नेकचंद आपको भुला नहीं सकेगी दुनिया

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पद्मश्री स्व. नेकचंद की याद में उनके 94वें जन्मदिवस पर चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से शनिवार को रॉक गार्डन में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 Dec 2018 08:04 PM (IST) Updated:Sat, 15 Dec 2018 08:04 PM (IST)
नेकचंद आपको भुला नहीं सकेगी दुनिया
नेकचंद आपको भुला नहीं सकेगी दुनिया

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पद्मश्री स्व. नेकचंद की याद में उनके 94वें जन्मदिवस पर चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से शनिवार को रॉक गार्डन में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान यूटी प्रशासन के ¨प्रसिपल सेक्रेटरी होम अरुण कुमार गुप्ता मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। स्व. नेकचंद के परिवार के सदस्यों व प्रशासन के आला अफसरों ने उनकी प्रतिमा के समक्ष फूल अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। सांस्कृतिक कार्यक्रम में गायकों ने बॉलीवुड गानों से समां बांधा। वहीं, इस दौरान स्व. नेकचंद द्वारा चंडीगढ़ के लोगों, देश व विदेश से आने वाले पर्यटकों को विरासत में रॉक गार्डन जैसी धरोहर देने के इस लंबे सफर को याद किया गया। कैसे स्व. नेकचंद ने कर्मचारियों और प्रशासन के अफसरों के सहयोग रॉक गार्डन को पूरे विश्व में पहचान दिलाई। इन पलों को याद किया गया। इस दौरान प्रशासन के अफसरों की ओर से स्व. नेकचंद के बेटे अनुज सैनी भी सांस्कृतिक कार्यक्रम में मौजूद थे। जिन्हें अफसरों की ओर से स्व. नेकचंद की प्रतिमा भेंट कर सम्मानित किया गया। अनुज ने कहा-विरासत को सहेजना होगा

अनुज सैनी ने इस मौके पर प्रशासन के समक्ष कुछ बातें रखी। सैनी ने कहा कि समय-समय पर प्रशासन की ओर से उन पर आरोप लगाए गए हैं कि वे रॉक गार्डन की सरकारी जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं। 12 जून 2015 को एक खतरनाक बीमारी के चलते उनके पिता स्व. नेकचंद का निधन हो गया था। उनकी यादें और चंडीगढ़ शहर को दी हुई उनकी अद्भुत विरासत उनके सपनों की नगरी रॉक गार्डन को ये देश तो क्या, पूरी दुनिया नहीं भुला सकेगी। मगर इन तीन सालों में हम भारत के उस महान कलाकार की अनोखी कला को सम्भाल नहीं सके। आज जो हालात हैं, अगर यही हालात बरकरार रहे तो शायद आने वाले 4-5 सालों में हमें रॉक गार्डन के सिर्फ रास्ते ही देखने को मिलेंगे। इसीलिए आज हमें कोई न कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत है। जब भी मैं गार्डन में घूमता हूं और मूर्तियों और पत्थरों को टूटा देखता हूं, तो मेरा दिल रोता है, क्योंकि मैंने अपने पिता को कितनी मेहनत और मुश्किलों से रॉक गार्डन को बनाते देखा है। चाहे किसी से मांगना पडे़, मैं संभाल करता रहूंगा

सैनी ने कहा कि आज से उन सभी चीजों को जो पहले जैसी दिखती थीं, उन्हें उन्हीं के रूप में लाने की कोशिश करूंगा। चाहे उसके लिए मुझे किसी भी हद तक जाना पड़े, मैं जाउंगा। मेरे पास बहुत पैसे नहीं हैं, मगर फिर भी जितना मुझसे हो सकेगा, मैं करुंगा। बेशक मुझे लोगों से ही क्यों न मांगने पड़ें। सरकारी जमीन पर मेरी नजर नहीं, मैं इस विरासत का केवल रखवाला

सैनी ने कहा कि मैं सरकारी जमीन पर कब्जा नहीं करना चाहता। बस प्रशासन से इतना सहयोग चाहता हूं कि इस महान विरासत को बचाने के लिए उनकी ओर से ठोस कदम उठाए जाएं। रॉक गार्डन के रखरखाव के लिए हर महीने अफसरों की एक बार ऑफिशियल मी¨टग होनी चाहिए। ताकि रॉक गार्डन की जरूरतों को भी पूरा किया जा सके।

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