अब मनोनीत पार्षद भी निर्वाचित से कम नहीं, मिलेगा काम करने के लिए एरिया Chandigarh News
हर कमेटी का चेयरमैन मनोनीत पार्षद को नियुक्त किया गया है। कमेटी में चेयरमैन के अलावा 11 सदस्यों को शामिल किया गया है।
चंडीगढ़, [राजेश ढल्ल]। पहली बार नगर निगम के मनोनीत पार्षदों को लोगों द्वारा चुने गए निर्वाचित पार्षदों की तर्ज पर वार्ड का काम करवाने का अधिकार मिलेगा। प्रशासन की ओर से जनवरी माह में शहर से पंचायती राज खत्म करते हुए जो 13 गांव नगर निगम में शामिल किए थे। तब से लेकर अब तक इन गांवों का कोई भी प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा है जिस कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए प्रशासक वीपी सिंह बदनौर के निर्देश पर नगर निगम ने हर गांव की एक कमेटी का गठन किया है।
हर कमेटी का चेयरमैन मनोनीत पार्षद को नियुक्त किया गया है। कमेटी में चेयरमैन के अलावा 11 सदस्यों को शामिल किया गया है। नगर निगम के मेयर की ओर से वीरवार को हर गांव की कमेटी के प्रस्तावित चेयरमैन और सदस्यों की सूची मंजूरी के लिए गवर्नर हाउस प्रशासक के पास भेज दी है, जिस पर अगले सप्ताह तक प्रशासन की ओर से अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।
नगर निगम में नौ मनोनीत पार्षद हैं। ऐसे में किसी किसी मनोनीत पार्षद को दो गांवों की कमेटी का भी चेयरमैन बनाया गया है। ऐसे में अब मनोनीत पार्षद भी निर्वाचित की तरह अलॉट हुए अपने गांव की समस्याओं को सदन में जोरशोर से उठाएंगे।
लोगों के दस्तखत तक नहीं हो पा रहे
इस समय इन गांवों का काम करना तो दूर यहां के निवासी अपने प्रमाणपत्रों और दस्तावेज पर किसी निर्वाचित पार्षद के भी हस्ताक्षर नहीं करवा पर रहे हैं। कमेटी का गठन होने यह अधिकार भी चेयरमैन को दिया जाएगा। नगर निगम के इतिहास में यह पहली बार होगा जब मनोनीत भी निर्वाचित की तर्ज पर किसी एरिया का काम करवाएंगे। गांवों के होने वाले विकास के काम के प्रस्ताव कमेटी के चेयरमैन सदन में लेकर आएंगे। कमेटी के अन्य सदस्यों में पूर्व सरपंच, पूर्व पंच सहित अन्य ग्रामीण प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है।
अभी तक मनोनीत शोपीस से ज्यादा कुछ नहीं
अभी तक प्रशासन की ओर से नगर निगम में नियुक्त नौ मनोनीत पार्षद शोपीस से ज्यादा कुछ नहीं है। क्योंकि न तो उनके पास वार्ड डेवलपमेंट फंड होता है और न ही उनके साथ मेयर चुनाव में वोट का अधिकार है। पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट ने साल 2017 में मनोनीत से वोटिंग का अधिकार ले लिया था। इस फैसले के खिलाफ प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी भी दाखिल की हुई है जोकि विचाराधीन है।
प्रशासन की ओर से जो 13 गांव नगर निगम को ट्रांसफर हुए हैं, उनकी आवाज उठाने वाला कोई प्रतिनिधि नगर निगम में नहीं है। इसलिए हर गांव की कमेटी का गठन कर दिया गया है। हर मनोनीत पार्षद को कमेटी का चेयरमैन बनाया गया है जोकि उस गांव के लोगों का काम करने के अलावा सदन में उनकी आवाज उठाएंगे। ऐसे में गांवों का विकास भी अब तेजी से होगा। प्रशासक की मंजूरी के लिए 13 गांवों की कमेटियां गवर्नर हाउस भेज दी गई हैं। -राजेश कालिया, मेयर