सेंट कबीर स्कूल के बाहर पेरेंट्स का प्रदर्शन, तीसरी क्लास की फीस में 30 फीसद वृद्धि का आरोप

पेरेंट्स ने संत कबीर स्कूल प्रबंधक पर आरोप लगाते हुए कहा कि स्कूल ने तीसरी क्लास की फीस में 30 फीसद की वृद्धि की है।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Sat, 30 May 2020 01:03 PM (IST) Updated:Sat, 30 May 2020 01:03 PM (IST)
सेंट कबीर स्कूल के बाहर पेरेंट्स का प्रदर्शन, तीसरी क्लास की फीस में 30 फीसद वृद्धि का आरोप
सेंट कबीर स्कूल के बाहर पेरेंट्स का प्रदर्शन, तीसरी क्लास की फीस में 30 फीसद वृद्धि का आरोप

चंडीगढ़, [वैभव शर्मा]। प्राइवेट स्कूलों द्वारा फीस बढ़ोतरी के मुद्दे पर शनिवार को पेरेंट्स ने सेक्टर-44 स्थित सेंट जेवियर और सेक्टर-26 सेंट कबीर स्कूल के सामने प्रदर्शन किया। पेरेंट्स ने संत कबीर स्कूल प्रबंधक पर आरोप लगाते हुए कहा कि स्कूल ने तीसरी क्लास की फीस में 30 फीसद की वृद्धि की है। पिछले वर्ष के मुकाबले तीसरी क्लास की फीस 24000 रुपए से ज्यादा कर दी गई है। वह बढ़ी हुई फीस नहीं देंगे। लाॅकडाउन में स्कूल प्रबंधक द्वारा फीस बढ़ाने का फैसला बिल्कुल गलत है। फीस बढ़ाने से साफ पता लग रहा है कि स्कूल प्रबंधक ने स्कूल केवल पैसे कमाने के लिए बनाया है। उन्हें शिक्षा से कोई लेना देना नहीं है। स्कूल में बच्चों का दाखिला वह सिर्फ अपनी जेबों को भरने के लिए कर रहे हैं।

इसके अलावा सेंट कबीर स्कूल में 8वीं 9वी दसवीं और 12वीं क्लास की फीस में 10 फीसद का इजाफा किया गया है। जबकि पहली और दूसरी से लेकर चौथी पांचवी और छठी क्लास तक 8 फीसद से 10 फीसद तक फीस में इजाफा किया है।

स्कूल जब से फीस तब से

प्रदर्शन में पेरेंट्स के साथ खड़े चंडीगढ़ पेरेंट्स एसोसिएशन अध्यक्ष नितिन गोयल ने कहा कि हम स्कूल प्रशासन को फीस नहीं देंगे। जब से स्कूल लगेगा उस समय से स्कूल प्रशासन को पूरी फीस दे दी जाएगी। लेकिन उससे पहले प्राइवेट स्कूलों की मनमानी के चलते बढ़ाई गई फीस पेरेंट्स नहीं देंगे।

प्राइवेट स्कूल बंद करें शिक्षा का व्यापार

पेरेंट्स ने कहा कि शहर के प्राइवेट स्कूलों ने शिक्षा को एक व्यापार बना दिया है। प्राइवेट स्कूलों का उद्देश्य शिक्षा देना नहीं बल्कि अपने बैंक बैलेंस को भरना है। इस बात के लिए कहीं ना कहीं हम पेरेंट्स भी जिम्मेदार हैं। 

देश के कई राज्यों के प्राइवेट स्कूलों ने की है फीस माफ

जहां एक और चंडीगढ़ के प्राइवेट स्कूल संचालक फीस कम करने के लिए तैयार नहीं है, वहीं दूसरी ओर देश के विभिन्न राज्यों में कई ऐसे प्राइवेट स्कूल हैं जिन्होंने 2 महीने की फीस कोविड-19 के चलते माफ कर दिए। शहर के प्राइवेट स्कूल संचालकों को इन स्कूलों से सबक लेना चाहिए। अगर वे फीस माफ नहीं कर सकते हैं तो उन्हें बढ़ाकर फीस लेने का भी कोई हक नहीं। 

जिनके घर में नहीं है खाने को वह देख किस्तों में फीस

प्रदर्शन कर रहे पेरेंट्स में से पांच पेरेंट्स के ग्रुप को स्कूल में बातचीत करने के लिए बुलाया गया। जब यह पेरेंट्स स्कूल प्रबंधक से बात करके वापस आए तो उन्होंने बताया कि स्कूल ने उन्हें कहा है कि अगर किसी के घर पर खाने की समस्या है या कोई बिल्कुल ही गरीब है तो वह अपनी समस्या को उजागर करें। स्कूल प्रबंधक उन पेरेंट्स को इंस्टॉलमेंट में फीस देने की मोहलत दे देगा। 

स्कूल प्रबंधक का फैसला शर्मनाक

सीपीए अध्यक्ष नितिन गोयल ने कहा कि स्कूल प्रशासन ने यह फैसला लेकर पेरेंट्स का अपमान किया। स्कूल प्रशासन चाहता है कि पेरेंट्स उनके सामने अपनी मजबूरी को लेकर गिड़गिड़ाए। जिसके बाद स्कूल प्रशासन तरस खाकर उनको इंस्टॉलमेंट में फीस देने का फैसला दे। नितिन ने कहा जी स्कूल प्रबंधक को ऐसा बोलते हुए भी शर्म आनी चाहिए।

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