श्रद्धा का केंद्र है दुर्गा माता मंदिर दलवाली

शिवालिक पर्वतमाला के आंचल में हरी भरी वादियों और जंगल के पास दलवाली का मां दुर्गा मंदिर आस्था का केंद्र है। यहां श्रद्धालु मन्नतें मांगते के लिए आते हैं और पूरी होते ही वाद्य यंत्रों सहित ध्वजारोहण करते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 04:58 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 09:13 AM (IST)
श्रद्धा का केंद्र है दुर्गा माता मंदिर दलवाली
श्रद्धा का केंद्र है दुर्गा माता मंदिर दलवाली

सरोज बाला, दातारपुर

शिवालिक पर्वतमाला के आंचल में हरी भरी वादियों और जंगल के पास दलवाली का मां दुर्गा मंदिर आस्था का केंद्र है। यहां श्रद्धालु मन्नतें मांगते के लिए आते हैं और पूरी होते ही वाद्य यंत्रों सहित ध्वजारोहण करते हैं। भले ही मंदिर 31 साल पुराना है, पर इसकी प्रसिद्धि बड़ी तेजी से हुई है। यहां बासंतिक और शारदीय नवरात्र में भारी तादाद में भक्त जुटते हैं। हर साल 31 मई और पहली जून को वार्षिकोत्सव मनाया जाता है। माता ज्वालाजी से पवित्र ज्योति लाई जाती है, फिर जागरण, सत्संग और भंडारा लगता है। सुबह-शाम आरती होती है। पवित्र तीर्थ स्थल दातारपुर से दो, तलवाड़ा से 12 और हाजीपुर से 11 किमी दूर है। बस और अपने वाहन से यहां पर पहुंचा जा सकता है। मंदिर के संस्थापक राजिद्र सिंह उर्फ जिदा बाबा दलवाली के ठाकुर हरनाम सिंह के छह पुत्रों में से एक हैं। 49 वर्षीय जिदा बाबा की बाल्यकाल से ही जगतजननी के चरणों से कुछ ऐसी लग्न लगी कि सभी प्रकार का मोह छोड़ कर अविवाहित रहे और छोटा सा मंदिर बनाकर हर समय मां की स्तुति जीवन का लक्ष्य बना लिया। उनके कार्य और भक्ति से प्रभावित होकर श्रद्धालु जुटते गए और भव्य मंदिर अस्तित्व में आ गया। परिसर में गुफा भी है जो दर्शनीय है। मां की भव्य मूर्ति मन मोह लेती है। पास ही विशाल व सुरम्य तालाब है। इसका नाम है ताज खां। यह पर्यावरण व जल संरक्षण का जीवंत उदाहरण है। इसके चारों ओर बड़े बड़े पीपल, बरगद, आम के पेड़ हैं, जो वातावरण को शांत, शुद्ध व पावन बनाते हैं। जिदा बाबा ने बताया, नवरात्र में अष्टमी को विशेष कन्या पूजा होती है और भक्तों को कहा जाता है कि कन्या को पूजते हो तो कन्या भ्रूण हत्या जैसे महापाप से बचो तभी महामाई की अनंत कृपा और सुख की प्राप्ति होगी। प्रतिदिन सुबह व शाम पूजन व आरती

वैसे तो हर रोज सुबह शाम पूजन, आरती की प्रक्रिया होती है, पर नवरात्र में विशेष आयोजन होता है। व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं के लिए फलाहार, प्रसाद की व्यवस्था रहती है। काफी भक्त रोजाना आते हैं, कीर्तन सत्संग लगातार होता है। जिदा बाबा बताते हैं आरती में श्रद्धालु भक्तिभाव से मां भगवती की स्तुति करते हैं और उन पर मां की कृपा भी बरसती है। नवरात्र में लोग यहां लाल चुनरी, नारियल, धूप, दीप व हलवा से पूजन करते हैं।

ऐसे बनता गया आस्था का केंद्र

काफी समय पहले तलवाड़ा, मुकेरियां, हिमाचल, जम्मू व अन्य राज्यों से असंख्य श्रद्धालु आना शुरू हुए। नतीजतन भक्तों के सहयोग से मंदिर का आकार बड़ा भव्य एवं विशाल हो गया। अभी ऊपर की मंजिल का खाका तैयार है जिससे इस स्थान की मान्यता और विस्तृत होगी। राजिद्र सिंह जिदा बाबा की अध्यक्षता में हर वर्ष विशाल भगवती जागरण, सत्संग, हवन व भंडारा होता है। इस बार वैश्विक महामारी के चलते सभी समारोह स्थगित किए गए हैं।

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