3.20 लाख रुपये लेकर खाते में जमा नहीं कराने का आरोप

एक राष्ट्रीय बैंक के ब्रांच मैनेजर और रिकवरी एजेंट पर मिलीभगत कर उपभोक्ता से लोन के 3.20 लाख रुपये लेकर बैंक में जमा नहीं कराने का आरोप लगा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 06:09 PM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 06:09 PM (IST)
3.20 लाख रुपये लेकर खाते में जमा नहीं कराने का आरोप
3.20 लाख रुपये लेकर खाते में जमा नहीं कराने का आरोप

जागरण टीम, बटाला/श्री हरगोबिदपुर : एक राष्ट्रीय बैंक के ब्रांच मैनेजर और रिकवरी एजेंट पर मिलीभगत कर उपभोक्ता से लोन के 3.20 लाख रुपये लेकर बैंक में जमा नहीं कराने का आरोप लगा है। मामला कादियां के बैंक का है।

श्री हरगोबिदपुर के कुलजीत खोखर ने इस संबंध में बैंक के मुख्यालय (मुंबई) में बैंक मैनेजर और रिकवरी एजेंट के खिलाफ शिकायत पत्र भेजकर सख्त कार्रवाई करने की मांग की। कुलजीत ने अपने शिकायत पत्र में लिखा कि 2013 में घर बनाने के लिए उन्होंने बैंक से 15 लाख रुपये का ऋण लिया था। 2016 तक सभी किश्तें क्रमवार जारी थी। 2016 के भीतर जीएसटी और नोटबंदी लग जाने से उसके ऋण की किश्तें टूट गई। उसके बाद बैंक ने उसके खाता को एनपीए घोषित कर दिया। आरोप लगाए कि मार्च 2020 में कोरोना काल के दौरान बैंक के ब्रांच मैनेजर और रिकवरी एजेंट उसे बैंक की किश्तें जमा कराने के लिए तंग करने लगे। उसे रिकवरी एजेंट ने घर में आकर धमकाया कि अगर बैंक के पूरे पैसे जमा नहीं कराए तो घर पर बैंक कब्जा कर लेगा। इसके बाद उन्होंने अपने रिश्तेदारों से 3.20 लाख रुपये लेकर बैंक मैनेजर और रिकवरी एजेंट को दिए। अब तक उन पैसों की उसे रसीद तक नहीं दी गई। अब ये दोनों उक्त पैसे नहीं लेने की बात कह रहे हैं। बैंक को लीगल नोटिस भेजा

शिकायतकर्ता ने मैनेजर और रिकवरी एजेंट के खिलाफ लीगल नोटिस भेजा है। लीगल नोटिस में विवरण किया गया कि उसके साथ दोनों ने ठगी मारी है। इसके अलावा चंडीगढ़ मुख्यालय को भी नोटिस जारी किया गया। डेढ़ साल से था लोन उपभोक्ता डिफाल्टर : मैनेजर

बैंक के ब्रांच मैनेजर ने बताया कि लोन उपभोक्ता डेढ़ वर्ष से डिफाल्टर था। बैंक की रिकवरी एजेंसी द्वारा उसे कई बार लीगल नोटिस भेजे गए, मगर उसने कोई पैसा जमा नहीं कराया। 3.20 लाख रुपये देने का आरोप गलत है। उधर, रिकवरी एजेंट ने बताया की कि आजतक उन्होंने ऋण उपभोक्ता से नकद में घर पैसे नहीं लिया। बैंक के नियमों के मुताबिक हर उपभोक्ता को बैंक में ही पैसे जमा कराने के लिए बोला जाता है। उन्होंने शिकायतकर्ता से कोई पैसा नहीं लिया।

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