1975 हॉकी वर्ल्ड कप के हीरो मोहिंदर मुंशी को आज तक नहीं मिला अवार्ड, परिवार को मलाल

ओलंपिक में सबसे अधिक गोल करने वाले मो¨हदर मुंशी को आज तक केंद्र या राज्य सरकार की तरफ से कोई अवार्ड नहीं दिया गया।

By Edited By: Publish:Sat, 08 Dec 2018 07:00 AM (IST) Updated:Sat, 08 Dec 2018 10:46 AM (IST)
1975 हॉकी वर्ल्ड कप के हीरो मोहिंदर मुंशी को आज तक नहीं मिला अवार्ड, परिवार को मलाल
1975 हॉकी वर्ल्ड कप के हीरो मोहिंदर मुंशी को आज तक नहीं मिला अवार्ड, परिवार को मलाल

जालंधर [कमल किशोर]। हॉकी को लगन व जोश के साथ खेलने वाले ओलंपियन मोहिंदर सिंह मुंशी की याद में हर वर्ष हॉकी टूर्नामेंट करवाया जाता है। लेकिन ओलंपियन मुंशी के पारिवारिक सदस्यों को इस बात का मलाल है कि राज्य व केन्द्र सरकार ने अभी तक किसी प्रकार का अवार्ड नहीं दिया। उनका कहना है कि जब अजीत सिंह कोहाड़ मंत्री थे, तब उन्होंने टूर्नामेंट को एक लाख रुपये की राशि देने की बात कही थी लेकिन अभी वह भी नसीब नहीं हुई। राज्य सरकार ने भी राष्ट्रीय खेल हॉकी को प्रोत्साहित करने के लिए उनके परिवार की कोई मदद नहीं की।

ओलंपियन मोंहिदर मुंशी के भाई सतपाल ने कहा कि आज भी यह टूर्नामेंट खेल प्रेमियों एनआरआइ सज्जनों के सहयोग से करवाया जा रहा है। 1975 में व‌र्ल्ड हॉकी कप मोहिंदर सिंह की बदौलत जीता गया था फिर भी सरकार ने मोहिंदर मुंशी के परिवार सदस्यों को नजरअंदाज किया। 19 सितंबर 1977 में ओलंपियन मोहिंदर की मौत पीलिया से हो गई थी।

कभी व्यर्थ नहीं जाता था पेनल्टी स्ट्रोक

ओलंपियन मोहिंदर मुंशी को पेनाल्टी कार्नर को गोल में तब्दील करने में महारत हासिल थी। उनके द्वारा लिया गया पेनाल्टी कार्नर कभी व्यर्थ नहीं जाता था। जब भी टूर्नामेंट में मैच होता तो पेनल्टी कार्नर मोहिंदर मुंशी ही लेते थे। वह कार्नर को बड़ी आसानी से गोल में तब्दील कर देते थे।

1975 व‌र्ल्ड हॉकी कप मुंशी की बदौलत जीते थे

वर्ष 1975 में व‌र्ल्ड हॉकी कप में मोहिंदर मुंशी की बदौलत ही फाइनल मैच जीतकर स्वर्ण पदक पर कब्जा किया था। टीम में सबसे छोटे आयु के खिलाड़ी 22 वर्षीय मोहिंदर सिंह ने ओलंपिक में सात गोल किए थे। 17 वर्ष की आयु में बैंकांक में हुई एशियन गेम्स में हिस्सा लिया था और कांस्य पदक जीता था।

आखिर क्यों नहीं दिया सरकार ने अवार्ड

ओलंपियन मोहिंदर सिंह मुंशी के भाई सतपाल को इस बात का मलाल है कि मोहिंदर सिंह एक उच्चकोटि का खिलाड़ी था। देश को पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई लेकिन न ही राज्य सरकार और न ही केन्द्र सरकार ने कोई अवार्ड दिया। वर्ष 2014 में हॉकी फेडरेशन ने परिवार का सम्मान किया था लेकिन सरकार ने कभी परिवार की सुध तक नहीं ली।

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