मोहाली में शराब तस्करी पर पुलिस ने कसा शिकंजा, तस्करी करते तीन गिरफ्तार

थाना फेज-8 से थानेदार अमरनाथ ने शरारत अनसरों के खिलाफ सेक्टर-68/69 की ट्रैफिक लाइटों के पास नाकाबंदी की हुई थी। इस दौरान एक कार से 63 बोतल बरामद की। आरोपित की पहचान जसवीर सिंह निवासी होशियारपुर व गुरिंदर सिंह निवासी लुधियाना के रुप में हुई है।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Tue, 22 Sep 2020 09:49 AM (IST) Updated:Tue, 22 Sep 2020 09:49 AM (IST)
मोहाली में शराब तस्करी पर पुलिस ने कसा शिकंजा, तस्करी करते तीन गिरफ्तार
इस कार्रवाई में पुलिस ने एक कार से 63 बोतल बरामद की है।

मोहाली, जेएनएन। पुलिस ने दो अलग-अलग मामलों में अवैध शराब सहित तीन युवकों को गिरफ्तार किया है। पहला मामला थाना फेज-8 का है। थाना फेज-8 से थानेदार अमरनाथ ने शरारत अनसरों के खिलाफ सेक्टर-68/69 की ट्रैफिक लाइटों के पास नाकाबंदी की हुई थी। इस दौरान एक कार से 63 बोतल बरामद की।

आरोपित की पहचान जसवीर सिंह निवासी होशियारपुर व गुरिंदर सिंह निवासी लुधियाना के रुप में हुई है।  वहीं दूसरा मामला थाना फेज-1 का है, जिसमें पुलिस द्वारा एक युवक गिरफ्तार किया गया है। फेज-6 में लगाए गए नाके दौरान शक के आधार पर एक युवक को रुकने का इशारा किया। उक्त युवक घबरा गए और वापिस पीछे को मुडऩे लगे तो एक्साइज विभाग की टीम द्वारा उसको काबू कर पुलिस के हवाले कर दिया गया। उससे 9 शराब की बोतलों सहित काबू किया गया, जोकि चंडीगढ़ में बिकनेयोग थी। पुलिस ने गणेश राए के खिलाफ एक्साइज एक्ट के तहत मामला दर्ज करके उसको अदालत में पेश किया, अदालत ने उसको न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

ठेका कर्मचारियों का रिकॉर्ड हुआ गुम तो पहुंच गए कोर्ट

मोहाली/जीरकपुर: जीरकपुर नगर परिषद में ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों के पुराने सर्विस रिकॉर्ड गायब हो गए हैं। इस मामले को लेकर इंप्लाइज यूनियन एटक ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि वे लंबे समय से परिषद में कार्यरत हैं। लेकिन जब कर्मचारियों को पक्का करने का टाइम आया तो सर्विस का रिकॉर्ड खुर्दबुर्द कर दिया।

यूनियन के अध्यक्ष रविंदरपाल सिंह ने बताया कि साल 2000 में काउंसिल का गठन हुआ था। उस दौरान कार्यरत अधिकारियों ने यह कहकर कर्मियों को काम पर रखा कि कुछ वर्षों बाद उन्हें स्थायी कर लिया जाएगा। इसके बाद इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, सेवादार, माली आदि पदों पर इन्हें रखा गया। परिषद कार्यालय में काम करते हुए इन कर्मचारियों को कई वर्ष बीत गए, लेकिन इन्हें पक्का करने के बजाय अधिकारी आश्वासन ही देते रहे।

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