आनलाइन शिक्षा से बच्चों की भाषा और विचारों का रूप बदल रहा

आनलाइन शिक्षा ने भले ही सभी को नई टेक्नोलाजी से रूबरू करवा दिया हो लेकिन सब कुछ आनलाइन शिक्षा से संभव नहीं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 07 Jun 2021 10:09 PM (IST) Updated:Mon, 07 Jun 2021 10:09 PM (IST)
आनलाइन शिक्षा से बच्चों की भाषा और विचारों का रूप बदल रहा
आनलाइन शिक्षा से बच्चों की भाषा और विचारों का रूप बदल रहा

जतिंद्र पिंकल, फिरोजपुर : आनलाइन शिक्षा ने भले ही सभी को नई टेक्नोलाजी से रूबरू करवा दिया हो, लेकिन सब कुछ आनलाइन शिक्षा से संभव नहीं। मौजूदा दौर में बच्चों की भाषा व विचारों का रूप काफी बदल रहा है जो किसी भी तरह से उन्हें जिंदगी में सफल इंसान नहीं बना सकता। ऐसे में बच्चों को मानसिक तौर पर काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। आरएसडी कालेज के प्रिंसिपल डा. दिनेश शर्मा ने कोरोना की विकट परिस्थितियों में शिक्षा के हो रहे नुकसान पर बात की। कालेज के प्रिंसिपल की जिम्मेदारी संभाल रहे डा. दिनेश शर्मा ने कोरोना के संकट की शुरुआत से लेकर मौजूदा समय में किस प्रकार से बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था बनाई जाए पर बात की। सवाल : आनलाइन शिक्षा में नई टेक्नोलाजी का जो रूप सामने आया है वह कितना सही है?

जवाब : सही मायनों में जो भी टेक्नोलाजी आती है वह एक नई क्राति लेकर आती है लेकिन इस बार यह क्राति सही मायनों में बच्चों को इस टेक्नोलाजी का गुलाम बना रही है। सवाल : आनलाइन शिक्षा का रूप या आफलाइन का रूप क्या है?

जवाब : आफलाइन शिक्षा का रूप अधिक सही था क्योंकि बच्चों को क्या व कितना समझ आ रहा है वह उसी समय अध्यापक जान जाते थे। आनलाइन शिक्षा के जरिए बच्चे भले ही पढ़ रहे हैं लेकिन सही मायनों में बच्चे रियल एजुकेशन से दूर हो रहे हैं खास तौर पर वे बच्चे जिन्होंने पहली बार कालेज तक का सफर तय करना था। कालेज के माहौल को शारीरक व मानसिक तौर पर एक नए तुजुर्बे के रूप में महसूस करना बच्चों के लिए शायद सपना बन कर रह गया है। सवाल : आनलाइन शिक्षा के कारण बच्चों की भाषा व उनके विचारों में काफी अंतर देखने को मिलने की चर्चाएं भी हो रही हैं? क्या यह सच है? जवाब : यह सच है कि आनलाइन शिक्षा के चलते बच्चों की भाषा व विचारों में पहले जैसी पाकीजगी नहीं रही है। वजह साफ है कि कालेज जाना बच्चों की जिंदगी की एक ऐसी रूटीन होता था जिसमें पढ़ाई से लेकर अपने दोस्तों के साथ पारिवारिक व अन्य बातें शेयर करना भी शामिल होता था जिससे जहा वह पढ़ाई के लिए आपस में चर्चा करके नये तरीके ढूंढते थे वहीं पर आपस में दोस्ती व एक सामाजिक रिश्ता कायम होता था जो जिंदगी में और बेहतर करने के लिए प्रेरित करता था। आफलाइन के जरिये बच्चे चिड़चिड़े हो रहे हैं। सवाल : सारी पढ़ाई आनलाइन में की जा सकती है तो फिर आफलाइन की जरूरत पर जोर क्यों? जवाब : यह संभव ही नहीं है कि सारी पढ़ाई आनलाइन की जा सकती है क्योंकि कई ऐसे विषय हैं जिन्हें पै्रक्टीकल के तौर पर ही किया जा सकता है जैसे अकाउंट्स, साइंस, कंप्यूटर के अलावा बीएड, पोस्ट ग्रेजुएट के लिए व इसके साथ ही एमएससी केमिस्ट्री जिसमें लैब का महत्वपूर्ण रोल है और इसके बगैर पढ़ाई मुकम्मल ही नहीं हो सकती इसे आनलाइन कैसे करवा सकते हैं। इसलिए बेहद जरूरत है कि प्रैक्टिकल के लिए बच्चों को कालेज बुलाया जा सके। इसमें मात्र 10-10 बच्चों का सेट बनाकर फिजिकल डिस्टेंस का खास ध्यान रखते हुए इसे करवाया जा सकता है। जबकि कोविड के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है। सवाल : बच्चों की पढ़ाई, उनके मानसिक स्तर को सही रखना, एक प्रिंसिपल के तौर पर कैसी चुनौती मान रहे हैं? जवाब : आनलाइन पढ़ाई के कारण बच्चों की अकादमिक परफार्मेंस लगातार गिरता जा रही है वहीं अध्यापकों को भी बच्चों के मानसिक स्तर को समझ पाने में मुश्किलें आ रही हैं। क्योंकि यदि आनलाइन व आफलाइन का मिक्सचर होता तो भी सही कंबीनेशन था लेकिन सिर्फ आनलाइन शिक्षा से सभी संभव हो ऐसे सोचना ही गलत है। इसके बावजूद वह जूम मीटिंग के जरिये सभी अध्यापकों को वर्क फ्राम होम के साथ ही इस बात के लिए भी प्रेरत करते रहते हैं कि पढ़ाई के साथ बच्चों की बोलचाल व व्यवहार के जरिये पता लगाते रहें ताकि बच्चों के मानसिक स्तर को सही व दृढ़ बनाकर रखा जा सके।

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