25 सालों से चल रहा संघर्ष, लेकिन बटाला को नहीं बनाया गया जिला

बटाला विधानसभा में सबसे बड़ा मुद्दा इस समय बटाला को पूर्व रूप से जिला बनाना है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 28 Jan 2022 07:33 PM (IST) Updated:Fri, 28 Jan 2022 07:33 PM (IST)
25 सालों से चल रहा संघर्ष, लेकिन बटाला को नहीं बनाया गया जिला
25 सालों से चल रहा संघर्ष, लेकिन बटाला को नहीं बनाया गया जिला

जागरण संवाददाता, बटाला : बटाला विधानसभा में सबसे बड़ा मुद्दा इस समय बटाला को पूर्व रूप से जिला बनाना है। इसके लिए पिछले करीब 25 साल से इस मुद्दे को स्थानीए लोग उठाते रहे हैं, लेकिन किसी पार्टी ने लोगों की मांग की तरफ ध्यान नहीं दिया। इस दौरान जिला बनाने की मांग करने वालों ने भूख हड़ताल, मरण व्रत से लेकर आत्महत्या तक करनी की कोशिश भी की थी। यहां तक कि राज्यसभा सदस्य प्रताप बाजवा समेत मंत्री तृप्त राजिदर बाजवा ने भी मुख्यमंत्री को लिखे। इसके बावजूद भी बटाला जिला नहीं बनाया गया। इस बार बटाला को जिला बनाने का मुद्दा मुख्य तौर पर रहेगा।

बटाला के लोगों का कहना है कि बटाला आतंकवाद के दौरान पुलिस जिला बनाया गया था, जिसे आज भी सरकार जारी रखे हुए है। जिला रोजगार दफ्तर भी बटाला में था, जिसे करीब दो साल पहले बटाला से शिफ्ट कर दोबारा गुरदासपुर भेज दिया गया। जिला उद्योग का दफ्तर बटाला में है। पंजाब रोडवेज का जिला डिपो बटाला में है। इसके बावजूद भी बटाला को जिला नहीं बनाया जा रहा। चुनावों के ऐलान से करीब तीन महीने पहले एक बार फिर से विभिन्न संगठनों ने सरकार और जिले के मंत्रियों के खिलाफ बटाला को जिला न बनाने के आरोप भी लगाए थे। इस बारे में राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने भी पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को बटाला को जिला बनाने के लिए पत्र लिखा था। इसके बाद राजनीति गर्मा गई थी, लेकिन उसका भी फायदा नहीं मिला। 30

चुनाव में मंत्रियों का बायकाट

एडवोकेट जतिदर माना ने कहा कि जिले के उप मुख्यामंत्री सुखजिदर सिंह रंधवा, एक कैबिनेट मंत्री तृप्त राजिदर सिंह बाजवा ने बटाला को जिला बनाने में दिलचस्पी ही नहीं दिखाई। इस बार बटाला के वकीलों ने कांग्रेस के बायकाट का फैसला किया है। इन मंत्रियों और बटाला से कांग्रेस के उम्मीदवार अश्वनी सेखड़ी को पहले से ही यह चेतावनी दे दी गई थी। 31

विनय महाजन ने कहा कांग्रेस लोगों को टालती आ रही है। जब सुखजिदर रंधावा कैबिनेट मंत्री थे और तृप्त बाजवा भी मंत्री थे। इन दोनों ने ही तब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह को पत्र लिखा कर बटाला को जिला बनाने का ढोंग रचा और कैप्टन को मुख्यमंत्री के पद से खुद ही उसे उतार दिया। श्री गुरु नानक देव जी के 550 वें प्रकाशोत्सव पर भी लोगों को बटाला जिला बनने की उम्मीद थी वह भी इन लोगों ने धूमिल कर दी। कांग्रेस अब चुनावी मौसम में एक बार फिर से बटाला को जिला बनाने का लोगों को लालीपाप दे रही है। बटाला को जिला बनाने के लिए चला संघर्ष

एडवोकेट जतिदर माना ने कहा कि जब मुख्यमंत्री हरचरण सिंह बराड़ थे तब से बटाला को जिला बनाने की मांग सितंबर 1995 से लेकर जनवरी 1996 तक पूरे जोर शोर के साथ शुरू की गई थी। उस दौरान भूख हड़ताल शुरू की गई, बाद में मास्टर यश आजान ने मरण व्रत रख लिया। उसके 16 दिनों बाद पुलिस ने उन्हें जबरदस्ती उठा लिया। फिर महिला कांग्रेस की सुदेश उप्पल ने आत्मदाह करने की कोशिश भी की थी, लेकिन उसे पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। फिर एडवोकेट रघुबीर संधू ने 20 दिन मरण व्रत रखा और उसके बाद तब के मंत्री संतोख सिंह रंधावा ने मीटिग कर जिला बनाने की मांग कर रहे लोगों के डेलीगेट से चंडीगढ़ में मुख्यामंत्री के साथ मीटिग करवाई थी। उस दौरान मुख्यामंत्री ने डेलिगेट से लिखित में 25 जनवरी 1996 को दिया कि बटाला के विकास के लिए 40 करोड़ रुपये, मिनी सचिवालय और सेशन जज की पोस्ट दी बटाला में बना दी जाएगी और तैनाती कर दी जाएगी। इसके बाद एडीसी एक महीना ही बटाला में बैठे, लेकिन बाद में वापस गुरदासपुर चले गए।

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