चंडीगढ़ प्रशासन पर हाई काेर्ट के फैसले का असर नहीं, बिजली विभाग के निजीकरण प्रोसेस को किया तेज

चंडीगढ़ बिजली कर्मचारी यूनियन का दावा है कि निजीकरण के खिलाफ फैसला आने के बावजूद यूटी प्रशासन ने बिजली विभाग के निजीकरण की प्रक्रिया को और तेज कर दिया है। यूनियन के महासचिव गोपाल दत्त जोशी का कहना है कि इस काम में पूरा प्रशासनिक अमला जुटा है।

By Ankesh ThakurEdited By: Publish:Sun, 06 Jun 2021 09:17 AM (IST) Updated:Sun, 06 Jun 2021 09:17 AM (IST)
चंडीगढ़ प्रशासन पर हाई काेर्ट के फैसले का असर नहीं, बिजली विभाग के निजीकरण प्रोसेस को किया तेज
चंडीगढ़ बिजली कर्मचारी यूनियन का आरोप है कि चंडीगढ़ प्रशासन ने बिजली विभाग के निजीकरण को तेज कर दिया है।

चंडीगढ़, जेएनएन। चंडीगढ़ बिजली कर्मचारी यूनियन का दावा है कि निजीकरण के खिलाफ फैसला आने के बावजूद यूटी प्रशासन ने बिजली विभाग के निजीकरण की प्रक्रिया को और तेज कर दिया है। यूनियन के महासचिव गोपाल दत्त जोशी का कहना है कि इस काम में पूरा प्रशासनिक अमला जुटा है और जल्द ही फाइनेंशियल बिड खोलने की तैयारी की जा रही है। इस प्रक्रिया के लिए छुट्टी के दिन भी अधिकारी काम में जुटे हुए हैं। जबकि प्रशासन के अधिकारी कुछ और बयान दे रहा हैं, लेकिन छुटृी के दिन भी इस प्रक्रिया के लिए मीटिंग करना प्रशासन की तेजी दर्शाता है।

इससे लगता है कि प्रशासन माननीय कोर्ट के फैसले का सम्मान नहीं करना चाहता। यूनियन ने आरोप लगाते हुए कहा कि पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा 28 मई 2021 को बिजली विभाग के निजीकरण को रोकने संबंधी दिए गए फैसले के बाद भी प्रशासन मनमानी कर रहा है। अभी भी प्रशासन का सारा ध्यान टेंडर और बिडिंग प्रोसेस को जल्दी पूरा कर निजीकरण की प्रक्रिया को पूरा करने पर है।

शहर की रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन भी बिजली विभाग के निजीकरण के फैसले का विरोध कर रही है। बिजली से प्रशासन को हर साल 200 करोड़ रुपये की कमाई होती है। बिजली कर्मचारी यूनियन ने कहा है कि यूटी प्रशासन के अधिकारियों को विभाग के काम व कर्मचारियों और जनता की समस्याओं की कोई चिंता नहीं है। अधिकतर कर्मचारी व उनके परिवार कोरोना पीड़ित हैं। कईयों की मौत हो चुकी है।

1780 की बजाय 700 कर्मचारी कर रहे हैं काम

विभाग में 1780 संशोधित पोस्टों में से भी एक तिहाई 700 के करीब कर्मचारी काम कर रहे हैं। कोई सामान का प्रबंध भी नहीं किया जा रहा। यहां तक कि कर्मचारियों के पास सुरक्षा किट भी नहीं है। उन्हें कोरोना वारियर डिक्लेयर करना तो दूर उन्हें टीकाकरण में भी वरियता नहीं दी जा रही। जोशी का कहना है कि कहने को तो प्रशासन के सलाहकार ने 50 फीसद कर्मचारियेां को डयूटी पर आने का आदेश जारी किया है लेकिन बिजली कर्मचारियों पर यह फैसला भी लागू नहीं है। प्रशासन ने निजीकरण की आड़ में रेगुलर भर्ती पहले ही बंद की हुई है अब कर्मचारियों की प्रमोशन भी रोक दी है। जिस कारण पोस्टें होने के बावजूद भी एक भी प्रमोशन लिए बिना कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं।

24 घंटे काम कर रहे कर्मचारी

आए दिन शहर में तूफान आंधी की आशंका रोज बनी रहती है, जिसके लिए कर्मचारी तुरंत फील्ड में ड्यूटी संभाल लेते हैं। लेकिन समुचित औजार, सामान व साधन न होने के कारण 100 फीसद स्टाफ की कमी के बावजूद 24 घंटे काम कर रहे कर्मचारियों को हतोत्साहित किया जा रहा है और जनता को तकलीफ में डाला जा रहा है। जोशी का कहना है कि प्रशासन द्वारा निजीकरण के लिए दिखाई जा रही तेजी के विरोध में यूनियन ने 7 जून से सभी दफ्तरों में लगातार प्रर्दशन करने तथा 14 जून को समस्त काम छोड़कर प्रशासन का पुतला जलाने का निर्णय लिया है।

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