खाद्य पदार्थो में मिलावट का बोलबाला, हाथ मलता सेहत का रखवाला

होशियारपुर, त्योहारों के सीजन की आहट आते ही मिलावटखोर सरर्गम हो गए हैं। खाद्य पदार्थों को बनाने के लिए बढ़ी डिमांड से मिलावटखोरी का भी गंदा धंधा फलने फूलने लगा है। हालांकि पिछले कुछ दिनों में स्वास्थ्य विभाग ने तीन मिलावटखोरी के तीन केस पकड़ कर अपनी पीठ तो थपथपा रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर अभी स्वास्थ्य विभाग को और भी ज्यादा कमर कसने की जरुरत है। क्योंकि खास करके देसी घी, खोया और पनीर में मिलावटखोरी जमकर की जा रही है। सूत्रों की मानें तो इस धंधा का पदार्फाश करने में ज्यादा सफलता स्वास्थ्य विभाग को इसीलिए नहीं मिल पाती हैं, क्योंकि क्योंकि स्वास्थ्य विभाग की छापेमारी टीम जाने से पहले विभाग में छिपी काली भेंड़ें मिलावटखोरों को चौकन्ना कर देती हैं। इससे मिलावटखोरों पर शिकंजा नहीं कस पाता है। इस आलम में कोरम पूरा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम सेंपल भरती है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 16 Sep 2018 04:17 PM (IST) Updated:Sun, 16 Sep 2018 04:17 PM (IST)
खाद्य पदार्थो में मिलावट का बोलबाला, हाथ मलता सेहत का रखवाला
खाद्य पदार्थो में मिलावट का बोलबाला, हाथ मलता सेहत का रखवाला

हजारी लाल, होशियारपुर

त्योहारों के सीजन की आहट आते ही मिलावटखोर सरगर्म हो गए हैं। खाद्य पदार्थो को बनाने के लिए बढ़ी डिमांड से मिलावटखोरी का भी गंदा धंधा फलने-फूलने लगा है। हालांकि पिछले कुछ दिनों में स्वास्थ्य विभाग मिलावटखोरी के तीन केस पकड़ कर अपनी पीठ थपथपा रहा है। मगर, जमीनी स्तर पर अभी स्वास्थ्य विभाग को और भी ज्यादा कमर कसने की जरूरत है। क्योंकि खास करके देसी घी, खोया व पनीर में मिलावटखोरी जमकर की जा रही है।

सूत्रों की मानें तो इस धंधे का पर्दाफाश करने में ज्यादा सफलता स्वास्थ्य विभाग को इसलिए नहीं मिल पाती हैं, क्योंकि छापेमारी करने जाने वाली टीम के जाने से पहले ही विभाग में छिपी काली भेंड़ें मिलावटखोरों को चौकन्ना कर देती हैं। इससे मिलावटखोरों पर शिकंजा नहीं कस पाता है। इस आलम में कोरम पूरा करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम सैंपल भरती है।

आंकड़े के मुताबिक पिछले एक साल की अवधि में स्वास्थ्य विभाग ने जिले में विभिन्न दुकानों से लगभग 450 सैंपल भरे हैं। इसमें से ज्यादातर सैंपल पास हुए हैं। तहकीकात करने पर मालूम पड़ा है कि स्वास्थ्य विभाग स्वार्थ के चक्कर में ऐसे खाद्य पदार्थो की सैंप¨लग ज्यादा करता है, जो पास होने वाले होते हैं। या फिर दुकानदार की मर्जी से खाद्य पदार्थाें की सैंप¨लग की जाती है। इस वजह से मिलावटखोरी का धंधा बेखौफ फल-फूल रहा है और लोगों के स्वास्थ्य पर इसका बुरा असर पड़ रहा है।

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स्वास्थ्य विभाग को मिली तीन बड़ी कामयाबी

केस नंबर-1

20 अगस्त : नौशहरा पत्तन मुकेरियां के पास लगे नाके के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गुरदासपुर की तरफ से सुबह 4 बजे के करीब आ रही एक म¨हद्रा में से 1000 किलो नकली खोया बरामद किया। गुणवत्ता जांचने के लिए सैंपल खरड़ लैबोरेटरी भेजा गया है। इसके बाद टीम ने हाजीपुर-तलवाड़ा रोड और पंजाब डेयरी पर छापेमारी की, तो उसे नकली सूखा दूध मिला था। इसके सैंपल लेने सहित देसी घी के सैंपल भी लिए गए थे।

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केस नंबर-2

13 सितंबर : कस्बा गढ़शंकर में 150 क्विंटल के करीब स्वास्थ्य विभाग की टीम ने नकली खोया नष्ट किया। इस मौके जिला पर स्वास्थ्य अफसर डॉ. सेवा ¨सह ने बताया कि 24 अगस्त को बीकानेरी स्वीट शॉप गढ़शंकर के मालिक किशोर ¨सह की दुकान से यह खोया बरामद किया था। इसके सैंपल खरड़ लैब भेजे गए थे और सैंपल फैल पाए गए थे। इस खोया को फ्रीजर में सील कर दिया गया था। इस पर कार्रवाई करते हुए 150 क्विंटल खोया सेहत विभाग ने नष्ट किया है।

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केस-3

15 सितंबर : शनिवार सुबह 5 बजे सेहत विभाग की तरफ से कस्बा हरियाना के नजदीक नाका लगाया गया और इस दौरान विभाग की टीम ने 200 किलो पनीर (दो ¨क्वटल) घटिया क्वालिटी का पनीर बरामद किया। विभाग की टीम द्वारा लिए गए सैंपल खरड़ लैब भेजे गए हैं। गाड़ी के चालक बलविंदर ¨सह निवासी पुराना शाला जिला गुरदासपुर का रहने वाला है। यह खोया गुरदासपुर से होशियारपुर में सप्लाई के लिए लाया जा रहा था।

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सस्ता पनीर या खोया मिले, तो समझो मिलावटी है

सूत्रों के अनुसार मार्केट में 300 रुपये किलो तक बिकने वाला यह पनीर व खोया इन मिलावटखोरों द्वारा दुकानदारों को 150 से 200 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता है। त्योहारों के दिनों में इसकी डिमांड कई गुना बढ़ जाती है। ऐसे में मिलावटखोर घटिया सामान ग्राहकों को बेचकर मोटा मुनाफा कमाने से नहीं चूकते हैं।

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त्योहारों के दिनों में अधिक सक्रिय होते हैं मिलावटखोर

जानकारी के अनुसार त्योहारों के दिनों में घी, पनीर, खोया की डिमांड बढ़ जाती है और इसका फायदा मिलावटखोर उठाते हैं। जैसे ही त्योहार जोर पकड़ते जाते हैं, ये बाजार में सक्रिय होना शुरू हो जाते हैं। बकायदा पूरी सप्लाई चेन तैयार होती है। जिसके हिसाब से समय-समय पर तय जगहों पर सप्लाई कर दी जाती है। अपने चंद मुनाफे के चक्कर में यह लोगों की कीमती ¨जदगियों से खेल जाते हैं।

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कुछ इस तरह से होता है मिलावटखोरी का हथकंडा

मिलावटी देसी घी : ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में कुछ मिलावटखोर देसी घी में वनस्पति घी मिला देते हैं। इससे देसी घी की गुणवत्त कम हो जाती है। मुनाफा भी डबल होता है।

मिलावटी पनीर : पनीर की डिमांड ज्यादा बढ़ने पर मिलावटखोर दूध में पाउडर दूध मिलाकर दूध तैयार करते हैं। फिर उसका पनीर बना देते हैं। यह पनीर भी गुणवत्ता पर खरा नहीं उतरता है।

मिलावटी खोया : खोया तैयार करने में तो बहुत गंदा खेल खेला जाता है। मिलावटखोर खोया में अरबी की मिलावट कर देते हैं। इससे कम खर्च में खोया तैयार हो जाता है।

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'मिलावटखोरों के खिलाफ विशेष मुहिम चलाई जा रही है। किसी भी मिलावटखोर को बख्शा नहीं जाएगा। अगर ऐसे लोगों की किसी को जानकारी मिलती है, तो वह तुरंत सूचना दें। सूचना देने वाले व्यक्ति का नाम गुप्त रखते हुए मिलावटखोरों को बेनकाब किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने पिछले कुछ दिनों में बड़े स्तर पर मिलावटखोरी का भंडाफोड़ भी किया है।'

-डॉ. सेवा ¨सह, जिला स्वास्थ्य अधिकारी, होशियारपुर।

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