बात पते की: लंबी चुप्पी के बाद वापस रौ में आने लगे Navjot Singh Sidhu, पढ़ें राजनीति की और भी रोचक खबरें

लंबे समय तक मीडिया से दूर रहे सिद्धू एक बार फिर सक्रिय होने लगे हैं। वह वापस पुरानी रौ में आते दिखाई दे रहे हैं। आइए पंजाब के साप्ताहिक कालम बात पते की में राज्य की कुुुछ ऐसी ही रोचक खबरों पर नजर डालते हैं...

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sat, 06 Mar 2021 02:41 PM (IST) Updated:Sat, 06 Mar 2021 02:41 PM (IST)
बात पते की: लंबी चुप्पी के बाद वापस रौ में आने लगे Navjot Singh Sidhu, पढ़ें राजनीति की और भी रोचक खबरें
नवजोत सिंह सिद्धू की फाइल फोटो ।

चंडीगढ़। आखिरकार नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) का धैर्य टूट ही गया। सिद्धू लगभग डेढ़ साल तक मीडिया से दूर रहे, जबकि सिद्धू हमेशा ही मीडिया फ्रेंडली रहे हैं। कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद से ही गुरु ने खुद को मीडिया से दूर कर लिया था। अगर वह एक दो बार किसी से मिले भी तो बेहद चुनिंदा पत्रकारों से।

अपने यू ट्यूब चैनल पर वीडियो डाल-डाल कर अब गुरु भी बेजार हो गए। जिसके बाद वह मीडिया के सामने आए और बेहद संतुलित तरीके से उन्होंने कांग्रेस सरकार को ज्ञान का पाठ पढ़ा दिया। बात पते की यह है कि सिद्धू अब सरकार या पार्टी में एडजस्ट होने के आश्वासन से थक चुके हैं। कहीं एडजस्टमेंट केवल आश्वासन तक ही सीमित न रह जाए और इंतजार में अपना स्टारडम भी गंवा बैठे। ऐसे में उन्होंने एक सिरा तो पकड़ा ही होगा। इसलिए पूर्व मंत्री सिद्धू वापस अपने रौ में आते हुए दिखाई दे रहे हैं।

लग गया तो तीर

अकाली दल और भाजपा का रिश्ता भले ही टूट चुका हो, लेकिन कांग्रेस अक्सर ही दोनों के फिर से एक साथ आ जाने की आशंका जताती रहती है। इन आशंकाओं को जताने वालों में कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ भी हैं। जाखड़ ने अपने तरकश से ऐसा तीर निकाला है जो लग गया तो उसके घाव बेहद गहरे होंगे। जाखड़ ने अकाली दल और भाजपा को यह स्पष्ट करने के लिए कहा है कि अनाज खरीद मामले में किसके कहने पर 31000 करोड़ में निपटारा हुआ। जाखड़ ने भाजपा पर ज्यादा दबाव बनाया है। जाखड़ को पता है कि अगर भाजपा ने इसका आरोप अकाली दल या अकाली दल ने भाजपा पर मढ़ा तो विस्फोट होगा। इस विस्फोट में अकाली दल और भाजपा के बीच रिश्ते फिर से मधुर होने की रही सही कसर भी खत्म हो जाएगी। बात पते की है और यह देखना होगा कि पहले जवाब कौन देगा।

अकेले हैं, गम नहीं

सुखपाल सिंह खैहरा भले ही अब न तो किसी पार्टी में हैं और न ही विधानसभा में उन्हेंं बोलने का कोई खास मौका मिलता है। इसके बावजूद खैहरा अपने लिए स्पेस तो बना ही लेते हैं। एंटी डिफेक्शन ला (दलबदल कानून) को लेकर जब खैहरा सदन में खड़े हुए तो उन्होंने आम आदमी पार्टी के नेताओं को ठोकने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने आप को फर्जी इंकलाबी और केजरीवाल को फर्जी इंकलाबियों का गुरु तक बता दिया। क्योंकि अंगुली केजरीवाल पर उठी थी तो रिएक्शन भी आने ही थे। आए भी, लेकिन खैहरा बड़ी बेबाकी के साथ अपनी बात को रखते रहे। दूसरी तरफ भाजपा के विधायक अरुण नारंग का कांग्रेस और अकाली विधायकों ने विरोध किया। अरुण नारंग अपनी बात भी सदन में नहीं रख पाए। बस मुस्कुराए और सदन छोड़कर चले गए। चार साल बाद भी नारंग दबाव और विरोध का सामने करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।

ट्रेन न छूट जाए

आम आदमी पार्टी के विधायक पूरी तैयारी करके सदन में पहुंचते हैैं। कई बार उनकी ओर से उठाए गए मुद्दे पर सत्ता पक्ष भी बगले झांकने लग जाता है, लेकिन आम आदमी पार्टी की समस्या जो 2017 में थी वह 2021 में भी है। आप के विधायक माइक आन होने के साथ ही दौड़ लगाना शुरू कर देते हैं। जैसे ट्रेन छूटने वाली हो और वह जल्द से जल्द उसे पकड़ लें। वह कुछ ही मिनटों में इतना कुछ बोलने की कोशिश में जुट जाते हैैं कि कई बार बात समझ में आए उससे पहले ही उनकी बात पूरी हो जाती है। 2017 में तो यह बात समझ में आ जाती थी क्योंकि तब आप के सभी विधायक पहली बार चुनकर विधानसभा में पहुंचे थे, परंतु 2021 तक भी आप विधायकों ने अपने रवैये में कोई बदलाव नहीं किया है। बात पते की यह है कि आदत है जाते-जाते ही जाएगी। (इनपुुुट: कैलाश नाथ)

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