बारिश के जमा पानी से बढ़ेगी मच्छरों की संख्या

तीन दिन पहले हुई मूसलाधार बारिश से शहर के कई हिस्सों मे पानी जमा हो गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 03:19 PM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 03:19 PM (IST)
बारिश के जमा पानी से बढ़ेगी मच्छरों की संख्या
बारिश के जमा पानी से बढ़ेगी मच्छरों की संख्या

जागरण संवाददाता, फरीदकोट

तीन दिन पहले हुई मूसलाधार बारिश से शहर के कई हिस्सों में जल-जमाव की स्थित उत्पन्न हो गई, जिसमें मच्छरों के पनपने की संभावना प्रबल हो गई। मच्छरों की रोकथाम के लिए सेहत विभाग जागरूक दिखाई दे रहा है। राहत की बात यह है कि जिले में अब तक कोरोना का प्रकोप न के बराबर ही दिखाई दिया हैे, जिले में इस सत्र में अब तक मात्र दो ही डेंगू के मामले प्रकाश में आए हैं।

एसएमओ डाक्टर चंद्रशेखर कक्कड़ ने बताया कि मलेरिया, प्लास्मोडियम नामक एकल-कोशिका वाले परजीवी के कारण होने वाला मलेरिया, मानसून के दौरान प्रमुख बीमारियों में से एक है। यह मच्छरों के प्रजनन का मौसम है (एनोफिलीज मिनिमस) जो मलेरिया पैदा करने वाले परजीवी का मेजबान है। मच्छरों की यह प्रजाति पानी में प्रजनन करती है। मलेरिया में कई दिनों तक तेज बुखार (105 डिग्री सेल्सियस तक) बना रहता है। डेंगू, पैदा करने वाला एडीज एजिप्टी मच्छर रुके हुए पानी में प्रजनन करता है। डेंगू बुखार इस मच्छर के काटे जाने के चार से सात दिन बाद होता है। इसके शुरूआती लक्षणों में बुखार और थकान शामिल हैं। इसके अलावा, इसमें प्लेटलेट्स भी ते•ाी से गिरने गलती हैं। चिकनगुनिया, एडीज एल्बोपिक्टस मच्छर के कारण होने वाला चिकनगुनिया एक गैर-घातक वायरल रोग है। ये मच्छर रुके हुए पानी में पनपते हैं और यह दिन में भी काट सकते हैं। चिकनगुनिया अपने विशिष्ट लक्षणों जैसे जोड़ों और हड्डियों में दर्द, जकड़न लक्षणों से पहचाना जाता है।

उन्होंने बताया कि मच्छर जनित बीमारियों में मलेरिया सबसे प्रचलित बीमारी है और यह मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने पर होती है, लेकिन इसमें सबसे घातक संक्रमण डेंगू का होता है। मच्छरों के संक्रमण से होने वाली किसी भी बीमारी में खतरा तब और बढ़ जाता है, जब व्यक्ति टीबी, एड्स व कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाला होता है। डा. शेखर ने बताया कि मच्छरजनित बीमारी के लिए मादा मच्छर जिम्मेदार होती है। मादा मच्छर मानव या पशु का रक्त चूसती है। रक्त चूसने से उसे प्रोटीन मिलता है। इस प्रोटीन से उसे गर्भधारण के बाद अंडों को विकसित करने में मदद मिलती है।

लक्षण-

ठंड के साथ तेज बुखार आना सिर चकराना व घबराहट होना

उल्टी आना एवं जुकाम होना

शरीर में शर्करा का स्तर तेजी से गिरना

कभी-कभी संक्रमित व्यक्ति का बेहोश हो जाना

कंपकंपी के साथ बुखार और फिर बुखार कम होने पर पसीना आना।

बचाव-

घर के आसपास की नालियों को खुला न रखें

घर की स्वच्छता का ध्यान रखें

घर में किसी तरह का कबाड़ या अनुपयोगी सामान इकट्ठा न करें, समय-समय पर कीटनाशकों का छिड़काव करें

खिड़की व दरवाजे जालीदार रखें मच्छरदानी का प्रयोग करें

पूरी आस्तीन के कपडे़ पहनें

सोते समय सरसों का तेल या अन्य मेडीकेटेड आयल, जेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

खाली डिब्बे, गमले या अन्य ऐसी चीजें घर में न रखें जिनमें बारिश का पानी कई दिन तक भरा रहे।

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