठान लिया था कि आगे चलकर मां का सहारा बनना है। इसके बाद मां ने दूसरों के घरों में काम करना शुरू कर दिया और किसी तरह से बेटियों को पाला और पढ़ाया। खेल में रुचि थी तो मां ने प्रेरित किया कि खेलना नहीं छोड़ना। यही वजह रही है कि मां की प्रेरणा के चलते मन लगाकर खेला। जैवनिल थ्रो में स्कूल से निकलने के बाद कॉलेज और फिर यूनिवर्सिटी स्तर तक खेलती रही। राज्य स्तर पर कई पदक हासिल करने के बाद पंजाब पुलिस में कांस्टेबल की नौकरी मिल गई और फिर दोनों बहनों को विदेश में सेट किया। उनकी शादियां करवाई। मां का संघर्ष देखकर खुद मां के रूप में अपनी दोनों बहनों का सहारा बनीं।

हिम्मत से ही मंजिल : जसप्रीत कौर

जसप्रीत बताती हैं कि मां उनके लिए हीरो हैं। अब वह मां को काम नहीं करने देती हैं। मां के लिए गाड़ी व मकान खरीद कर दिया। कहती हैं मां का सपना पूरा करना ही मेरा सपना है। क्योंकि भोगपुर के सरकारी स्कूल से लेकर हंसराज महिला महाविद्यालय, कन्या महाविद्यालय, खालसा कॉलेज तक में पढ़ाई करवाने को लेकर मां ने दूसरों के घरों में जितना काम किया, पसीना बहाया और मेहनत की। उसके आगे मेरी मेहनत कुछ भी नहीं है। जसप्रीत ने कहा कि महिलाएं कुछ भी हासिल कर सकती हैं, बस जरूरत है कि वह हिम्मत न हारें। 

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