राज्यपाल ने पूछा- कहां से हो जवान, जवाब मिला- हिंदुस्तान से हूं श्रीमान्

भारत-पाक सीमा की सादकी चौकी पर बीएसएफ के जवान से जब राज्यपाल ने पूछा कहां से हो तो उसने जवाब दिया हिंदुस्तान से हूं श्रीमान्।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sat, 16 Dec 2017 08:23 PM (IST) Updated:Sun, 17 Dec 2017 07:27 PM (IST)
राज्यपाल ने पूछा- कहां से हो जवान, जवाब मिला- हिंदुस्तान से हूं श्रीमान्
राज्यपाल ने पूछा- कहां से हो जवान, जवाब मिला- हिंदुस्तान से हूं श्रीमान्

फाजिल्का [अमृत सचदेवा]। हजारों भाषाएं, अलग खानपान और वेशभूषा फिर भी देशभक्ति ही एक ऐसा आपसी प्यार है जो पूरे देश को एकसूत्र में पिरोए रखता है। भारत-पाक सीमा की सादकी चौकी पर बीएसएफ के जवान ने शनिवार को देशभक्ति की ऐसी ही मिसाल पेश की। रिट्रीट सेरेमनी के बाद राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर जवानों से मुलाकात करने लगे तो उन्होंने पहले जवान एके मीणा से पूछा 'कहां से हो जवान। जवान ने उत्तर में कहा 'हिंदुस्तान से हूं श्रीमान्।'

जवान के इस जवाब ने राज्यपाल और उपस्थित सैकड़ों लोगों का सीना गर्व से चौड़ा करवा दिया। कुछ पल के लिए राज्यपाल भी जवान को जवाब सुन ठहर गए। हालांकि बाद में सभी जवानों ने अपने नाम के साथ अपने प्रदेश का पता भी बताया। इससे पहले विजय दिवस के मौके पर राज्यपाल 1971 के युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को नमन करने शनिवार को सादकी चौकी पहुंचे। यहां पर राज्यपाल ने शहीदों को नमन किया और रिट्रीट सेरेमनी भी देखी। सादकी चौकी पहुंचने पर बीएसएफ के अबोहर रेंज के डीआइजी मधुसूदन शर्मा ने राज्यपाल का स्वागत किया।

भारतीयों का जोश देश हड़बड़ाए पाक रेंजर से गिरी राइफल

रिट्रीट सेरेमनी के दौरान भारतीय जवान पूरे जोश में परेड कर रहे थे। भारतीय खेमे में भारत माता की जयकारे गूंज रहे थे। सीमा पार से भारतीय खेमे को जोश दिखाने के समय पाक रेंजर इतना हड़बड़ा गया कि उसकी राइफल नीचे गिर गई और पाक दर्शकों का शोर एकदम थम गया जबकि भारतीय दर्शकों ने हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे पूरे जोश से लगाना शुरू कर दिए। 

देश पर निसार सैनिकों के आगे नतमस्तक होने आया हूं : राज्यपाल

राज्यपाल बदनौर ने कहा कि 'मैं खुशकिस्मत हूं कि मुझे ऐसे मौके पर बुलाया गया है जब पूरा देश पाकिस्तान पर जीत का जश्न मना रहा है। मैं यहां 1971 और उससे पहले 1965 में देश के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले वीरों के आगे नतमस्तक होने आया हूं।

मेरे पैर में गाली लगी और छूट गया मेजर नारायण का साथ : वीर अभिमन्यु

मैंने उस महान शख्सियत के साथ युद्ध लड़ा है, जिसने दुश्मन से नौ गुणा कम संख्या में होने के बावजूद उसे फाजिल्का से खदेड़ दिया था। मेजर नारायण सिंह 1971 की लड़ाई में हिस्सा लेने वाले जवानों के हीरो थे। दुश्मन को उसके घर में घुसकर उन्होंने मार गिराया और वीरगति को प्राप्त किया। आज भी मुझे उस पल का अफसोस है, जब मेरे पैर में गोली लग गई और मुझे अस्पताल भेज दिया गया। उस वक्त मेरा मेजर नारायण सिंह से साथ छूट गया।

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1971 के युद्ध में मेजर नारायण सिंह के साथ हिस्सा लेने वाले वीर अभिमन्यु ने शनिवार को दैनिक जागरण से यादें सांझा की। वे फाजिल्का में निकाली गई विक्ट्री परेड में हिस्सा लेने पहुंचे। दिल्ली के रहने वाले अभिमन्यु ने बताया तीन दिसंबर 1971 की शाम को पाक रेंजरों ने गांव बेरीवाला के पुल पर कब्जा कर लिया। उनकी बटालियन 15 राजपूत ने मेजर नारायण सिंह की अगुवाई में दुश्मन को फाजिल्का पहुंचने से पहले ही खदेड़ दिया। दुश्मन के मुकाबले हम नौ गुना कम थे।

पाक सेना के पूर्व अध्यक्ष के भाई को युद्ध में मार गिराया था मेजर ने

मेजर नारायण सिंह ने पाक सेना के पूर्व अध्यक्ष के भाई को युद्ध में मार गिराया था और खुद भी शहीद हो गए थे। अभिमन्यु हर साल अपने साथी शहीद सैनिकों को नमन करने 16 दिसंबर को आसफवाला आते हैं।

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