HC में याचिका- हुड्डा और बादल को किसान के नाम पर आयकर में छूट क्यों

हाई कोर्ट में याचिका दायर कर किसान होने के नाम पर प्रकाश सिंह बादल और भूपेंद्र सिंह हुड्डा जैसे नेताओं को आयकर में छूट को गलत करार दिया गया है। इस पर सवाल उठाया गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 11 Oct 2017 11:15 AM (IST) Updated:Wed, 11 Oct 2017 11:15 AM (IST)
HC में याचिका- हुड्डा और बादल को किसान के नाम पर आयकर में छूट क्यों
HC में याचिका- हुड्डा और बादल को किसान के नाम पर आयकर में छूट क्यों

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर कर हरियाणा के पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और पंजाब के पूर्व मुख्‍यमंत्री प्रकाश सिंह बादल सिंह कई नेताओं को किसान के तौर पर आयकर से छूट दिए जाने पर सवाल उठाए गए हैं। इसमें कहा गया है कि बादल और हुड्डा जैसे किसानों के आैर भी धंधे हैं। ऐसे में उनको आयकर छूट नहीं मिलनी चाहिए।

याचिका में कहा गया है िक ऐसे लोग जो व्यापार और उद्योग-धंधों से करोड़ों कमाते हैं, वे कृषि के आयकर मुक्त होने का फायदा उठाकर अन्य माध्यमों की आय पर भी वाजिब कर नहीं देते हैं। वे अपने पास कृषि भूमि होने का फायदा उठाते हैं। इसलिए करोड़पति किसानों और ऐसे लोगों को, जिनकी आय कृषि के अलावा अन्य माध्यमों से भी है, छूट का लाभ नहीं मिलना चाहिए। 

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 याचिका में जिन किसानों का हवाला दिया गया है, उनमें हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल व मनप्रीत बादल सहित कई नेताओं के नाम शामिल हैं।

याचिकाकर्ता ने कहा, आरक्षण में जैसे क्रीमी लेयर की तरह किसानों के लिए हो छूट की सीमा का निर्धारण

याचिका एडवोकेट एचसी अरोड़ा ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि किसानों को आयकर से छूट का प्रावधान गलत है। इसमेंं अधिकतम आय के बारे में कोई जिक्र नहीं किया गया है। इसका फायदा उठाकर उद्योगपति, ट्रासपोर्टर, शराब व्यापारी आदि अपनी अन्य माध्यमों से प्राप्त आय को कृषि आय में दिखाकर कर चुराते हैं। यह हमारे संविधान में निहित सोशलिस्ट रिपब्लिक की भावना को आहत करने वाला है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि टैक्स एडिमिनस्ट्रेशन रिफॉर्म कमीशन ने सन 2014 मेंं अपनी रिपोर्ट में कृषकों को टैक्स में छूट देते हुए अधिकतम 50 लाख की आय को करमुक्त रखने की संस्तुति की थी, लेकिन सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स ने इन संस्तुतियों से किनारा कर लिया।

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याचिकाकर्ता के मुताबिक, चुनाव के समय नामांकन पत्र में दी गई जानकारियों से यह बात साबित होती है कि जो अपना बड़ा बिजनेस एंपायर रखते हैं, वे भी कृषि आय पर कर की छूट का लाभ उठा रहे हैं। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से अपील की कि जैसे पिछड़ा वर्ग को आरक्षण के लिए क्रीमीलेयर तय कर अधिकतम आय सीमा निर्धारित की गई है, उसी प्रकार से कृषि के क्षेत्र में भी प्रावधान किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने याचिका पर केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार, पंजाब सरकार और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं।

...तो देश के बहुत से नेता आ जाएंगे दायरे में

विधि विशेषज्ञों के अनुसार, यदि पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट याची की मांग को स्वीकार कर लेता है तो हरियाणा और पंजाब के बहुत से नेता तो इसके दायरे में आएंगे ही, देश के भी बहुत से नेताओं के लिए मुश्किल हो जाएगी, क्योंकि याचिका में केंद्र सरकार भी प्रतिवादी है और उसे भी हाई कोर्ट के आदेश पर आयकर में छूट के प्रावधान में परिवर्तन करना पड़ेगा। हालांकि हाई कोर्ट के फैसले के बाद प्रतिवादियों (प्रदेश एवं केंद्र सरकार) के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प रहेगा।

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