Punjab Chunav: सत्ता में आने के लिए राजनीतिक दलों को खजाने से वोट खरीदना आ गया

सत्ता में आने के लिए राजनीतिक दलों को खजाने से वोट खरीदना आ गया है। जब तक आम लोग ही यह कहने नहीं लगेंगे कि हमारा वोट सिर्फ उसके लिए है जो युवाओं को रोजगार देने लोगों को अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य देने की बात करेगा न कि मुफ्तखोरी की।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 27 Jan 2022 11:49 AM (IST) Updated:Thu, 27 Jan 2022 11:51 AM (IST)
Punjab Chunav: सत्ता में आने के लिए राजनीतिक दलों को खजाने से वोट खरीदना आ गया
पंजाब में मुफ्त बिजली का चुनावी मुद्दा। प्रतीकात्मक

चंडीगढ़, इन्द्रप्रीत सिंह। अपनी बात रखने से पहले एक उदाहरण देना चाहता हूं। दो दशक पहले बठिंडा में डा. जितेंद्र जैन पहली बार एसएसपी के रूप में नियुक्त किए गए। उन दिनों पंजाब बिजली बोर्ड की टेक्नीकल सर्विस यूनियन का हर रोज धरना प्रदर्शन चल रहा था। एक बार पुलिस ने उनका धरना बलपूर्वक खत्म करवा दिया। कई लोगों को चोटें आईं। अगले दिन अखबारों में पुलिस के खिलाफ कई खबरें लिखी गईं। पुलिस की काफी फजीहत हुई।

एक महीने बाद किसानों ने अपनी मांगों को लेकर बठिंडा-मानसा रोड पर धरना दे दिया। पुलिस ने उन्हें उठाने की कोई कार्रवाई नहीं की। दो-तीन दिन लगातार किसानों के पक्ष में खबरें छपतीं रहीं। हाईवे जाम रहा। चौथे दिन से प्रशासन के खिलाफ खबरें छपनी शुरू हो गईं। अखबारों में छपने लगा कि आम लोगों को परेशानी हो रही है और प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। दो दिन और बीत गए, किसानों के प्रति आम लोगों की सारी सहानुभूति खत्म हो गई, बल्कि उनके प्रति गुस्सा बढ़ने लगा तो अचानक एक रोज सुबह पुलिस ने बलपूर्वक सभी किसानों को उठा दिया। कुछ बुजुर्ग किसानों को चोटें भी आईं, लेकिन किसी भी अखबार ने किसानों से कोई हमदर्दी नहीं जताई, बल्कि पुलिस की सराहना की कि एक हफ्ते से बंद मार्ग को उसने खोल दिया है।

यही आजकल चुनाव से ठीक पहले राजनीतिक पार्टियों की ओर से लोगों को 200 से 400 यूनिट तक बिजली बांटने, महिलाओं को एक हजार रुपये से लेकर ढाई हजार रुपये महीना देने के एलान से हो रहा है। पहले से ही 14 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बिजली सब्सिडी किसानों, अनुसूचित जातियों और उद्योगों को दी जा रही है और यह भी रिकार्ड रहा है कि यह सब्सिडी कभी भी पावरकाम को पूरी नहीं दी गई। इसके बावजूद इस तरह के एलान राज्य की आर्थिक स्थिति, उसके आमदनी के स्रोत आदि का अध्ययन किए बिना ही किए जा रहे हैं। यह जानते हुए भी कि ये वादे पूरे होने योग्य नहीं हैं लोग ऐसा फरेब करने वाली पार्टियों के बहकावे में आकर उन्हें वोट दे रहे हैं।

वर्ष 2017 के चुनाव के दौरान भी ऐसा ही हुआ था। कांग्रेस ने किसानों का सारा कर्ज माफ करने का एलान कर दिया जो लगभग 60 हजार करोड़ रुपये बनता था, लेकिन माफ मात्र 4600 करोड़ किया। दलील दी कि हमें राज्य की आर्थिक स्थिति का अंदाजा नहीं था। यहां यह बताना दिलचस्प है कि जो 4600 करोड़ रुपया माफ किया, वह मंडी बोर्ड की आमदनी को गिरवी रखकर कर्ज लेकर किया। जिन किसानों का कर्ज माफ किया उनकी स्थिति शायद आज भी वैसी ही हो। लेकिन खजाने पर 4600 करोड़ रुपये का कर्ज बढ़ गया है। इससे सबक सीखने की बजाए एक बार फिर से मुफ्त के सब्जबाग दिखाए जा रहे हैं।

मालूम हो कि पंजाब पर पहले से ही तीन लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। आखिर यह चुकाना किसे है.. क्या राजनीतिक दलों को अपनी जेब से देना है। इस बारे में जब राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से पूछा जा रहा है तो उनके पास एक ही दलील है कि अगर विधायकों और मंत्रियों को मुफ्त बिजली और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं मिल सकती हैं तो आम लोगों को क्यों नहीं। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी यह बात कई बार कही है। बात तो सही है कि अगर विधायकों, मंत्रियों को सभी सुविधाएं मिल सकती हैं तो आम जनता को क्यों नहीं। पर सवाल यह है कि इसके लिए पैसा कहां से आएगा। किसानों को खेती के लिए नि:शुल्क दी जा रही बिजली के बारे में सभी को पता है और लोग सवाल भी उठा देते हैं, लेकिन अनेक सरकारी अधिकारियों को कई हजार यूनिट बिजली प्रति वर्ष दी जा रही है, उसके बारे में कोई सवाल नहीं उठा रहा। पावरकाम के कर्मचारियों व अधिकारियों को मुफ्त बिजली दी जा रही है। विधायकों की आय पर कर सरकार खजाने से दे रही है। इस पर कोई सवाल नहीं कर रहा है।

सत्ता में आने के लिए राजनीतिक दलों को खजाने से वोट खरीदना आ गया है और यह तब तक चलता रहेगा जब तक आम लोग ही यह कहने नहीं लगेंगे कि हमारा वोट सिर्फ उसके लिए है जो युवाओं को रोजगार देने, लोगों को अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य देने की बात करेगा न कि मुफ्तखोरी की। पर अभी यह कोई नहीं कहेगा.. ठीक उस बठिंडा-मानसा हाइवे पर लगे धरने की तरह। जब जनता मुफ्त की इन चीजों के न मिलने से त्रस्त हो जाएगी और खुद ही खीझ कर कहेगी कि ये मुफ्तखोरी बंद करो.. और ऐसी किसी पार्टी को सत्ता में लाएगी जो केवल मुफ्तखोरी बंद करने, युवाओं को रोजगार देने और शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों को मजबूत करने पर काम करेगा। इस चुनाव में तो ऐसा संभव नहीं दिखता, लेकिन हमें उस चुनाव का इंतजार जरूर करना है।

[ब्यूरो प्रमुख, पंजाब]

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