पौंग बांध झील में दो माह में बढ़ा 72 फुट जलस्तर

ब्यास नदी पर बनाए गए मिट्टी की दीवार से बने एशिया के सबसे बड़े बांध, पौंग बांध में विगत 20 जून से जलभराव दातारपुर, सीजन शुरू हो गया है और यह सीजन 20सितम्बर यानी तीन महीने तक चलेगा परन्तु मौसम विभाग की भविष्यवाणी की इस साल मानसून की बारिश जोरदार होगी, अभी तक आधी अधूरी ही सच हुई है क्योंकि तीन महीने के जलभराव सीजन के आज दो महीने पूरे हो गए हैं और पौंग बांध में कुल 72 फीट जलस्तर ही बढ़ा है। 20 जून को बांध की महाराणा प्रताप सागर झील में सुबह 6 बजे 12

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Aug 2018 04:08 PM (IST) Updated:Mon, 20 Aug 2018 04:08 PM (IST)
पौंग बांध झील में दो माह में बढ़ा 72 फुट जलस्तर
पौंग बांध झील में दो माह में बढ़ा 72 फुट जलस्तर

सरोज बाला, दातारपुर

ब्यास नदी पर मिट्टी की दीवार से बने एशिया के सबसे बड़े बांध, पौंग बांध में विगत 20 जून से जलभराव सीजन शुरू हो गया है और यह सीजन 20 सितंबर यानी तीन महीने तक चलेगा। इस सीजन के सोमवार को दो महीने पूरे हो गए हैं और पौंग बांध में कुल 72 फुट जलस्तर ही बढ़ा है। 20 जून को बांध की महाराणा प्रताप सागर झील में सुबह 6 बजे 1284.49 फुट जलस्तर रिकार्ड किया गया था। उस समय झील में मात्र 2190 क्यूसिक पानी की आमद हो रही थी और 8009 क्यूसिक पानी बांध से डिस्चार्ज हो रहा था।

वहीं, 20 अगस्त को बांध की झील में सुबह 6 बजे 1356.35 फुट जलस्तर रिकार्ड किया गया है। इस समय बांध में कुल 31542 क्यूसिक पानी की आमद हो रही है और बांध की टर्बाइनों से 7504 क्यूसिक पानी डिस्चार्ज हो रहा है। इस प्रकार दो महीने के सीजन के बाद 1356-1284=72 फुट पानी ही झील में भरा है। वहीं, यह जलस्तर बांध के फ्लड गेटों जिनका स्तर 1365 फुट है, से 9 फुट नीचे है। जबकि आज के दिन विगत वर्ष जलस्तर 1379 फु था। इस लिहाज से गत वर्ष की तुलना में अभी पानी 23 फुट कम है। वहीं, अब जोरदार बारिश की संभावना कम ही रहती है। लिहाजा बांध में समुचित जलभराव यदि नहीं होता है, तो अगले वर्ष जून तक ¨सचाई और विद्युत उत्पादन के लिए पानी की उपलब्धता कम ही रहेगी।

ज्ञात रहे कि पौंग बांध की डेड स्टोरेज क्षमता 1265 फुट है। यदि बांध के कैचमेंट क्षेत्र में इसी प्रकार कम बारिश का सिलसिला जारी रहा, तो बांध में पानी का वांछित स्तर 1390-1395 फुट तक जलभराव होना संभव नहीं होगा।

वर्तमान में बांध की कुल 2 टर्बाइनें ही बिजली उत्पादन कर रही हैं। डिस्चार्ज के बाद पानी मुकेरियां हाइडल नहर में जा रहा है। जहां के चार बिजलीघरों में 207 मैगावाट बिजली उत्पादन हो रहा है। इस बांध की उंचाई 1410 फुट है और इसे ज्यादा से ज्यादा 1395 फुट तक ही भरा जाता है। पौंग बांध के बिजली घर में कुल 6 टर्बाइनें हैं और प्रत्येक 66 मैगावाट की दर से कुल 396 मैगावाट बिजली उत्पादन करते हुए राष्ट्र निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।

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मछली के शिकार पर पाबंदी हटी

पौंग बांध की महाराणा प्रताप सागर झील में 1 जून से 31 जुलाई तक मछलियां पकड़ने पर प्रतिबंध रहता है। मगर, इस बार पानी की कमी के कारण यह प्रतिबंध 15 अगस्त तक बढ़ा दिया गया था, ताकि मछलियां अपनी समुचित वंश वृद्धि कर सकें। अब बांध में समुचित जलभराव के बाद यह प्रतिबंध हटा दिया गया है।

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