जाम की नब्ज टटोलने लगी सरकार, ठेकों पर चेकिंग व सैंपलिंग करेगी सेहत विभाग की टीम

ठेकेदार सरकार के इस फैसले को लेकर खुलकर तो कुछ नहीं बोल रहे लेकिन वे अंदर ही अंदर गुस्से से भरे पड़े हैं।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Thu, 23 Jul 2020 09:32 AM (IST) Updated:Thu, 23 Jul 2020 09:32 AM (IST)
जाम की नब्ज टटोलने लगी सरकार, ठेकों पर चेकिंग व सैंपलिंग करेगी सेहत विभाग की टीम
जाम की नब्ज टटोलने लगी सरकार, ठेकों पर चेकिंग व सैंपलिंग करेगी सेहत विभाग की टीम

जालंधर, मनुपाल शर्मा। जाम है कि सरकार को लगातार परेशान किए हुए है। पहले शराब की बिक्री शुरू करवाने को लेकर सरकार एड़ी-चोटी का जोर लगाती रही। शराब ठेकेदारों को लुभाने के लिए शराब की अवैध बिक्री बंद करवाने के लिए पुलिस का डंडा चलवाती रही। हालांकि अब सरकार ने जाम की ही नब्ज टटोलने की सोच ली है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को अधिकृत कर दिया है कि ठेकों की चेकिंग व सैंपलिंग की जाए।

शराब ठेकेदार सरकार के इस फैसले से सहमत नहीं हैं। हालांकि पहले की तरह ही ठेकेदार खुलकर तो कुछ नहीं बोल रहे, लेकिन वे अंदर ही अंदर गुस्से से भरे पड़े हैं। कारण, पहले तो सिर्फ आबकारी विभाग डंडा चलाता था। इसके बाद सिविल व पुलिस प्रशासन और अब स्वास्थ्य विभाग भी इसमें शामिल हो गया है। अब ठेकेदारों को कौन समझाए कि सरकार तो सरकार ही है, वह तो किसी की भी नब्ज पकड़ सकती है।

एक बार मास्क उतारना ही पड़ेगा
कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए सरकार हर हाल में मास्क पहनने को कह रही है। ऐसे में अगर आपसे मास्क उतारकर मुंह दिखाने के लिए कहे तो आप जरूर हैरान हो जाएं। जी हां, कुछ ऐसा ही हो रहा है आजकल बैंकों में। बैंकों में एंट्री करते ही अब मास्क उतारना पड़ रहा है। बैंक के गेट पर खड़ा सिक्योरिटी गार्ड आपको एक बार मास्क उतारकर कैमरे की तरफ देखने को बोल रहा है।

तर्क यह दिया जा रहा है कि मुंह ढक कर आए कुछ लोगों ने कुछ बैंकों में लूट आदि की वारदातें कर दी हैं। मुंह ढके हुए होने के कारण वारदात करने वालों की पहचान नहीं हो पाई है। ऐसे में अब बैंक में आने वाले हर शख्स को एक बार तो मास्क उतारना ही पड़ेगा। हालांकि वातानुकूलित बैंक में एक ही समय में कितने लोग मौजूद रह सकते हैं, ये अलग बात है।

वसूली करने को लेकर एकाएक तेजी
इन दिनों एक बार फिर से कुछ दिनों का राशन इकट्ठा खरीदा जा रहा है। जरूरी सामान की भी काफी खरीद-फरोख्त हो रही है। इसके साथ ही वसूली की रफ्तार भी अचानक तेज हो गई है। निजी बैंकों से लेकर दोस्तों में भी दिए गए ऋण की वसूली को लेकर आपाधापी नजर आ रही है। इसका कारण कोरोना के बढ़ते केसों को माना जा रहा है।

लोगों को लग रहा है कि शायद सरकार दोबारा लॉकडाउन लगा सकती है। इन्हीं आशंकाओं ने बेचैनी पैदा कर दी। लोग अपना उधार वापस ले रहे हैं, क्योंकि बीते दो महीने के दौरान कमाई तो ज्यादा नहीं हुई है और अगर लॉकडाउन लागू हो गया तो पता नहीं कब तक हालात सामान्य होंगे। इस पूरे मामले को लेकर वसूली का दौर जोरों पर है। अब इन्हेंं यह कौन समझाए कि उधारी का पैसा तो तभी वापस आएगा, जब देने वाले की जेब में होगा।

अब कोई नहीं कर रहा हड़ताल
सरकार ने कुछ लोगों को रोजगार देने के लिए ठेके पर उनकी भर्ती कर ली। अब वही मुलाजिम सरकार से पक्का किए जाने की मांग करने लगे हैं। बीते तीन वर्ष में कई बार धरने, प्रदर्शन, हड़ताल और चक्का जाम हुए, लेकिन सरकार ने मुलाजिम पक्के नहीं किए। लॉकडाउन लागू हो जाने के बाद सरकारी परिवहन सेवा भी आर्थिक संकट से जूझ रही है और वेतन देना भी एक चुनौती बनी हुई है।

ऐसे हालातों में नो वर्क नो पे का सख्ती से लागू होना स्वाभाविक है। हालत यह है कि अब प्रबंधन मुलाजिमों के हड़ताल पर जाने का इंतजार कर रहा है, ताकि हड़ताल वाले दिन का वेतन तो काट लिया जाए। दूसरी तरफ रोजगार को लेकर विषम परिस्थितियों के चलते अब कोई हड़ताल करने की हिम्मत हीं नहीं दिखा रहा। इसी से तसल्ली की जा रही है कि कुछ तो मिल रहा है। फिलहाल इसी में संतुष्ट रहें।

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