संस्कृत को भारतीय संघ की आधिकारिक भाषा बनाने के पक्ष में थे आंबेडकर
तलवाड़ा संस्कृत भारती पंजाब के अध्यक्ष प्रो. हर्ष मेहता ने विश्व संस्कृत दिवस पर एक समाचार पत्र में छपी खबर संस्कृत के साथ आंबेडकर का उल्लेख करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति के लागू होने से उनके सपने साकार होंगे।
संवाद सहयोगी, तलवाड़ा : संस्कृत भारती पंजाब के अध्यक्ष प्रो. हर्ष मेहता ने विश्व संस्कृत दिवस पर एक समाचार पत्र में छपी खबर संस्कृत के साथ आंबेडकर का उल्लेख करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति के लागू होने से उनके सपने साकार होंगे। इस समाचार के अनुसार भारत के कानून मंत्री डॉ. भीमराव अंबेडकर उन लोगों में शामिल थे, जो संस्कृत को भारतीय संघ की आधिकारिक भाषा बनाने की पैरवी कर रहे थे। इस प्रस्ताव में उनके साथ भारत के विदेश मामलों के उपमंत्री डॉ. बीवी केस्कर और बंगाल से आने वाले सांसद नजीरुद्दीन अहमद भी थे। आंबेडकर ने इन सदस्यों के साथ जो प्रस्ताव जवाहरलाल नेहरू की सरकार को सौंपा था, उसमें तीन बिदु थे। पहला था भारतीय संघ की भाषा संस्कृत बनाना। दूसरा प्रस्ताव बना कि आजादी के शुरुआती पंद्रह सालों तक अंग्रेजी आधिकारिक भाषा के रूप में प्रयोग में भले आती रहे, पर संस्कृत इसके सामानांतर राजभाषा के रूप में काम में ली जाए। पंद्रह साल बाद संस्कृत को संघ की आधिकारिक भाषा बना दिया जाए। आंबेडकर का यह सुझाव उस प्रस्ताव के संशोधन के लिए था, जिसमें राष्ट्रभाषा व्यवस्था परिषद अपने तीन प्रस्ताव अगस्त, 1949 में सरकार को दे चुकी थी। परिषद ने अपने प्रस्तावों में यह निश्चय किया था कि अंग्रेजी के स्थान पर हिदी निश्चित रीति से प्रतिष्ठित की जाए।