शहर की इस शख्सियत को ठुकराना पड़ा था फिल्म में रोल, अब अमेरिका में रिलीज हुई विशेष किताब
जालंधर और अमेरिका में पेट्रोल पंप कारोबारी नरेश गुप्ता की किताब माई स्प्रिचुअल जर्नी का अनावरण लॉस एंजल्स में हुए फेस्टिवल ऑफ बुक्स में किया गया।
जेएनएन, जालंधर : 1966 का वो सुनहरा साल... जब यश चोपड़ा की फिल्म 'आदमी और इंसान' में फिरोज खान वाला रोल मुझे ऑफर हुआ। घर ऑफर लेटर पहुंचा तो दादा जी ने साफ इंकार कर दिया। फैमिली बिजनेस में आया और बटाला की लड़की से शादी हो गई। 1975 से लेकर 1985 तक योगासन और प्राणयाम शुरू किया। इन 10 साल के बाद धारणा, ध्यान और समाधि की तरफ रुझान बढ़ा। ये कहना है जालंधर, फगवाड़ा तथा अमेरिका में पेट्रोल पंप के मालिक और मॉडल टाउन निवासी नरेश गुप्ता का। नरेश गुप्ता ने बताया कि उनकी किताब ऑनलाइन अमेजन तथा अमेरिका की प्रसिद्ध साइट और शॉप्स बार्नस एंड नोबेल में उपलब्ध है। वह जल्द ही इस किताब को जालंधर में भी लांच करेंगे।
नरेश गुप्ता ने बताया कि उस दौर के दौरान भगवान के स्वयं दर्शन हुए, आत्मा का ज्ञान मिला, भगवान के साथ प्रश्न-उत्तर का सिलसिला शुरू हुआ। जिंदगी के सफर और भगवान से मिले प्रश्नों के उत्तर तारीखों के साथ डायरी पर नोट करता गया। 2018 में पत्नी के स्वर्गवास के बाद उन पलों को सोशल मीडिया के जरिये साझा किया। सोशल मीडिया पर अमेरिका के दो पब्लिशर्स की नजर पड़ी जो मेरे साथ पहले से ही सोशल मीडिया पर कनेक्ट थे। इसी पब्लिशर्स ने बेस्ट ऑफर दिया और मेरे हिंदी के शब्दों को खूबसूरती से किताब में अंग्रेजी के अनुवाद के जरिये पिरोया। किताब 'माई स्प्रिचुअल जर्नी' का अनावरण लॉस एंजल्स (यूएस) में हुए फेस्टिवल ऑफ बुक्स में किया गया।
56 पेजों की किताब में मिले जीवन के प्रश्नों के हल
नरेश गुप्ता ने बताया कि अपनी समाधि तथा ध्यान के जरिये उन्हें जीवन से जुड़े कई सवालों के जबाव मिले हैं जिन्हें 56 पेजों में प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने बताया कि उन्हें भगवान से जब तक शरीर हो आत्मा को परमात्मा जानो, छीनो मत, खुद आने दो, तू खुद नौकर बनकर मेरी सेवा कर, तू खुद पत्थर है मुझे भी पत्थरों में बैठने को मजबूर होना पड़ रहा है वरना मैं तो तेरे भीतर हूं, जब आपका शरीर, दिमाग तथा आत्मा शांत हो जाए उसे समाधि कहते हैं... जैसी अनगिनत बातों की जानकारी मिली।
पत्नी को समर्पित की किताब और भजन
नरेश गुप्ता ने बताया कि उन्होंने पत्नी में भी भगवान का रूप देखा। उनके विचार, शांत स्वरूप, सुंदरता, तीन बेटियों और एक बेटे की जिम्मेदारी तथा त्याग और समर्पण की भावना कूट-कूट कर भरी थी। उनके जाने के बाद बच्चों के कहने पर सोशल मीडिया को उन यादों का सहारा बनाया। उनके लिए लिखा भजन राधे राधे भी करीब दस दिन पहले रिलीज किया जिसे 2000 से भी ज्यादा लाइक मिल चुके हैं। वह अपने भजनों और किताब को अपनी पत्नी को समर्पित करते हैं।
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