म‍निंदर की अफसर बनने की ख्वाहिश रह गई अधूरी, लेकिन यूूं बन गया सरताज

पुलवामा में हुए आत्‍मघाती आतंकी हमले में शहीद हुए मनिंदर सिंह ने पिता से कहा था कि अफसर बनूंगा उसके बाद ही शादी करुंगा। वह अफसर तो नहीं बन सके, लेकिन शहादत दे सरजात बन गए।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sat, 16 Feb 2019 10:04 AM (IST) Updated:Sat, 16 Feb 2019 06:30 PM (IST)
म‍निंदर की अफसर बनने की ख्वाहिश रह गई अधूरी, लेकिन यूूं बन गया सरताज
म‍निंदर की अफसर बनने की ख्वाहिश रह गई अधूरी, लेकिन यूूं बन गया सरताज

सुनील थानेवालिया, अशोक दीनानगर (गुरदासपुर)। देश पर कुर्बान हो गए मनिंदर सिंह अफसर बनना चाहते थे। उन्‍होंने अपने पिता से कहा था, बापू... पहले अफसर बनूंगा, उसके बाद शादी करूंगा। जब भी मनिंदर से शादी की बात करता तो उसका यही जवाब होता था। मनिंदर की अफसर बनने की ख्‍वाहिश तो अधूरी रह गई, लेकिन शहादत देकर वह सरताज बन गए।

पिता से कहा था- बापू पहले अफसर बनूंगा, उसके बाद करूंगा शादी

मनिंदर कि पिता दीनानगर के मोहल्ला आरिया नगर के पिता सतपाल सिंह रुंधे गले से बोले, वह मुझे एक अफसर का पिता कहलवाना चाहता था, लेकिन आज देश में जान न्योछावर कर मुझे शहीद का पिता होने का गौरव दिलाकर अमर हो गया। वह आंसू भरी आंखों और रुंधे गले से बोले, बेटे पर नाज है।  बेटा अकसर यही कहता था कि एक दिन अफसर बनेगा। उन्हें उस पर नाज होगा। बेटे की बातें सुनकर जो सुकून मिलता था, उसे बयां नहीं कर सकता। लेकिन, आज वह शहीद का पिता होने का गाैरव देकर चला गया।

शहीद मनिंदर के पिता सतपाल सिंह।

वर्दी पहन घर पहुंचने पर पता चला था कि बेटा सीआरपीएफ में भर्ती हो गया

पिता ने बताया मनिंदर पढ़ाई में काफी होशियार था। पांचवीं के बाद वह नवोदय विद्यालय में चयनित हो गया। पढ़ाई का बोझ भी पिता के कंधों से हटा दिया था। मनिंदर ने 12वीं के बाद आइटी में तीन साल डिप्लोमा किया। पढ़ाई के बाद 2017में मनिंदर को बेंगलुरु में एक कंपनी में नौकरी मिल गई। नौकरी करते समय ही वह स्पोट्र्स कोटे से सीआरपीएफ में बतौर कांस्टेबल भर्ती हो गया। भर्ती होने का पता परिवार को उस वक्त चला जब वह वर्दी पहनकर घर आया। उसके बाद भी मनिंदर अफसर बनना चाहता था। सीआरपीएफ में सेवाएं देने के साथ ही उसने सीआइडी में अफसर का टेस्ट पास कर लिया था। इस संबंध में उसकी वेरिफिकेशन भी हो चुकी थी।

शायद भगवान नहीं चाहता था किसी बेटी की जिंदगी खराब हो

सतपाल सिंह कहते हैं कि मनिंदर की मां राज कुमारी का करीब नौ साल पहले निधन हो गया था। दोनों बेटे सीआरपीएफ में तैनात हो गए। तीन बेटियों की शादी के बाद वे घर पर अकेले थे। मनिंदर को अकसर कहते थे कि खाना बनाने में अब मुश्किल होती है। शादी कर ले, लेकिन वह यही कहता था कि पहले वह अफसर बनना चाहता है। शायद भगवान नहीं चाहता था कि शादी करके वह किसी की बेटी की जिंदगी खराब करे।

शहीद मनिंदर के घर पर शोक में डूबीं महिलाएं।

बेटे के हाथ से पी थी आखिरी चाय, अंतिम सांस तक रहेगी याद

सतपाल कहते हैं मंनिदर ड्यूटी पर लौट रहा था। सुबह उठकर उसने खुद चाय बनाई। हम दोनों ने चाय इकट्ठे बैठकर पी। बेटे के हाथ से बनी वह चाय मरते दम तक याद रहेगी। कभी सोचा नहीं था कि बेटे के हाथ से बनी आखिरी चाय पी रहा हूं। जब उसे बस पर चढ़ाकर वापस आया था उस वक्त अजीब सा महसूस हो रहा था। बुधवार शाम को सात बजे उसका फोन आया कि वह पहुंच गया है। फिर वीरवार को शहादत काी खबर आई।

एक ही दिन उसका फोन नहीं आया, तो शहादत की खबर आ गई

सतपाल कहते हैं, मनिंदर परिवार का बहुत ख्याल रखता था। ड्यूटी के दौरान हर रोज फोन पर बात कर सभी का हालचाल पूछता था। सिर्फ 14 फरवरी को ही उसका फोन नहीं आया। वह इस बारे में सोच ही रहे थे कि बेटे की शहादत की सूचना देने के लिए फोन आ गया।

13 फरवरी को ही छुट्टी काटकर गया था ड्यूटी पर

मनिंदर 2018 में ही सीआरपीएफ में भर्ती हुआ था। उसने 30 जनवरी तक छुट्टी ली थी, लेकिन बाद में बर्फबारी के कारण रास्ते बंद होने के बाद उसने 13 फरवरी तक छुट्टी बढ़ा ली थी। बुधवार सुबह 5.15 बजे वह वापस गया था। उसका छोटा भाई लखबीर सिंह भी सीआरपीएफ में है। वह असम में तैनात है।

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