प्लंबर से पंजाब की राजनीति के अंबर तक पहुंचे विजय सांपला

पंजाब भाजपा के अध्‍यक्ष बनाए गए केंद्रीय राज्‍य मंत्री विजय सांपला ने बेहद मुश्किलों से पार पाकर प्रदेश की राजनीति की ऊंचाइयों काे छुआ है। सांपला प्‍लंबर के काम से कैरियर शुरू करने वाले सांपला आज प्रदेश में भाजपा के शीर्ष पर बैठे थे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Fri, 08 Apr 2016 06:37 PM (IST) Updated:Sat, 09 Apr 2016 10:49 AM (IST)
प्लंबर से पंजाब की राजनीति के अंबर तक पहुंचे विजय सांपला

होशियारपुर, [लोकेश चौबे]। प्लंबर से कैरियर शुरू करने वाले केंद्रीय राज्य मंत्री विजय सांपला ने अपनी काबलियत से सियासत के अंबर को छू लिया। सांपला का जीवन और राजनीतिक कैरियर संघर्ष और जीवटता की कहानी समेटे हुए है। भाजपा के प्रदेश प्रधानगी मिलना उनके और राज्य में भाजपा के लिए बहुत अहम माना जा रहा है। उन्हाेंने दुबई में बतौर प्लंबर नलों की चूडियां चढ़ाई है। 11 साल तक दुबई में प्लंबर का काम करके विजय सांपला ने घर की जीविका चलाई थी। सांपला ने राजनीतिक कैरियर की शुरूआत सरपंची से की थी।

मुश्किलों व संघर्षों से भरा रहा है जीवन

जालंधर के गांव सूफी में जन्मे विजय सांपला साधारण परिवार से ताल्लुक रखते थे। 1977 में सांपला 16 साल के थे तो उनके पिता दर्शन राम का निधन हो गया। इसके बाद आर्थिक मजबूरियोंं के चलते विजय सांपला ने दसवीं तक पढ़ाई करने के बाद नौकरी करने की ठानी।

दुबई में 11 साल तक किया लेबर और प्लंबर का काम

घर की जीविका चलाने के लिए पैसे का जुगाड़ करके वह वर्ष 1979 में दुबई चले गए। वहां एक फैक्टरी में लेबर का काम किया और प्लंबर का सीखा। 11 साल तक वहां बतौर प्लंबर नलों की चूडियां चढ़ाते थे। वर्ष 1988 में विजय सांपला का विवाह सुदेश के साथ हुआ था। शादी के तीन साल बाद तक सांपला सऊदी अरब में रहे। वर्ष 1991 में पारिवारिक मजबूरियों के चलते विजय सांपला दुबई से अपने गांव सूफी आ गए।

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थाने में सुनवाई न होने पर राजनीति में आने की थी ठानी

परिवार के पालन-पोषण के लिए उन्हाेंने जालंधर में हार्डवेयर और प्लंबर की दुकान खोली। अभी तक उनकी राजनीति में कोई रुचि नहीं थी। वर्ष 1993 में विजय सांपला की दुकान पर काम करते एक प्लंबर को पुलिस किसी मामले में उठाकर ले गई।

इसके बाद वह उसे छुड़ाने थाने पहुंचे तो उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उस समय उन्हें अहसास हुआ कि बिना राजनीतिक पहुंच और पहचान के पुलिस से मदद मिलना बेहद मुश्किल है। इसके बाद उन्होंने राजनीति में हाथ आजमाने की ठान ली। भाजपा की नीतियों से प्रेरित होकर वर्ष 1994 में भाजपा का दामन थामकर राजनीति की पारी की शुरुआत कर दी।

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सरपंची से पारी की शुरुआत, सांसद, मंत्री व अब प्रदेश अध्यक्ष

दलित कोटे से वर्ष 1997 में विजय सांपला के गांव के गांव सूफी पिंड का सरपंच चुना गया। इसके बाद विजय सांपला ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उनकी काबलियत को देखते हुए उन्हें जल्द ही भाजपा देहाती मंडल के महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई। उम्मीदों पर खरा उतरने पर पार्टी ने और तमाम जिम्मेदारियां सौंपी।

सांपला भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रह चुके है। होशियारपुर संसदीय सीट सुरक्षित होने पर वर्ष 2009 के लोकसभा चुनावों में वह यहां से टिकट की दौड़ में थे, लेकिन बाजी मारने में सोम प्रकाश कामयाब हुए। बादल सरकार के पिछले कार्यकाल में विजय सांपला को पंजाब खादी बोर्ड चेयरमैन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी और लोकसभा चुनावों से पहले वन निगम के चेयरमैन बने।

लोकसभा चुनावों में संसदीय सीट होशियारपुर से भाजपा की टिकट लेने में विजय सांपला कामयाब हुए और शानदार जीत हासिल की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वास जताकर उन्हें पंजाब के कोटे से राज्य मंत्री बनाया। अब 2017 में होनेवाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा हाई कमान ने उन पर भरोसा जताते हुए पंजाब भाजपा की कमान सौंपी है।

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