जालंधर में बर्थ-डे ब्वॉय भाजपा नेता ने केक भी खाया और पीछा भी छुड़ाया

बीते दिनों भाजपा नेता मोहिंदर भगत ने समर्थकों के साथ अपना जन्मदिन मनाया। कुछ समर्थकों ने एक पार्टी का आयोजन किया। इस दौरान भगत जी ने करीबियों के हाथों तो केक खाया लेकिन वहां मौजूद अन्य लोगों के हाथों चम्मच पकड़कर केवल फोटो ही खिंचवाई।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 08:46 AM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 08:46 AM (IST)
जालंधर में बर्थ-डे ब्वॉय भाजपा नेता ने केक भी खाया और पीछा भी छुड़ाया
भाजपा नेता मोहिंदर भग खुद इस बार वेस्ट हलके से पार्टी की टिकट के दावेदार हैं।

जालंधर, [मनोज त्रिपाठी]। भाजपा नेता मोहिंदर भगत का बीते दिनों जन्मदिन था। भगत खुद इस बार वेस्ट हलके से पार्टी की टिकट के दावेदार हैं। चहेते नेता का बर्थ डे हो और समर्थकों के साथ केक न काटा जाए, ये कैसे हो सकता है? इसी को देखते हुए उनके कुछ समर्थकों ने एक पार्टी का आयोजन किया। भगत जी पार्टी में पहुंचे और बर्थ डे ब्वॉय बनकर केक भी काटा। इसके बाद केक खिलाकर बर्थ डे की शुभकामनाएं देने का मौका आया। सभी ने भगत जी को केक खिलाने की कवायद भी की, लेकिन भगत जी ने करीबियों के हाथों तो केक खाया, लेकिन वहां मौजूद अन्य लोगों के हाथों चम्मच पकड़कर केवल फोटो ही खिंचवाई। पार्टी को लाइव किया गया तो ये नजारा देख भगत जी के विरोधी उनकी इस 'अनोखी अदा' को लेकर उनकी जमकर खिंचाई भी कर रहे हैं कि कैसे उन्होंने केक भी खा लिया और पीछा भी छुड़ा लिया।

डॉक्टर ने पकड़ी नब्ज, बने किसान

सत्ता के गलियारों में अपनी सियासत चमकाने के लिए नेताओं को कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं, इसके बारे में वही बता सकता है जो नेतागिरी के संघर्ष के दौर से निकल चुका है। जालंधर के एक प्रसिद्ध इएनटी सर्जन भी इसी दौर से गुजर रहे हैं। बीते विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी से टिकट लेकर किस्मत आजमाने की कवायद में लगे डॉक्टर साहब चुनाव हारने के बाद ठंडे पड़ गए थे। अब फिर से सियासी गतिविधियां बढऩे लगी हैं। कृषि विधेयक के खिलाफ किसानों का गुस्सा उबाल पर है। डॉक्टर साहब ने भी किसानों की नब्ज पकड़ते हुए खुद को किसान के रूप में पेश करने के लिए फार्म हाउस में जाकर वीडियो बनाकर भरोसा दिलाने की कोशिश की कि अगर वह डॉक्टर न होते तो किसान होते। उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो डालकर  किसानों के सुर से सुर मिलाकर अपनी सियासी दुकानदारी फिर से चमकानी शुरू कर दी है।

वर्चस्व के लिए पिता-पुत्र में घमासान

कांग्रेस के दिग्गज नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री अवतार हैनरी व उनके विधायक बेटे के बीच लोग लंबे समय से पिस रहे हैं। मामला कुछ और नहीं, बल्कि यह है कि अवतार हैनरी के स्थान पर उनके बेटे बावा हैनरी को पार्टी ने बीते विधानसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया था। बावा चुनाव जीतकर विधायक बन भी गए। उनके हलके के लोगों को काम पड़ते रहते हैं। बावा के पास आने वाले लोगों का सामना पहले अवतार हैनरी से होता है, उसके बाद बावा से मुलाकात हो पाती है। कारण, अवतार हैनरी ने अपना अड्डा नहीं छोड़ा है। बावा वहां तभी बैठते पाते हैं, जब बड़े हैनरी नहीं होते। लोग बावा से मिलकर काम करवाने की बजाय फोन पर ही अपना काम करवाने के लिए तरजीह देने लगे हैं। इसके चलते हैनरी के दरबार में माथा टेकने वालों की कतार कम होने लगी है। पिता-पुत्र में वर्चस्व की इस जंग में बेचारे समर्थक कहां जाएं।

बड़े बेआबरू होकर धरने से निकले

कृषि विधेयक के खिलाफ पंजाब की सड़कों पर उतरे किसानों का समर्थन पाने के लिए उन्हेंं समर्थन देने वाले नेताओं में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ चल रही है। पंजाब बंद के दौरान अकाली दल के पूर्व विधायक सर्वजीत सिंह मक्कड़ ने भी किसानों के समर्थन के बहाने अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश में पीएपी चौक पर लगे धरने में शिरकत की तो किसानों ने उन्हेंं बैरंग ही लौटा दिया। किसानों का कहना था कि कृषि विधेयकों को लेकर अकाली दल भी भाजपा के साथ मिला हुआ है। मक्कड़ के साथ यह पहला मौका नहीं है। कई बार ऐसे हादसे हो चुके हैं। आदमपुर सीट छोड़कर जालंधर में घुसपैठ की कोशिश में लगे लगे मक्कड़ को जालंधर रास नहीं आ रहा है। शायद यही वजह है कि इस बार भी उन्होंने किसानों के गुस्से को देखने हुए मौके से निकलने में ही अपनी भलाई समझी है। फिर भी मक्कड़ हैैं कि मानते नहीं।

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