गन्ने के रकबे में आई कमी
सरकारों व मिल मालिकों की ओर से गन्ने की कीमत न बढ़ाने व बकाया राशि अदा न किए जाने के कारण गन्ने के रकबे में आई कमी है।
संवाद सहयोगी, काहनूवान : सरकारों व मिल मालिकों की ओर से गन्ने की कीमत न बढ़ाने व बकाया राशि अदा न किए जाने के कारण गन्ने के रकबे में आई कमी है। इससे किसानों के साथ-साथ मजदूर भी निराश हैं। मजदूर अब अपने राज्य लौटने लगने हैं। गन्ने की अदायगी न होने व गन्ने की कीमत न बढ़ाने से वर्ष 2019-20 के लिए किसानों ने गन्ने के रकबे में 40 फीसदी तक कमी कर दी है। इस कारण गन्ने की कटाई का सीजन इस वर्ष फरवरी माह के अंत तक बड़ी ही मुश्किल से चल सका। इस समय किसानों के खेतों में गन्ने की फसल लगभग खत्म हो चुकी है। इसके अलावा गन्ने की कटाई के लिए विभिन्न प्रदेशों से आते मजदूरों को भी पूरा सीजन काम न मिलने से उन्हें बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा। गन्ने का सीजन खत्म होने से अब मजदूर अपने घरों को लौट रहे हैं।
मजदूरों ने बातचीत करते हुए बताया कि वह बड़ी उम्मीदों से पंजाब में गन्ने की कटाई से कमाई करने के लिए आए थे। उनकी उम्मीदों अनुसार उन्हें मजदूरी नहीं मिली। यहां वह पिछले वर्षों में एक मजदूर को पचास हजार से अधिक मजदूरी मिल जाती थी। इस बार उन्हें आधी कमाई भी नहीं हो सकी।
राम बाबू, विनोद कुमार व पुरुषोत्तम आदि ने बताया कि अब वह शहरों की फैक्ट्रियों में काम करने के लिए नहीं जाएंगे। यदि पंजाब में गन्ने की फसल की ऐसे ही बेकद्री की जाती रही तो उन्हें रोजी रोटी के भी लाले पड़ जाएंगे।