विधिवत हवन से बनता है दिव्य वातावरण: रमा शर्मा

यज्ञ भारतीय धर्म का मूल है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 01 Jun 2020 12:00 AM (IST) Updated:Mon, 01 Jun 2020 12:00 AM (IST)
विधिवत हवन से बनता है दिव्य वातावरण: रमा शर्मा
विधिवत हवन से बनता है दिव्य वातावरण: रमा शर्मा

संवाद सहयोगी, दातारपुर : यज्ञ भारतीय धर्म का मूल है। आत्म-साक्षात्कार, स्वर्ग-सुख, बंधन-मुक्ति, मन, पाप-प्रायश्चित, आत्म-बल वृद्धि के केंद्र भी यज्ञ ही थे। यज्ञों द्वारा मनुष्य को अनेक आध्यात्मिक एवं भौतिक शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। शांति कुंज हरिद्वार के तत्वावधान में आज गायत्री जयंती के अवसर पर पूरे विश्व में 10 लाख घरों में आयोजित किए जाने वाले गृहे-गृहे गायत्री यज्ञ कार्यक्रम के अंतर्गत प्रवचन करते हुए आयोजक रमा शर्मा ने कहा वेद-मंत्रों के साथ-साथ शास्त्रोक्त विधियों के द्वारा जो विधिवत हवन किया जाता है, उससे एक दिव्य वातावरण बनता है। उस वातावरण में बैठने मात्र से रोगी मनुष्य निरोग हो सकते हैं। उन्होंने कहा चरक ऋषि ने लिखा है कि 'आरोग्य प्राप्त करने वालों को विधिवत हवन करना चाहिए।' बुद्धि शुद्ध करने की यज्ञ में अपूर्व शक्ति है। जिनके मस्तिष्क दुर्बल हैं या मलीन हैं, वे यदि यज्ञ करें तो उनकी अनेक मानसिक दुर्बलताएं शीघ्र दूर हो सकती हैं। यज्ञ से प्रसन्न हुए देवता मनुष्य को धन-वैभव, सौभाग्य तथा सुख, साधन प्रदान करते हैं। यज्ञ करने वाला कभी दरिद्र नहीं रह सकता। यज्ञ करने वाले स्त्री-पुरुष की सन्तान बलवान बुद्धिमान, सुन्दर दीर्घ जीवी होती है। उन्होंने कहा यज्ञ भारतीय संस्कृति आदि का प्रतीक है। हमारे धर्म में जितनी महत्ता यज्ञ को दी गई है। उतनी और किसी को नहीं दी गई। हमारा कोई शुभ-अशुभ धर्म कृत्य-यज्ञ के बिना पूर्ण नहीं होता है। उन्होंने कहा कि जन्म से लेकर अंत्येष्टि तक 16 संस्कार होते हैं इनमें अग्रिहोत्र आवश्यक है

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