इस बार अमावस्या पर बन रहा विशेष संयोग, पितरों को प्रसन्न करने के लिए करें ये काम

28 सितंबर यानी शनिवार को पितृपक्ष समाप्त हो रहा है। पितृ पक्ष पूर्णिमा से आरंभ होकर अमावस्या को समाप्त होता है। इस बार अमावस्या पर विशेष संयोग बन रहा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Thu, 26 Sep 2019 03:42 PM (IST) Updated:Fri, 27 Sep 2019 08:50 PM (IST)
इस बार अमावस्या पर बन रहा विशेष संयोग, पितरों को प्रसन्न करने के लिए करें ये काम
इस बार अमावस्या पर बन रहा विशेष संयोग, पितरों को प्रसन्न करने के लिए करें ये काम

जेएनएन, कोटकपुरा [फरीदकोट]। 28 सितंबर यानी शनिवार को पितृपक्ष समाप्त हो रहा है। पितृ पक्ष पूर्णिमा से आरंभ होकर अमावस्या को समाप्त होता है। यह बहुत ही अच्छा संयोग है कि इस दिन शनिवार है। शनि और अमावस्या के संयोग से 28 तारीख को शनिश्चरी अमावस्या संयोग बन रहा है। इस संयोग में पितरों की विदाई को आप अपने लिए सौभाग्यशाली बना सकते हैं। इस दिन श्राद्ध कर्म के अलावा शनिदेव की विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

ऐसा योग 20 सालों बाद बना है। मान्यता है कि इस दिन श्राद्ध करने से 100 गुना फल की प्राप्ति होती हैं। शास्त्रों के मुताबिक इस दिन विशेष धर्म-कर्म और दान करना चाहिए, क्योंकि दान-पुण्य करने से पितृ और शनिदेव प्रसन्न होंगे। पंडित सुखदेव शर्मा का कहना है कि यदि पितृ पक्ष के दिनों में आपने अपने पूर्वजों का श्राद्ध नहीं किया हैं या फिर किसी पूर्वज का श्राद्ध करना भूल गए हैं तो अमावस्या के दिन आप अपने सभी ज्ञात अज्ञात पूर्वजों का श्राद्ध कर सकते हैं। श्राद्ध आप अपने घर पर भी कर सकते हैं, लेकिन यदि आपके पास समय हैं तो ब्राह्मण से अपने पूर्वजों का श्राद्ध करवाएं। इससे कई गुना पितरों का फल मिलता है। 

उन्होंने बताया कि इस बार पितृकार्येषु शनिश्चरी अमावस्या का दुर्लभ संयोग होने के कारण पितृदोष, कालसर्प योग, शनि की ढैय्या तथा साढ़ेसाती सहित पितरों और शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने का यह दुर्लभ समय है। इस दिन पीपल के पत्तों पर पांच तरह की मिठाइयों को रखकर पीपल की पूजा करें और पितरों से प्रार्थना करें कि वह हमेशा आप पर आशीर्वाद बनाए रखें।

पितरों को संतुष्ट होकर अपने लोक जाएंगे तो आप इस धरती पर पूरे साल आनंद और सुख से रहेंगे। रोग में कमी आएगी, आपके सभी काम आसानी से बनते रहेंगे, धन की वृद्धि होगी। इस बात का ध्यान रखें कि पितरों को चढ़ाया गया प्रसाद घर ना लेकर जाएं, पूजा स्थल पर उपस्थित लोगों को ही खिला दें। चींटी, कौआ, गाय, कुत्ता, बिल्ली, जलचर जीव और ब्राह्मणों को संतुष्ट करना चाहिए। मान्यता है कि इनको अन्न देने से पितर जिस लोक में गए हैं उन्हें उनका हिस्सा वहां मिल जाता है। इससे उनकी कृपा प्राप्त होती है।

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