छह महीने में पांच बार रिपेयर करना पड़ा मोबाइल, फोरम ने दिया बदलने के आदेश Jalandhar News

मोबाइल खराब हाेने का मामला जब कंज्यूमर फोरम पहुंचा तो मोबाइल विक्रेता व कंपनी को मोबाइल बदलकर नया देने और सात हजार रुपये हर्जाने व केस खर्च देने का आदेश जारी किया गया।

By Edited By: Publish:Fri, 31 Jan 2020 02:15 AM (IST) Updated:Fri, 31 Jan 2020 03:07 PM (IST)
छह महीने में पांच बार रिपेयर करना पड़ा मोबाइल, फोरम ने दिया बदलने के आदेश Jalandhar News
छह महीने में पांच बार रिपेयर करना पड़ा मोबाइल, फोरम ने दिया बदलने के आदेश Jalandhar News

जालंधर, जेएनएन। सैमसंग कंपनी के नए फोन में कुछ दिनों बाद ही डिस्प्ले प्रॉब्लम आ गई। छह माह में पांच बार सर्विस सेंटर ले जाने के बावजूद फोन ठीक नहीं हुआ। मामला कंज्यूमर फोरम पहुंचा तो मोबाइल विक्रेता व कंपनी को मोबाइल बदलकर नया देने और सात हजार रुपये हर्जाने व केस खर्च देने का आदेश जारी किया गया।

अमन सहगल निवासी न्यू कैलाश नगर गुज्जा पीर रोड ने बताया कि उन्होंने 16 फरवरी 2017 को मॉडल टाउन स्थित यूनीकॉम इंडिया लिमिटेड से 16,400 में सैमसंग मोबाइल खरीदा था। कुछ दिनों में ही उसमें डिस्प्ले प्रॉब्लम आ गई। उन्होंने मोबाइल यूनीकॉम के स्टोर में देकर जॉब शीट में डिस्प्ले में डॉट का डिफेक्ट दर्ज करवायआ। रिपेयर के बाद फिर उसमें दिक्कत आ गई। यही दिक्कत पांच बार आई। आखिरी बार उन्हें मोबाइल वापस नहीं लौटाया गया। उसमें कोई बड़ा टेक्निकल मैन्युफैक्च¨रग डिफेक्ट था, जो बार-बार दिए जाने के बावजूद ठीक नहीं हो रहा था।

इसके बाद उन्होंने फोरम में शिकायत दे दी। फोरम ने नोटिस निकाला तो यूनीकॉम ने जवाब दिया कि वे सिर्फ मोबाइल बेचने का काम करते हैं। उसकी वारंटी व टेक्निकल डिफेक्ट को सैमसंग का ऑथोराइज्ड सर्विस सेंटर ही डील करता है। हालांकि इसके बाद वह सुनवाई में शामिल नहीं हुआ तो उसे एक्स पार्टी करार दे दिया गया। सैमसंग ने कहा कि शिकायतकर्ता ने मोबाइल को सही ढंग से उपयोग नहीं किया। उसके मदरबोर्ड में पानी गया है। वह मोबाइल रिपेयर करने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके चार्ज देने होंगे। शिकायतकर्ता ने पैसे देने से इंकार कर दिया। उनके स्तर पर सेवा में कोई कमी नहीं है।  

पांच हजार हर्जाना व दो हजार रुपये केस खर्च भी देना होगा

दोनों पक्षों के जवाब के बाद फोरम ने फैसला दिया कि दस्तावेजों से यह साबित होता है कि मोबाइल खरीदने के बाद छह महीने में उसे पांच बार सर्विस सेंटर लेकर आना पड़ा। इससे जाहिर होता है कि मोबाइल में ऐसा कोई डिफेक्ट था, जिसे ठीक नहीं किया जा सकता। विरोधी पक्ष ने जवाब नहीं दिया कि मोबाइल को बार-बार सर्विस सेंटर क्यों लाना पड़ा। मोबाइल में पानी जाने के संबंध में कंपनी कोई पुख्ता सुबूत पेश नहीं कर सकी। इसके बाद फोरम के प्रेसीडेंट करनैल सिंह व मेंबर ज्योत्सना ने फैसला देते हुए मोबाइल को उतनी ही कीमत के मोबाइल से रिप्लेस करने के आदेश दिए। इसके अलावा मानसिक परेशानी के एवज में पांच हजार और केस खर्च के तौर पर दो हजार रुपये देने के आदेश दिए।

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