भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व मंत्रियों से प्यार, अफसरों पर हो रहा वार
पंजाब में भ्रष्टाचार के मामलों में अफसरही निशाने पर हैं। कांग्रेस ने चुनाव से पहले अकालीदल व भाजपा के मंत्रियों पर खूब आरोप लगाए, लेकिन सत्ता में आने के बाद सब भूल गई।
चंडीगढ़, [मनोज त्रिपाठी]। विधानसभा चुनाव से पहले भ्रष्टाचार के मामले में तत्कालीन अकाली-भाजपा सरकार के कई मंत्रियों व नेताओं को कठघरे में खड़ा करने वाली कांग्रेस सत्ता में आने के बाद अभी तक किसी भी प्रमुख नेता या पूर्व मंत्री को न तो कठघरे में खड़ा कर पाई है और न ही गिरफ्तार। भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार ने इस बार अपना निशाना उन अफसरों पर साधा है जो सियासी दबाव में नियमों को किनारे करके घोटालों के भागीदार बने।
भ्रष्टाचार को लेकर सरकार ने अभी तक किसी भी मामले में पूर्व मंत्री पर नहीं की कार्रवाई
हाल ही में आईके गुजराल पंजाब टेक्निकल यूनिवर्सिटी (पीटीयू) के पूर्व वीसी डा. रजनीश अरोड़ा व सिंचाई विभाग के घोटालों में पूर्व चीफ इंजीनियर और मौजूदा छह अधिकारियों सहित तमाम मामलों में विजिलेंस ने जांच के बाद कार्रवाई की। सिंचाई विभाग में 1000 करोड़ के घोटाले में विजिलेंस ने विभाग के पूर्व इंजीनियरों सहित छह से ज्यादा अफसरों व मुलाजिमों को गिरफ्तार करके उन्हें सलाखों के पीछे भेजा।
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ठेकेदार गुरविंदर सिंह की भी गिरफ्तारी विजिलेंस ने की और सांठगांठ में कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह पर उंगलियां भी उठीं। इसी प्रकार पीटीयू के पूर्व वीसी को पद के दुरुपयोग व अवैध नियुक्तियों के मामले में विजिलेंस ने बीते दिनों गिरफ्तार किया।
स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू अपने विभाग में घोटालों व अफसरों के प्रमोशनों सहित तमाम मामलों में कार्रवाई के लिए लंबे समय तक जोर आजमाइश करते रहे, लेकिन उनका वार भी केवल अफसरों तक ही सीमित रहा। मंडी बोर्ड में सहित आठ से ज्यादा विभागों की जिम्मेवारी देखने वाले सुरिंदर पहलवान को भी विजिलेंस ने सलाखों के पीछे डाला। पहलवान के कार्यकाल में हजारों करोड़ की सड़कों के निर्माण से लेकर उनके अधीन आते विभागों में हुए घोटालों के लिए विजिलेंस ने पहलवान व उनके साथ कथित तौर पर काम करने वाली कंपनियों पर निशाना साधा।
पर्यटन विभाग में कार्यरत पीसीएस अधिकारी नवजोत पाल सिंह रंधावा द्वारा विदेश में पंजाब की ऐतिहासिक महत्व की तमाम वस्तुओं की बिक्री करवाने व उसके बदले में करोड़ों रुपये कमाने के मामले में भी सरकार ने चुप्पी साथ ली। डीआरआई ने इस मामले में स्पष्ट तौर पर सरकार को पत्र लिखकर करोड़ों की धनराशि रंधावा के एकाउंट में आने पर अपनी जांच का खुलासा करते हुए सरकार से कार्रवाई की सिफारिश की थी। पर्यटन मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने खुद इस मामले में मीडिया के सामने आकर कार्रवाई का भरोसा दिया और सरकार को पत्र लिखा, लेकिन अभी तक कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं।
अफसरों को सीख भी दे रही सरकार की पॉलिसी
भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सरकार के प्रयासों पर या तो पूर्व मंत्रियों या पिछली सरकार के नेता भारी पड़ रहे हैं या फिर नई पालिसी के तहत सरकार अब पंजाब की ब्यूरोक्रेसी को संदेश दे रही है कि सरकार किसी की हो लेकिन अफसर काम नियमानुसार ही करें। शायद यही वजह है कि इस सरकार में प्रमुख पदों पर बैठे ब्यूरोक्रेट्स व अन्य अफसर अब अपनी सोच बदलने में लगे हैं कि सरकार के दबाव में काम करना भी है तो नियमानुसार करो।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार बनने के बाद अपने मंत्रियों व विधायकों तथा जनता को कई बार संदेश दे चुके हैं कि बदलाखोर राजनीति की परंपरा पंजाब से खत्म करनी है। अलग बात है कि इस पालिसी का शिकार तमाम अधिकारी हो रहे हैं और नेता मौज कर रहे हैं।
दस माह में कई मामले ठंडे बस्ते में
-विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सरकारी विभागों में फैले भ्रष्टाचार को लेकर कार्रवाई का वायदा किया था। खासतौर पर उस समय कीटनाशकों की खरीद में घोटाले को लेकर पूर्व सरकार व तत्कालीन मंत्री तोता सिंह को कांग्रेस ने कई महीनों तक निशाने पर रखा था। पिछली विधानसभा में भी इस मुद्दे पर कांग्रेसियों ने खासा हंगामा किया था। मामले की जांच जरूर करवाई गई, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
-बसों के अवैध परिवहन को लेकर बादल परिवार को कठघरे में खड़ा करने वाली कांग्रेस ने सत्ता में आते ही निजी बसों के अवैध परिचालन के मुद्दे पर कार्रवाई की, कुछ दिनों तक पंजाब के विभिन्न रूटों पर बसों के परमिट चेक किए गए और दर्जनों चालान किए गए। उसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
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-केबल टीवी के अवैध कारोबार के खिलाफ कार्रवाई के वायदे पर निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने पांच महीनों तक जमकर सियासी कसरत की और बयानबाजी भी की, लेकिन अंत में नई केबल टीवी पॉलिसी की आड़ में मुद्दा गायब हो गया।
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नशे के मुद्दे पर चुप है सरकार
पंजाब से 24 घंटे में नशा बिक्री का खात्मा करने का वायदा करने वाली कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद नशे के मुद्दे को अति गंभीरता से लिया था और स्पेशल टास्क फोर्स का गठन करके जमीनी स्तर पर हर पहलू पर कार्रवाई की शुरुआत की। नशे के खिलाफ एसटीएफ की जंग अभी भी जारी है और दस महीने बाद भी नशा बिक्री के लिए चुनाव से पहले कठघरे में खड़े किए गए सियासी नेताओं के खिलाफ फिलहाल कार्रवाई पर सरकार चुप है।