नियमों को दरकिनार कर शहर में धड़ल्ले से बिक रहे है पटाखें

देश की उ'चतम न्यायलय के आदेशों को इस बार दरकिनार कर शहर की रिहायशी इलाकों में करोड़ों का पटाखा बिक रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 04 Nov 2018 11:02 PM (IST) Updated:Sun, 04 Nov 2018 11:02 PM (IST)
नियमों को दरकिनार कर शहर में धड़ल्ले से बिक रहे है पटाखें
नियमों को दरकिनार कर शहर में धड़ल्ले से बिक रहे है पटाखें

विनय कोछड़, बटाला: देश की उच्चतम न्यायलय के आदेशों को इस बार दरकिनार कर शहर की रिहायशी इलाकों में करोड़ों का पटाखा बिक रहा है। शहर का अधिकतर रिहायशी क्षेत्र बारुद के ढेर पर है। ऐसे में प्रशासन हाथ पे हाथ धरे बैठा है। शहर की कुल मिलाकर ढाई लाख की आबादी है, जिन्हें जोखिम भरी ¨जदगी जीने के मजबूर होना पड़ रहा है। प्रशासन ने 22 पटाखों विक्रताओं को पुरानें नियमों के आधार पर

लाइसेंस जारी कर दिए गए। गौरतलब है कि हर बार देश में दीवाली पर्व के पास भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में पटाखों की वजह से हादसे होते हैं। अब तक

लाखों लोग अपनी जान गवा चुके हैं। देश के उच्चतम न्यायलय के सख्त आदेशों के बावजूद नियमों को दरकिनार कर बटाला के भीड़भाड़ वाले इलाकों में पटाखें बिक रहे है। सिविल प्रशासन के मुताबिक उन्होंने इस बार जिला गुरदासपुर में 22 लोगों को पटाखा बेचने का लाइसैंस जारी किया, जिनमें 16 गुरदासपुर व 6 बटाला में जारी किए गए। लेकिन शहर में पटाखा बेचने वालों की गिनती सैंकड़ों है। उनके खिलाफ अब तक प्रशासन कोई कार्रवाई नही कर

पाया। हौसले बुलंद इन दुकानदारों के पास लाइसेंस भी नही है। इसके

बावजूद वे पटाखा बेच रहे है। बता दें कि पिछले साल गुररामदास कालोनी में एक रिहायशी इलाका पटाखा फैक्टरी में आग लग गई। आग में 3 मजदूर बुरी तरह झुलस गए। अस्पताल में भर्ती कराया। एक की हालत ज्यादा गंभीर होने के कारण उसे ठीक होने में कई माह लग गए। प्रशासन ने फैक्टरी जसपाल के खिलाफ थाना सिविल लाइन में मामला दर्ज हुआ। बाद में झुलसे मजदूर के इलाज व आर्थिक

मदद का भरोसा मिलने के बाद दोनों पक्षों में रजामंदी हो गई। पिछले दिनों

प्रशासन ने एक पटाखा बेचने वाले दुकानदार के खिलाफ गंभीरता से कार्रवाई करते उसके गोदाम को सील कर दिया। इतना कुछ होने के बावजूद शहर में अब भी बारुदी पटाखा धड़ल्ले से बिक रहा है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश

सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक रिहायशी इलाकों में पटाखें नहीं बेचे जा सकते। पटाखा विक्रेता अगर हर प्रकार की कंडीशन मानता है तो उसे लाइसेंस जारी किया जाए। शहर से पांच किलोमीटर दूर पटाखा बेचने की अनुमति दी गई। पटाखा बेचने वाले के जहां काम करने वालों को अपातकालीन स्थिति को निपटने के लिए

स्पेशल ट्रे¨नग होनी चाहिए। फर्श पर पेंट होना चाहिए। स्लैप गन पाऊडर का

मापदंड होना चाहिए। ये सारी कंडीशन एक्सपूलजन एक्ट-2008 में लिखी गई है। कुल मिलाकर शहर के पटाखा बेचने वाले ने एक कंडीशन पर खरा नही उतर पाया, उसके बावजूद जिला प्रशासन ने इन्हें पटाखा बेचने के लिए लाइसैंस जारी कर

दिया।

बिना मापदंड चेक किए प्रशासन ने तीन को जारी किए लाइसेंस

बटाला के तीन ऐसे पटाखा बड़े बिक्रेता है, जिनकी जगह को बिना

मापदंड चैक किए प्रशासन ने लाइसेंस जारी कर दिए। उनमें बावा ¨सह एंड सतनाम ¨सह सनस, शाम लाल एंड कंपनी व शिव बुक डिपो है। इनमें शिव बुक डिपो का प्रशासन ने दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद उनका गोदाम सील कर दिया, जबकि जालंधर रोड पर गुररामदास कालौनी व उमरपुरा रोड में

स्थित शाम लाल एंड सन्स के खिलाफ सिविल प्रशासन ने कोई कार्रवाई नही की। ये दुकानदार व पटाखा फैक्ट्री मालिक अदालत के आदेशों मुताबिक बिल्कुल फेल

पाए गए।

प्रशासन एक दूसरे पर थौंप रहे जिम्मेंदारी

पटाखों के खिलाफ निकाली गई नई रु¨लग को लेकर प्रशासन कितना

संजीदा है, इसे दैनिक जागरण ने डीसी विपुल उज्जवल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनके पास पटाखा बेचने वालों को लाइसैंस जारी करने का

अधिकार है। वहीं एसडीएम रोहित गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वह तो डीसी के आदेशों पर ही कोई कार्रवाई कर सकते है। कुला मिलाकर इस गंभीर मामले को लेकर प्रशासन के दो आलाधिकारी अपनी-अपनी जिम्मेंदारी से

भाग रहे है।

जांच करवा लेता हूं कार्रवाई होगी

इस संबंध में डीसी विपुल उज्जवल से बात की गई तो उन्होंने बताया

कि वे शहर के रिहायशी इलाकों में बेचने वाले पटाखा विक्रेताओं की जांच

करवा लेते है, अगर उनमें कोई कमी पाई जाती है, तो उनके खिलाफ कानूनी

कार्रवाई की जाएगी।

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