लोगों के कान खा रहे प्रेशर हार्न, बहरा बना प्रशासन

ध्वनि प्रदूषण पर लगाम कसने के लिए प्रशासन कड़ी कार्रवाई नहीं कर रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 12 Nov 2019 11:17 PM (IST) Updated:Wed, 13 Nov 2019 06:08 AM (IST)
लोगों के कान खा रहे प्रेशर हार्न, बहरा बना प्रशासन
लोगों के कान खा रहे प्रेशर हार्न, बहरा बना प्रशासन

वरिदर बेदी, होशियारपुर: ध्वनि प्रदूषण पर लगाम कसने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा उंची आवाज में बजने वाले प्रेशर हार्न पर पाबंधी के बावजूद दोपहिया व चौपहिया वाहन चालक प्रेशर हार्न से सारा दिन शहर पर सड़कों पर चिल-पौं मचाते रहते हैं। मगर ट्रैफिक पुलिस व जिला प्रशासन के कानों तक इस उंची आवाज में बजने वाले प्रेशर हार्न का शोर नहीं पहुंच रहा। उंची आवाज में चलने वाले प्रेशर हार्न से एक ओर जहां ध्वनि प्रदूषण फैलता है, वहीं लोगों को सेहत पर भी इसका दुष्प्रभाव होता है। प्रशासन की ढुलमुल कार्रवाई के चलते वाहनों पर लगे प्रेशर हार्न के शोर से निजात नहीं मिल रही। कई दोपहिया वाहनों व खासकर बसों पर लगे प्रेशर हार्न सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की सरेआम अवहेलना कर रहे हैं। बस चालक बस को बस स्टैंड से बाहर निकलते ही लगातार हार्न बजाना शुरु कर देते हैं। इस संबंध में दैनिक जागरण पहले द्वारा पहले भी कई बार समाचार प्रकाशित कर यह मुद्दा प्रशासन के धयान में लाया जा चुका है। जिसपर ट्रैफिक विभाग द्वारा कार्रवाई के नाम पर कुछेक वाहनों के चालान काट कर जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली जाती है। बसों पर लगे प्रेशर हार्न को उतरवाने की जहमत नहीं उठाई जाती। सबसे ज्यादा प्रेशर हार्न का शोर बस स्टैंड रोड पर सुनने को मिलता है। बस चालक सवारी उठाने के चक्कर में व एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लगातार प्रेशर हार्न बजाते रहते है। इस सड़क पर सरकारी अस्पताल के अलावा दो निजी अस्पताल भी हैं। नियमों के मुताबिक इस सड़क को साइलेंस जोन होना चाहिए। लेकिन इसी सड़क पर प्रेशर हार्न का सबसे ज्यादा शोर मचा रहता है। इन अस्पतालों में दाखिल मरीजों को भी उंची आवाज में बजने वाले ऐसे हार्न से परेशानी होती है। हालांकि बस स्टैंड के भीतर जीएम रोडवेज द्वारा बस स्टैंड के अंदर प्रेशर हार्न बजाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इसकी उल्लंघना करने वाले को पांच सौ रुपए जुर्माना लगाने का भी प्रावधान रखा गया है।

बस स्टैंड रोड पर रिहाइशी मकान भी हैं। जिनमें रहने वाले राजेश कुमार, परमिदर सिंह, अजय कुमार, भुपिदर सिंह, परमजीत सिंह, सरबजीत कौर, राजन, निशांत आदि का कहना है कि सुबह बस सर्विस शुरु होने के साथ ही प्रेशर हार्न का सिलसिला शुरु हो जाता है, जो रात तक चलता रहता है। प्रशासन को प्रेशर हार्न का प्रयोग करने वाले के साथ सख्ती से पेश आना चाहिए।

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ईएनटी स्पेशलिस्ट डा. स्वाति के मुताबिक हार्न का सेफ लेवल 90 डेसीबल है। 125 डेसीबल से ज्यादा उंची आवाज से कान बहरे भी हो सकते हैं। इसके अलावा हमारी सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। जैसे स्वभाव में चिड़चिड़ापन आना, उंचा सुनाई देना, कार्यक्षमता कम होना, सोचने की क्षमता प्रभावित होना, बल्ड प्रेशर बढ़ना व नींद में कमी होने के साथ और भी कई गंभीर बिमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।

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इस संबंध में सिटी ट्रैफिक इंचार्ज मनमोहन कुमार से बात की गई तो उन्होने कहा कि प्रेशर हार्न का प्रयोग करने वाले वाहनों पर सख्त कार्रवाई की जाती है। उन्होंने बसों से प्रेशर हार्न भी उतरवाए हैं। इसके लिए ट्रैफिक विभाग की पैट्रोलिग टीम भी तैयार की जा रही है। जो सभी वाहनों की चैंकिग कर प्रेशर हार्न उतरवाने का काम करेगी।

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