बसों की छतों पर कैरियर बंद होने से कुलियों की रोटी पर संकट, जालंधर बस स्टैंड पर पांच गुना कम हुए कुली

बसों की छतों पर सामान खने के लिए कैरियर खत्म कर देने के नियम ने कुलियों के ऊपर संकट ला दिया है। कुछ वर्ष पहले तक महानगर के बस स्टैंड पर कुलियों की संख्या 100 के लगभग थी जो अब मात्र 20 के करीब आ पहुंची है।

By Vinay KumarEdited By: Publish:Sun, 29 May 2022 01:37 PM (IST) Updated:Sun, 29 May 2022 01:37 PM (IST)
बसों की छतों पर कैरियर बंद होने से कुलियों की रोटी पर संकट, जालंधर बस स्टैंड पर पांच गुना कम हुए कुली
बसों की छतों पर कैरियर बंद होने से कुलियों की रोटी पर संकट आ गया है।

जालंधर [मनुपाल शर्मा]। यात्री बसों की छतों पर सामान रखने के लिए कैरियर खत्म कर देने के नियम ने कुलियों की रोटी के ऊपर संकट ला खड़ा किया है। बसों में व्यापारियों की तरफ से सामान ले जाने से गुरेज किया जाने लगा है और लगातार कम होते काम ने महानगर के शहीद ए आजम भगत सिंह इंटरस्टेट बस टर्मिनल पर कुलियों की संख्या में ही पांच गुना के लगभग कमी ला डाली है। कुछ वर्ष पहले तक महानगर के बस स्टैंड पर कुलियों की संख्या 100 के लगभग थी, जो अब मात्र 20 के करीब आ पहुंची है। बस स्टैंड पर रोजाना औसतन सवा दो लाख यात्रियों का आवागमन होता है, लेकिन 20 कुलियों में से कई तो बिना काम के ही वापस लौट जाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। 

कुछ वर्ष पहले तक बस स्टैंड पर 100 के करीब कुली होते थे तो पूरे बस स्टैंड में विभिन्न जगहों पर यात्रियों के लिए उपलब्ध होते थे, लेकिन अब संख्या ही इतनी कम है कि दो गेटों एंट्री एग्जिट के करीब ही बैठ जाते हैं। कई बार तो सामान उठाकर आने वाली महिला यात्रियों को मिल ही नहीं पाते हैं। बस स्टैंड पर मौजूद कुली यशपाल ने बताया कि किसी वक्त बस स्टैंड पर इतना काम था कि 100 कुली दिन भर परिवार चलाने के लिए अच्छी कमाई कर लेते थे। तब लॉन्ग रूट की बसों के साथ भी कुली जाया करते थे।

पंजाब रोडवेज की तरफ से कुलियों के पहचान पत्र बनाए जाते थे। अब तो 2006 के बाद कोई पहचान पत्र बना ही नहीं। पुराने कुली काम न मिलने के चलते काम छोड़ गए हैं और कोई नया नौजवान कुली बनने के लिए इच्छुक ही नहीं है। यशपाल ने बताया कि काम न मिलने की मुख्य वजह बसों के ऊपर सामान रखने के लिए कैरियर बंद होना ही है। अब व्यापारी अपना सामान बसों में ले जाते ही नहीं है और ट्रांसपोर्ट में बुक कराते हैं। अधिकतर युवा यात्रियों के पास भी ट्रॉली बैग हैं, जो खुद ही धकेल लेते हैं।

महानगर के बस स्टैंड का संचालन करने वाली निजी कंपनी के पार्टनर हरप्रीत सिंह काहलों ने बताया कि कुलियों के काम को देखते हुए कंपनी उनसे कोई पैसा ही नहीं ले रही है। हालांकि कुछ कुली एंट्री एग्जिट गेट के पास काम के लिए आते जरूर हैं।

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