पिता ने जिंदगी के हर मोड़़ पर देखी गरीबी, आर्थिक तंगी में बेटे ने पंजाब में जज बनकर किया सपना पूरा

पंजाब यूनिवर्सिटी के ला स्टूडेंट कुलदीप सिंह उन लाखों गरीब बच्चों के लिए प्रेरणास्रोत हैं जो आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। कुलदीप के पिता मिस्त्री का काम करते हैं लेकिन कुलदीप ने पंजाब पीसीएस (ज्यूडिशियल सर्विस) पास कर जज का पद हासिल किया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Thu, 04 Feb 2021 02:01 PM (IST) Updated:Fri, 05 Feb 2021 08:44 AM (IST)
पिता ने जिंदगी के हर मोड़़ पर देखी गरीबी, आर्थिक तंगी में बेटे ने पंजाब में जज बनकर किया सपना पूरा
अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ कुलदीप सिंह। जागरण

चंडीगढ़ [डा. सुमित सिंह श्योराण]। जिंदगी में जीत का जज्बा और कुछ अलग करने की जिद मंजिल पाने का मूलमंत्र है। कई बार मुश्किल हालात भी इंसान को कुछ अलग कर गुजरने के लिए प्रेरित करते हैं। पंजाब यूनिवर्सिटी (Punjab University PU) के डिपार्टमेंट आफ ला के स्टूडेंट कुलदीप हजारों युवाओं के लिए रोल माडल बन गए हैं। पंजाब सिविल सर्विसेज (ज्यूडिशियल) के घोषित रिजल्ट में कुलदीप सिंह ने सफलता हासिल की है।

मजदूरी कर परिवार को पालने वाले पिता हरनेक सिंह के लिए कुलदीप का चयन होना किसी सपने के सच होने जैसा है। कुलदीप ने बचपन से ही जिंदगी के हर मोड़ पर आर्थिक तंगी से लड़ते हुए पढ़ाई की और आज परिवार और गांव का नाम रोशन किया है। दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में कुलदीप सिंह ने बताया कि आठवीं तक सरकारी स्कूल में पढ़ा, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण 12वीं तक पिता के साथ मजदूरी की और घर पर रहकर पढ़ाई जारी रखी। कुलदीप पंजाब स्थित फरीदकोट के कोटकपूरा में बहुत ही साधारण परिवार से हैं। बेटे के चयन की जिस समय सूचना मिली पिता राजमिस्त्री के काम पर गए हुए थे।

पहले मजदूरी और फिर ट्यूशन से निकाला पढ़ाई का खर्च

कुलदीप के अनुसार जिंदगी में सफलता के लिए विल पावर, सेल्फ कांफिडेंड और मोटिवेशन (Will Power, Self Confidence and Motivation) बहुत जरूरी जरूरी हैं। 2013-16 सत्र में पीयू से ला की डिग्री हासिल की। कई वर्षों तक पिता के साथ मजदूरी करनी पड़ी। पंजाब यूनिवर्सिटी में आने के बाद भी बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया और ला की पढ़ाई करते हुए ही वकील के हेल्पर के तौर पर काम करना शुरू कर दिया। कुलदीप ने कहा कि उन्होंने गरीबी देखी है। 2017 से हिमाचल और चंडीगढ़ स्थित पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में जरुरतमंद लोगों के केस बहुत कम पैसों में लड़े।

परिवार में पहली नौकरी वो भी सीधे जज

कुलदीप के तीन भाई और दो बहनें हैं। परिवार में पहली बार किसी को सरकारी नौकरी मिली वो भी सीधे जज की। कुलदीप के चयन के बाद गांव में उनका फूलमालाओं के साथ स्वागत किया गया। कुलदीप के हमेशा ही औसत अंक आए, लेकिन कड़ी मेहनत से तीसरे प्रयास में जज बनकर पिता का सपना पूरा कर दिखाया। किताबें पढ़ना, शायरी और गाना इनके शौक हैं। अपनी सफलता का श्रेय परिवार, दोस्तों और टीचर्स को देते हैं। कालेज के दिनों में देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी में एनसीसी के स्पेशल नेशनल कैंप के लिए भी चयन हो चुका है।

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