भक्तों का मुख्य मुख्य प्रयोजन गणेश को सर्वत्र देखना

गजानन चौक दातारपुर में विगत दस दिनों से महामंडलेश्वर महंत रमेश दास जी की अध्यक्षता एवं प्रधान बौबी कौशल तथा आध्यात्मिक विभूति ¨•ादा बाबा के संयोजन में जारी गणेशोत्सव में आज सैंट मेरी स्कूल के एमडी महेश शर्मा बतौर मुख्यातिथि पधारे थे उन्होंने गणेश वन्दन के बाद उपस्थिति को प्रवचन करते हुए कहा गणेशजी को मानने वालों का मुख्य प्रयोजन उनको सर्वत्र देखना है, गणेश अगर साधन है तो संसार के प्रत्येक कण में वह विद्यमान है। उन्होंने कहा उदाहरण के लिये तो जो साधन है वही गणेश है, जीवन को चलाने के लिये अनाज

By JagranEdited By: Publish:Sat, 22 Sep 2018 05:33 PM (IST) Updated:Sat, 22 Sep 2018 05:33 PM (IST)
भक्तों का मुख्य मुख्य प्रयोजन गणेश को सर्वत्र देखना
भक्तों का मुख्य मुख्य प्रयोजन गणेश को सर्वत्र देखना

संवाद सहयोगी, दातारपुर

गजानन चौक दातारपुर में विगत दस दिनों से महामंडलेश्वर महंत रमेश दास जी की अध्यक्षता एवं प्रधान बौबी कौशल तथा आध्यात्मिक विभूति ¨जदा बाबा के संयोजन में जारी गणेशोत्सव में सेंट मैरी स्कूल के एमडी महेश शर्मा बतौर मुख्यातिथि पधारे।

इस अवसर पर महेश शर्मा ने गणेश वंदन के बाद उपस्थिति से कहा कि गणेश जी को मानने वालों का मुख्य प्रयोजन उनको सर्वत्र देखना है। गणेश अगर साधन है, तो वह संसार के प्रत्येक कण में विद्यमान है। उन्होंने कहा उदाहरण के लिए जो साधन हैं वही गणेश है। जीवन को चलाने के लिए अनाज की आवश्यकता होती है, जीवन को चलाने का साधन अनाज है, तो अनाज गणेश है। अनाज को पैदा करने के लिए किसान की आवश्यकता होती है, तो किसान गणेश है। किसान को अनाज बोने और निकालने के लिए बैलों की आवश्यकता होती है तो बैल भी गणेश है। अनाज बोने के लिए खेत की आवश्यकता होती है, तो खेत गणेश है। अनाज को रखने के लिए भंडारण स्थान की आवश्यकता होती है, तो भंडारण का स्थान भी गणेश है। अनाज के घर में आने के बाद उसे पीसने के लिए चक्की की आवश्यकता होती है, तो चक्की भी गणेश है। चक्की से निकालकर रोटी बनाने के लिए तवे, चिमटे और रोटी बनाने वाले की आवश्यकता होती है, तो ये सभी गणेश हैं। खाने के लिये हाथों की आवश्यकता होती है, तो हाथ भी गणेश हैं। मुंह में खाने के लिये दांतों की आवश्यकता होती है, तो दांत भी गणेश हैं। कहने के लिए जो भी साधन जीवन में प्रयोग किए जाते हैं, वे सभी गणेश है। वह अकेले शंकर-पार्वती के पुत्र और देवता ही नहीं हैं।

महेश शर्मा ने कहा श्री गणेश जी को जन्म न देते हुए माता पार्वती ने उनके शरीर की रचना की। उस समय उनका मुख सामान्य था। माता पार्वती के स्नानागार में गणेश की रचना के बाद माता ने उनको घर की पहरेदारी करने का आदेश दिया। माता ने कहा कि जब तक वह स्नान कर रही हैं, तब तक के लिए गणेश किसी को भी घर में प्रवेश न करने दे। तभी द्वार पर भगवान शंकर आए और बोले, यह मेरा घर है। मुझे प्रवेश करने दो। गणेश के रोकने पर प्रभु ने गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। गणेश को भूमि में निर्जीव पड़ा देख माता पार्वती व्याकुल हो उठीं। तब शिव को उनकी त्रुटि का बोध हुआ और उन्होंने गणेश के धड़ पर गज का सिर लगा दिया। उनको प्रथम पूज्य का वरदान मिला। इसलिए सर्वप्रथम गणेश की पूजा होती है।

इस अवसर पर विभिन्न भजन मंडलियों ने गणेश जी की महिमा का गायन किया। खचाखच भरे पंडाल में हजारों श्रद्धालु रा˜िी 12 बजे तक भक्ति रस में सराबोर रहे। इस अवसर पर अमित शर्मा, ¨प्रसिपल पूजा शर्मा, ¨जदा बाबा, बृजमोहन पप्पू, विकास, राजेश महाजन, शाम लाल मौजी, डॉ. सुदर्शन चौहान, सुधा, अनीता, सतपाल शास्त्री, रविनंदन, नीलम बाला, अरुणा, ज्योति व प्रकाश डडवाल भी उपस्थित थे।

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