शिअद में ही हूं, पार्टी में रहकर लड़ूंगा परिवारवाद के खिलाफ लड़ाई : गुरचरण सिंह चन्नी Jalandhar News

चन्नी ने कहा कि वह पार्टी के वरिष्ठ नेता सुखदेव सिंह ढींढसा के इस विचार से सहमत हैं कि पार्टी में परिवारवाद की जगह डेमोक्रेसी होनी चाहिए।

By Vikas KumarEdited By: Publish:Wed, 18 Dec 2019 01:35 PM (IST) Updated:Wed, 18 Dec 2019 01:35 PM (IST)
शिअद में ही हूं, पार्टी में रहकर लड़ूंगा परिवारवाद के खिलाफ लड़ाई : गुरचरण सिंह चन्नी Jalandhar News
शिअद में ही हूं, पार्टी में रहकर लड़ूंगा परिवारवाद के खिलाफ लड़ाई : गुरचरण सिंह चन्नी Jalandhar News

जालंधर, जेएनएन। शिरोमणि अकाली दल की जालंधर इकाई के पूर्व प्रधान गुरचरण सिंह चन्नी ने कहा है कि वह शिरोमणि अकाली दल में ही हैं और पार्टी में रहकर ही पार्टी में लोकतंत्र बहाली की लड़ाई लड़ेंगे। चन्नी ने कहा कि वह पार्टी के वरिष्ठ नेता सुखदेव सिंह ढींढसा के इस विचार से सहमत हैं कि पार्टी में परिवारवाद की जगह डेमोक्रेसी होनी चाहिए। अगर पार्टी कोई गलती करती है तो उसे कुबूल करने में कोई बुराई नहीं है। दैनिक जागरण के साथ खास बातचीत में चन्नी ने कहा कि वह पिछले तीन साल से पार्टी में सक्रिय नहीं है लेकिन कभी भी यह नहीं सोचा कि पार्टी छोड़कर जाना है। पार्टी में रहेंगे लेकिन इसे परिवारवाद से मुक्त करवाएंगे।

चन्नी ने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा, सेवा सिंह सेखवां और सुखदेव सिंह ढींढसा के साथ मंच साझा करने की वजह यही है कि सभी अकाली दल की विचारधारा पर ही काम करना चाहते हैं लेकिन हम सभी की निष्ठा एक परिवार न होकर पार्टी है। चन्नी ने कहा कि यह भी गलत है कि वह कैंट हलका से टिकट न मिलने कर नाराजगी की वजह से वह पार्टी गतिविधियों से दूर हुए। अगर ऐसी नाराजगी होती तो विधानसभा चुनाव में चंडीगढ़ में पार्टी का चुनाव दफ्तर न संभालते।

नाराजगी का कारण परिवार और पार्टी के प्रति निष्ठा की लड़ाई

अकाली दल की सर्वोच्च राजनीतिक मामलों की कमेटी के सदस्य और जिला योजना बोर्ड के चेयरमैन रहे गुरचरण सिंह चन्नी ने कहा कि पार्टी से नाराजगी का कारण परिवार और पार्टी के प्रति निष्ठा की लड़ाई थी। परिवार से जुड़े नेताओं और पार्टी के प्रति निष्ठावान नेताओं के बीच की लड़ाई के कारण ही अनुशासनहीनता बढ़ी है। जब परिवार के चहेते लोगों की अनुशासनहीनता पर कार्रवाई नहीं होती तो पार्टी में असंतोष बढ़ता है। जालंधर में अकाली दल की मीङ्क्षटग में हुआ हंगामा भी इसी का नतीजा है। इसी ने पार्टी का आधार रहे सीनियर नेताओं को संघर्ष की राह पर जाने को मजबूर किया है।

बादल परिवार के रहते नहीं जीत पाएंगे 2022 का चुनाव

चन्नी ने कहा कि अगर पार्टी इसी स्थिति में आगे बढ़ती है तो विधानसभा चुनाव 2022 में जीत संभव नहीं है। कांग्रेस के खिलाफ तभी जीत मिलेगी जब भाजपा-अकाली दल साथ हों लेकिन इसमें बादल परिवार न हो। उन्होंने कहा कि उनके साथ शहर के कई नेता है और जल्द ही बड़े चेहरे भी नजर आएंगे। सबसे पहले लोगों को साथ जुटा कर परिवारवाद को दूर करना है। इस लड़ाई में सबसे पहले एसजीपीसी चुनाव हैं। एसजीपीसी और सभी धार्मिक संस्थाओं से बादल परिवार का कब्जा छुड़ाना है।

बेअदबी मामले में माफी मांगनी चाहिए

चन्नी ने कहा कि पार्टी से लोगों की नाराजगी का बड़ा कारण श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी है। बेअबदी पार्टी ने नहीं करवाई लेकिन सरकार रहते न तो इसे रोक सके और न ही सरकार रहते दोषियों को सजा दे पाए। इसके लिए माफी मांगनी ही चाहिए। माफी की बजाय रोष जता रहे लोगों पर गोली चलवा देना कहां तक उचित है। यह नाराजगी सजा मिलने या माफी मांगने से ही कम होगी। संगत से माफी मांगने में भी ईगो सामने आ रही है।

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