धर्मेद्र के परिवार का गुरदासपुर से है इंसानियत का रिश्‍ता, जानें क्‍या है यह खास नाता

सदाबहार बॉलीवुड एक्‍टर धर्मेंद्र का गुरदासपुर से खास नाता है और यह इंसानियत का रिश्‍ता। यह सामने आया धर्मेंद्र के नए पहलू का खुलासा हुआ।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sat, 18 May 2019 09:21 AM (IST) Updated:Sat, 18 May 2019 02:19 PM (IST)
धर्मेद्र के परिवार का गुरदासपुर से है इंसानियत का रिश्‍ता, जानें क्‍या है यह खास नाता
धर्मेद्र के परिवार का गुरदासपुर से है इंसानियत का रिश्‍ता, जानें क्‍या है यह खास नाता

गुरदासपुर, [सुनील थानेवालिया]। सदाबहार फिल्‍म कलाकार धर्मेंद्र ने तो अभिनव के सभी रंग दिखाए हैं, लेकिन यहां उनके व्‍यक्तित्‍व का खास पहलू उजागर हुआ और वह है इंसानियत का पहलू। धर्मेंद्र व उनके परिवार का पंजाब से गहरा रिश्ता है, क्योंकि उनका जन्म ही पंजाब में हुआ। लेकिन, धर्म परिवार का गुरदासपुर से नाता 50 साल पुराना है। यह रिश्ता बेहद खास है और पहलवान गुरबचन सिंह गुरदासपुरिया के  माध्यम से जुड़ा है। गुरबचन सिंह धर्मेंद्र के भरोसेमंद लोगों में से एक हैं।

'पहलवान' ने तैयार किया सनी का 'सियासी अखाड़ा'

1970 में गुरदासपुर से मुंबई पहुंचे गुरबचन को धर्मेंद्र सिंह देयोल के परिवार ने ही सहारा दिया था। अब इसी इंसानियत का रिश्ता निभाते हुए गुरबचनसिंह ने गुरदासपुर से चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी धर्मेंद्र के बेटे सनी देयोल के सियासी अखाड़े की जमीन तैयार की। गुरदासपुर के राजनीतिक, सामाजिक व जमीनी हकीकत से भलीभांति वाकिफ गुरबचन अब सनी देयोल के प्रचार के लिए दिन रात एक किए रहे।

गुरबचन सिंह गुरदासपुरिया।

पिता धर्मेंद्र के खासमखास हैं गुरदासपुर के पहलवान गुरबचन सिंह, प्रचार के लिए दिन रात एक किया

जागरण से विशेष बातचीत में गुरबचन ने बताया कि एक बार बचपन में वह देव आनंद को देखने को लिए एक वृक्ष पर चढ़ गए। पेड़ से गिरकर उन्हें चोट लग गई। जब वह घर पहुंचे तो उनके पिता ने डांटा और कहा कि तुम भी खुद को इस काबिल बनाओ कि लोग तुम्हें देखने के लिए आएं। ये बात उनके दिल को लग गई। उनके पिता 1970 में बटाला से बतौर तहसीलदार सेवानिवृत्त हुए थे। इससे पहले तरनतारन में ड्यूटी के दौरान उनकी अमृतसर के स्टेशन मास्टर मनोहर लाल से अच्छी दोस्ती थी।

गुरदासपुर वालों के ठुकराने के बाद 1970 में धर्मेंद्र ने मुंबई में गुरबचन सिंह को दिया था सहारा

1960 से 1965 तक धर्मेंद्र के भाई अजीत सिंह देयोल भी रेलवे में नौकरी करते थे। मनोहर लाल अजीत के काफी करीबी थे। धर्मेंद्र के मुंबई में सेट होने के बाद उन्होंने अपने भाई अजीत को भी वहीं पर बुला लिया। गुरबचन ने बताया कि उनका फिल्‍मों में काम करने का शौक चढ़ा। उन्‍होंने पिता से यह बात कही। कुछ समय बाद उनके पिता ने मनोहर लाल के माध्यम से जिले के श्रीहरगोबिंदपुर के रहने वाले डायरेक्टर राज खोसला, घरोटा के देवानंद, दारा सिंह और धर्मेंद्र के नाम की चिट्ठी लेकर दी और वह मुंबई पहुंच गए।

गुरबचन ने बताया कि सबसे पहले वह दारा सिंह के पास पहुंचे तो उन्होंने उनका सामान अपनी गैरेज में रखवाया और बोले कि यह लाइन अच्छी नहीं है। इसके बाद वह देवानंद और राज खोसला के पास गए, लेकिन उन्होंने भी मदद नहीं की। आखिर में वह धर्मेंद्र के पास पहुंचे तो उस समय घर में अजीत सिंह देयोल भी मौजूद थे। धर्मेंद्र ने उन्हें अपने घर पर रखा और वह तीन साल तक उनके पास रहे। 1973 में अजय देवगन के पिता वीरू देवगन धर्मेंद्र के घर आए तो उन्होंने उन्हें फिल्मों में काम दिलवाया। इसके बाद वह वहीं पर सेट हो गए।

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विनोद खन्ना के अधूरे कार्यों को पूरा करेंगे सनी

गुरबचन सिंह ने कहा कि वह गुरदासपुर के कस्बा तारागढ़ के गांव भटोया के रहने वाले हैं। वह गुरदासपुर की समस्याओं को भलीभांति परिचित हैं। रावी और ब्यास दरिया की मार से यहां के लोग काफी परेशान रहते हैं। विनोद खन्ना जब गुरदासपुर के सांसद बने तो उन्होंने दोनों दरियाओं पर पुल बनवा लोगों को राहत दी। अब उनके अधूरे कार्यों को सनी देयोल पूरा करेंगे।

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धर्मेंद्र के परिवार से सीखा प्यार निभाना

गुरबचन का कहना है कि अगर किसी को प्यार निभाना सीखना है तो वह धर्मेंद्र के परिवार से सीखे। देयोल परिवार ने हर पंजाबी को अपना समझा और उसकी मदद की है। अगर वह मुंबई में सेट हो पाए हैंं तो वह केवल धर्मेंद्र के परिवार के कारण। आज भी धर्मेंद्र का परिवार उनका अपना परिवार है।

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धर्मेंद्र ने स्टेशन का नाम अपने नाम पर रखने से कर दिया था मना

गुरबचन सिंह ने बताया कि धर्मेंद्र में बसे अच्छे इंसान की पहचान इस बात से होती है कि जब वह मुंबई में काफी मशहूर हो गए थे तो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनके गांव साहनेवाल के रेलवे स्टेशन का नाम उनके नाम से रखने की पेशकश की थी। इस पर धर्मेंद्र ने उन्हें यह कहते हुए मना कर दिया कि साहनेवाल ने धर्मेंद्र को पैदा किया है, धर्मेंद्र ने साहनेवाल को नहीं।

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