गंदगी में बैठ पढ़ने को मजबूर बच्चे और पढ़ाने को मजबूर अध्यापक

अज्?जोबाल आंगनवाड़ी स्कूल छप्पर के ऊपर बने आंगनवाड़ी स्कूल गंदगी और बदबू में पढ़ने को मजबूर बच्चे जै स्कूल 19

By JagranEdited By: Publish:Mon, 08 Apr 2019 12:36 AM (IST) Updated:Mon, 08 Apr 2019 06:22 AM (IST)
गंदगी में बैठ पढ़ने को मजबूर बच्चे और पढ़ाने को मजबूर अध्यापक
गंदगी में बैठ पढ़ने को मजबूर बच्चे और पढ़ाने को मजबूर अध्यापक

संवाद सहयोगी, होशियारपुर : सरकार जहां एक तरफ सर्वशिक्षा अभियान चलाने के दावे करती नहीं थकती, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। आंगनवाड़ी सेंटर अज्जोवाल गंदे पानी के छप्पर के साथ सटा हुआ है और बच्चे गंदगी में बैठक कर शिक्षा ग्रहण करने के लिए मजबूर है। हैरानी वाली बात तो यह है कि 1987 से चल रहे इस आंगनवाड़ी सेंटर का आज तक प्रशासन को ख्याल नहीं आया। स्कूल में 20 बच्चे हैं और स्कूल का एक कमरा हैं जिसमें मिड डे मील बनता है जब मिड डे मील बनाता है तो बच्चे खुले आकाश में बैठने को मजबूर हो जाते हैं। ताकि खाना बनाते समय कोई बच्चा खाने को छू न सके और खान साफ सफाई से पकाया जाए, लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि बच्चों को तो खाना छूने की मनाही है, परंतु जिस कमरे में खाना पकता है वह तो छप्पर के बिल्कुल पास है और बदबू में बनाने वाला खाना आखिर कितना साफ होगा यह समझ से परे हैं। टीचर सुदेश कुमारी और उनके साथ हेल्पर मनजीत कौर ने बताया कि स्कूल की जो इमारत सिर्फ एक ही कमरा है कमरा सिर्फ 10 बाई 12 का जिसमें 9 डेस्क लगे हुए हैं। उसी कमरे के अंदर मिड डे खाने का सामान बनता है।

मूलभूत सुविधाओं से वंचित है यह स्कूल

सुदेश कुमारी ने बताया कि स्कूल में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है एक भी पानी का नल स्कूल के आसपास भी नहीं है। स्कूल छप्पर के बिल्कुल किनारे पर बना हुआ है स्कूल के एक तरफ छप्पड़ है और दूसरी तरफ मेन रोड है जहां पर ट्रैफिक बहुत है। यहां तक की स्कूल की कोई चार दीवारी ही नहीं है, आए दिन उस रोड पर हादसे होते रहते हैं छोटे बच्चे अगर सड़क पर चले जाएं तो हादसा होने का डर बना रहता है। चार दीवारी न होने से कई बार तो स्कूल में आवारा जानवर घुस आते हैं कई बार तो स्कूल में कीड़े मकौड़े भी घुस आते हैं जो बच्चों के लिए खतरा हैं। उन्होंने कहा कि हमने कई बार प्रशासन और सरपंच सतविदर को बोला है लेकिन आज तक कोई भी सुनवाई नहीं हुई टीचर सुदेश कुमारी ने कहा कि मैं जहां 20-25 साल से बच्चों को पढ़ा रही हूं। बरसात के दिनों में तो जहां बदबू ही बहुत आती है, अभी भी बदबू आ रही है लेकिन क्या करें मजबूरी है कोई सुनने को तैयार ही नहीं।

इस संबंध में जब गांव अज्जोवाल के सरपंच सतविदर से बात हुई तो उन्होंने कहा कि हमने प्रशासन से बात की थी जब तीक्ष्ण सूद सत्ता में थे तो उन्होंने 2 लाख देने को कहा था लेकिन वह पास नहीं हुआ, उसके बाद 30 लाख की ग्रांट गांव के लिए आई थी, जो उन्होंने गांव के कुछ पिछड़े इलाके को सुधारने के लिए खर्च किए हैं। कुछ समय पहले कैबिनेट मंत्री अरोड़ा ने 10 लाख रुपए का चेक हमें दिया है, वह अभी पास नहीं हुआ जो स्कूल उत्थान के लिए लगाया जाएगा।

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