मुद्दा: आतंकियों के निशाने पर शैक्षणिक संस्थाएं

- यूनिवर्सिटी से लेकर कॉलेजों के कैंपस भी नहीं सुरक्षित - पुलिस व शैक्षणिक संस्थाओं के स

By JagranEdited By: Publish:Tue, 16 Oct 2018 10:40 PM (IST) Updated:Tue, 16 Oct 2018 10:40 PM (IST)
मुद्दा: आतंकियों के निशाने पर शैक्षणिक संस्थाएं
मुद्दा: आतंकियों के निशाने पर शैक्षणिक संस्थाएं

- यूनिवर्सिटी से लेकर कॉलेजों के कैंपस भी नहीं सुरक्षित

- पुलिस व शैक्षणिक संस्थाओं के संचालकों के लिए बड़ी चुनौती

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इतने आतंकी कश्मीर में मारे जा चुके सुरक्षा बलों के हाथों

2012 में 72

2013 में 67

2014 में 110

2015 में 108

2016 में 150

2017 में 92

2018 में 163 अभी तक

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फैक्ट फाइल

- 27 हजार लोग आधिकारिक रूप से पंजाब में आतंक के काले दौर में मारे गए

- 40 हजार है काले दौर में संस्थाओं के सर्वे में मारे गए लोगों की संख्या

- 40961 लोग जम्मू कश्मीर में पिछले 29 वर्षो में आतंकियों के हाथों मारे गए

- 5055 जवान जम्मू कश्मीर में पिछले 29 वर्षो में हुए शहीद

- 21955 आतंकी जम्मू कश्मीर में पिछले 29 वर्षो में उतारे गए मौत के घाट ..कामन इंट्रो..

पंजाब सहित देश भर के शैक्षणिक संस्थाएं आतंकियों के निशाने पर हैं। आतंकवादी कश्मीरी आतंकी संगठनों की मदद से वारदात देने की फिराक में हैं। जालंधर के सीटी इंस्टीट्यूट से तीन युवा आतंकियों सहित पटियाला स्थित एक इंस्टीट्यूट से एक आतंकी की गिरफ्तारी हो चुकी है। जालंधर के ही एक अन्य इंस्टीट्यूट से भी दो आतंकियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। कश्मीरी आतंकी गुट अंसार गजबा उल हिंद के कमांडर जाकिर राशिद बट्ट द्वारा पंजाब यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के मामलों को पंजाब व देश की सुरक्षा के मद्देनजर कभी भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। खुफिया एजेंसीज की मानें तो अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि आतंकियों के स्लीपर सेल के कितने सदस्यों को हाइड आउट या वारदात के लिए पंजाब की शिक्षण संस्थाओं में सेट किया जा चुका है। जाच जारी है। खुफिया एजेंसीज के लिए चिंताजनक बात कश्मीरी आतंकी नहीं हैं, बल्कि खालिस्तान की वकालत करने वालों के मंसूबे हैं। फिर न लौटे काला दौर

एक बार आतंक का काला दौर झेल चुका पंजाब अब हजारों लोगों की बलि कभी भी बर्दाश्त करने वाला नहीं है। आतंकियों की फैक्ट्री बन चुका कश्मीर अब युवा आतंकियों को देश भर में आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए पंजाब का इस्तेमाल आसानी के साथ कर सकता है। इसकी कमान भी मूसा के हाथों में है और मूसा पंजाब में पढ़ाई कर चुका है। ऐसे में वह पंजाब के बारे में व यहा के शैक्षणिक माहौल तथा प्रक्रिया के बारे में जानता है। इन हालात में इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि पंजाब की 26 यूनिवर्सिटीज व 81 से ज्यादा इंजीनियरिंग कॉलेज तथा इंस्टीट्यूट में कहीं भी कश्मीरी आतंकी शिक्षा की आड़ में पनाह ले सकते हैं। हाल ही में जालंधर से गिरफ्तार आतंकियों में एक मूसा का सगा भाई भी निकला है। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि पंजाब में पढ़ाई के लिए आने वाला हर कश्मीरी छात्र या छात्रा आतंकी हों, लेकिन हर स्तर पर सतर्कता की जरूरत है। कश्मीरी विद्यार्थियों को रहना होगा ज्यादा सतर्क

हाल ही में हुई घटना के बाद विभिन्न कैंपसों के आम विद्यार्थियों के साथ-साथ कश्मीरी विद्यार्थियों को ज्यादा सतर्कता की जरूरत है। कश्मीरी विद्यार्थियों को प्रॉपर वेरीफिकेशन के साथ उनके साथ रह रहे दूसरे कश्मीरियों पर नजर रखनी होगी। कहीं भी संदिग्ध गतिविधियों वाला कोई भी विद्यार्थी दिखाई दे तो उसकी सूचना बिना डरे कैंपस प्रशासन को देने की आदत विद्यार्थियों को डालनी पड़ेगी। कैंपसों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन भी पुलिस को सूचना देने से लेकर नेट से संबंधित फोन नंबरों पर सूचना देने को लेकर जागरूक होना पड़ेगा। प्रतिबंधित आतंकी संगठन

नेशनल इंटेलिजेंस एजेंसी ने पंजाब व देश भर में सक्रिय 35 से ज्यादा संगठनों को आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने को लेकर प्रतिबंधित कर रखा है। इसके बाद भी इन संगठनों के संचालक दूसरे संगठन खड़े करके अपने मंसूबे पूरे करने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में एनआइए की तरफ से पंजाब पुलिस को उपलब्ध करवाई गई प्रतिबंधित संगठनों की लिस्ट में अलकायदा, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, बब्बर खालसा, हरकत उल मुजाहिदीन, जमात उल दावा, बब्बर खालसा इंटरनेशनल, खालिस्तान कमाडो फोर्स, इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन, हरकल उल अंसार, हरकत उल जेहाद ए इस्लाम, हिजबुल मुजाहिदीन, अल उमर मुजाहिदीन, जेएंडके इस्लामिक फ्रंट, सिमी, दीनदार अंजुमन, अल बदर, जमात उल मुजाहिदीन व इंडियन मुजाहिदीन के नाम मुख्य हैं। इससे पहले भिंडरावाला टाइगर फोर्स व खालिस्तान लिबरेशन फोर्स भी पंजाब में आतंकवाद के दौर में पूरी तरह से सक्रिय थे, लेकिन समय के साथ इन संगठनों ने अपनी सक्रियता कम दी है। अब इनकी सक्रियता न के बराबर है। क्यों हैं शैक्षणिक संस्थानों पर आतंकी संगठनों की नजरें

कहीं भी आतंकवाद फैलाने के लिए युवाओं का ही सहारा लिया जाता है। आतंकी संगठन भी कट्टरपंथी सोच वाले युवाओं को अपने संगठनों में शामिल करते हैं। कश्मीर में अलगाववाद के नाम पर पाकिस्तान की शह पर आतंकी संगठनों ने हजारों युवाओं की बलि ले ली है। मूसा ने इसीलिए अब कश्मीर में आतंकी तैयार करके उनका इस्तेमाल पंजाब सहित अन्य राज्यों में दूसरे आतंकियों को तैयार करने की रणनीति पर काम शुरू किया है। स्लीपर सेल व हाइट आउट की रणनीति के लिए कश्मीर से सटे पंजाब को सबसे ज्यादा सुरक्षित मानकर मूसा ने यहा के शैक्षणिक संस्थाओं में अपने आतंकियों को छिपाना शुरू कर दिया है। पुलिस व खुफिया एजेंसीज के लिए यह बड़ी चिंता का विषय है। निशाना कोई भी यूनिवर्सिटी, इंस्टीट्यूट तथा कॉलेज हो सकता है। दाखिला लेना आसान

पंजाब या देश के किसी भी शिक्षण संस्थान में दाखिला लेना अब आसान हो गया है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निजी संस्थाओं के शामिल होने के बाद दाखिला प्रक्रिया में फीस दो और दाखिला लो का खेल चल रहा है। कुछ चुनिंदा कोर्सो को छोड़ दिया जाए तो बाकी कोर्सो में हर साल सैकड़ों सीटें खाली ही रह जाती हैं। यही वजह है कि दाखिला लेने के लिए आने वाले कश्मीरी छात्रों का पूरा वेरीफिकेशन किए बिना ही दाखिला दिया जा रहा है। अगर वेरीफिकेशन करवा भी लिया जाए तो भी स्लीपर सेल के ज्यादातर आतंकियों के नाम कश्मीर पुलिस की डायरी से गायब हैं। उनके नाम पर अभी तक कश्मीर में कोई वारदात दर्ज नहीं है। सीटी इंस्टीट्यूट से गिरफ्तार तीन आतंकियों के मामले में भी यही हुआ। एक सप्ताह की पड़ताल के बाद पुलिस को पता चल पाया कि एक आतंकी मूसा का भाई है। पंजाब की शिक्षण संस्थाओं को आतंकवाद की नर्सरी बनाना चाहता है मूसा

जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों की कार्रवाई के चलते लगातार आतंकियों को मार गिराया जा रहा है। बीते कुछ सालों के आकड़े बताते हैं कि अब नए बन रहे आतंकियों को मूसा कश्मीर से बाहर निकाल रहा है। 2012 से 2018 तक 762 आतंकी कश्मीर में सुरक्षा बलों के हाथों मारे जा चुके हैं। यही वजह है कि मूसा अपने आतंकियों को कश्मीर से बाहर शिफ्ट करके पंजाब की शिक्षण संस्थाओं को आतंकवाद की नर्सरी के रूप में इस्तेमाल करने की कवायद में है। नहीं संभले तो दूसरे राज्यों के विद्यार्थियों से हाथ धो बैठेंगे शिक्षण संस्थान

शिक्षण संस्थाओं ने आंतरिक सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया तो पंजाब में मौजूदा समय में देश के विभिन्न राज्यों सहित दर्जनों देशों से हर साल आने वाले हजारों विद्यार्थियों से हाथ धो बैठेंगे। दूसरे राज्यों व विदेशों से अभिभावक अपने बच्चों को पंजाब के शांतिपूर्ण माहौल में क्वालिटी एजुकेशन के लिए भेजते हैं। रेलवे व सड़क परिवहन के साथ-साथ हवाई परिवहन के रूप में सभी स्थानों से जुड़े पंजाब में बीते कुछ सालों में शिक्षा के लिए आने वाले विद्यार्थियों की संख्या में कई गुना बढ़ोत्तरी हुई है। आतंकी गतिविधियों के और मामले सामने आने के बाद इनकी संख्या में भी गिरावट आएगी। इसका सीधा असर शिक्षण संस्थाओं व पंजाब के आर्थिक हालात पर भी पड़ेगा। पंजाब में दोबारा आतंकवाद पनपने नहीं दिया जाएगा: कैप्टन

मुख्यमंत्री व गृह विभाग के मुखिया कैप्टन अमरिंदर सिंह स्पष्ट रूप से कहते हैं कि पंजाब में दोबारा किसी भी कीमत पर आतंकवाद पनपने नहीं दिया जाएगा। सरहदी राज्य होने के चलते सीमा पार से आतंकी गतिविधियों की हमेशा कोशिशें की जाती रही हैं। यही वजह है कि राज्य सरकार केंद्र से इस संबंध में पंजाब को विशेष राज्य की श्रेणी में शामिल करने की माग भी रख चुका है। पंजाब पुलिस पूरी तरह से सक्षम है। रहा सवाल कश्मीरियों का तो हर कश्मीरी आतंकवादी नहीं हो सकता है। हाल ही में गिरफ्तार किए गए कश्मीरी आतंकियों के मामले में केंद्रीय जाच एजेंसीज व पंजाब पुलिस मिलकर जाच कर रही हैं। पंजाब में आतंकी मंसूबों को लेकर आने वालों के खिलाफ कोई रहम नहीं होगा। वेरीफिकेशन के प्रोसेस को और बेहतर बनाया जा रहा है : डीजीपी

डीजीपी सुरेश अरोड़ा कहते हैं कि हाल की घटना के बाद शिक्षण संस्थानों में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों के वेरीफिकेशन के प्रोसेस को और बेहतर बनाया जा रहा है। शिक्षण संस्थाओं के लिए यह घटना एक सबक है। संस्थानों के अंदर की सुरक्षा व्यवस्था बनाने की उनकी जिम्मेवारी है। पुलिस ने अब ऑनलाइन वेरीफिकेशन की सुविधा भी दे रखी है। इसके अलावा पंजाब में दूसरे राज्यों खास तौर पर आतंकवाद प्रभावित राज्यों से आकर यहां रहने वालों का नए सिरे से वेरीफिकेशन करवाया जा रहा है।

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