गंभीर बीमारियों वाले मरीजों के लिए वरदान बना ईएसआइ अस्पताल

इंडस्ट्री में काम करने वाले लोगों के वेतन से ईएसआई फंड काटने के बाद उनकी स्वास्थ्य सुरक्षा को सुनिश्चित बनाया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 06:45 AM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 06:45 AM (IST)
गंभीर बीमारियों वाले मरीजों के लिए वरदान बना ईएसआइ अस्पताल
गंभीर बीमारियों वाले मरीजों के लिए वरदान बना ईएसआइ अस्पताल

जागरण संवाददाता, जालंधर: इंडस्ट्री में काम करने वाले लोगों के वेतन से ईएसआई फंड काटने के बाद उनकी स्वास्थ्य सुरक्षा को सुनिश्चित बनाया जा रहा है। सेहत विभाग की ओर से कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआइसी) के बैनर तले लोगों को सेहत सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए ईएसआइ अस्पताल व डिस्पेंसरियां बनाई गई हैं। जिले में ईएसआइ अस्पताल व पांच डिस्पेंसरियों में लाखों की तादाद में बीमाकृत लोगों व उनके परिवार के सदस्यों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाई जा रही है। जिले में 1.19 लाख बीमाकृत व्यक्ति है। ईएसआइ अस्पताल में 2.17 लाख बीमाकृत व्यक्तियों व उनके परिवार के सदस्यों को स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा रही है। गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए ईएसआई का निजी अस्पतालों के साथ हाथ मिलाने से मरीजों को महंगे इलाज से निजात मिल रही है। डिस्पेंसरियों और अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं के अभाव को लेकर लोगों को परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है। पिछले छह माह से समस्याओं के समाधान की दर में इजाफा होने लगा है। ईएसआइ अस्पताल व डिस्पेंसरियों में सुविधाओं के लेकर दैनिक जागरण ने मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डा. सुधा शर्मा से बातचीत की।

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सवाल: ईएसआइ अस्पताल व डिस्पेंसरियों में जाने वाले मरीज स्वच्छता को लेकर सवाल उठाते है, इसका समाधान कैसे हो सकता है?

जवाब: ईएसआइ अस्पताल में लंबे समय से सफाई कर्मियों और दर्जा चार कर्मियों की भर्ती नही हुई। सफाई कर्मियों के कुल 20 पद है और 11 खाली पड़े है। वहीं दर्जा चार कर्मियों के 41 में से 15 पदों पर ही मुलाजिम तैनात है। इसके बावजूद पिछले छह माह में साफ सफाई को लेकर काफी सुधार किया गया है। इस संबंध में विभाग ने ठेके पर मुलाजिम तैनात कर समस्या का समाधान करने की बात कही है। इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

सवाल: अस्पताल में दाखिल ज्यादातर मरीजों को इलाज के लिए परेशानियां झेलनी क्यों झेलनी पड़ रही है?

जवाब: ऐसी बात नही है। पिछले चार माह सिविल अस्पताल के मरीजों का इलाज भी जहां चला है। ईएसआइ अस्पताल में दाखिल होने वाले मरीजों की दर में तेजी से इजाफा हो रहा है। ईएसआइ अस्पताल में नर्सों के 25 पद है इनमें से 9 खाली पड़े है। इसके बावजूद इमरजेंसी व वार्ड में मरीजों की सेवा कर रही है।

सवाल: इलाज के बाद बिलों के भुगतान को लोगों की हमेशा शिकायत रहती है?

जवाब: इलाज के बाद मरीजों के बिलों के भुगतान की समस्या तकरीबन खत्म हो चुकी है। 25 हजार रूपये के बिल के भुगतान के अधिकार डिस्पेंसरी स्तर पर एसएमओ तथा पचास हजार रुपये तक बिल का भुगतान का अधिकार है। इसलिए अब समस्या खत्म हो चुकी है। एक माह से ज्यादा लंबित तमाम मामले खत्म हो चुके है।

सवाल: कैंसर, किडनी और हार्ट से संबधित बीमारियों के मरीजों के लिए सुविधाओं का क्या प्रावधान है?

जवाब: पहले मरीजों को पीजीआइ और सरकारी मेडिकल कालेज में रेफर किया जाता था। इसके बाद ईएसआइ ने निजी अस्पतालों के साथ हाथ मिलाया। अब मरीज की हालत की बिगड़ने पर इमरजेंसी में सीधे पैनलमेंट वाले अस्पतालों या फिर ईएसआइ अस्पताल में इमरजेंसी से ही रेफर कर दिया जाता है। मरीजों का कैशलैस इलाज होता है और बिलों के भुगतान की समस्या भी खत्म होती जा रही है। इसके बाद इलाज के लिए मरीजों को ईएसआइ अस्पतालों से दवाइयां भी दी जाती है। हालांकि कई मरीज सुपरस्पेशलिटी की श्रेणी में नहीं आते और ईएसआइ अस्पताल की ओर से बिना रेफर किए निजी अस्पतालों में पहुंच जाते है और बाद में बिलों के भुगतान में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

सवाल: अस्पताल में पर्यावरण सरंक्षण के लिए क्या किया जा रहा है?

जवाब: ईएसआइ अस्पताल और डिस्पेंसरियों में पर्यावरण और स्वच्छता के प्राथमिकता देने के आदेश दिए गए है। उन्होंने कार्यभार संभालने के बाद अस्पताल परिसर में हरियाली के लिए निजी संगठनों व बैंकों के सहयोग से पौधरोपण करवाया है। ईएसआइसी के सहयोग से पार्क तैयार करवाएं और वहीं लंबे अर्से से टूटी सड़कों का निर्माण भी हुआ।

सवाल: ईएसआइ अस्पताल में एंबुलेंस व जनरेटर सुविधा न होने से मरीज काफी परेशान रहते है?

जवाब: ईएसआइ अस्पताल के पास एक एंबुलेंस है. विभाग की ओर से ड्राइवर की भर्ती नही हुई। फिलहाल एंबुलेंस कंडम हो चुकी है। विभाग की ओर से अस्पताल में हाट लाइन बिजली के कनेक्शन के लिए प्रक्रिया चल रही है. विभाग को जनरेटर और एंबुलेंस की सुविधा के लिए डिमांड भेजी हुई है।

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