शहीद स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ का तिरंगे से लिपटा पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो बिलख पड़े परिजन

बड़गांव में एयरफोर्स के एमआइ-17 हेलीकॉप्टर क्रैश में शहीद हुए चंडीगढ़ के स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ वशिष्ट का पार्थिव शरीर वीरवार देर सायं उनके सेक्टर 44 स्थित आवास पर लाया गया।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Thu, 28 Feb 2019 09:04 PM (IST) Updated:Fri, 01 Mar 2019 07:31 AM (IST)
शहीद स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ का तिरंगे से लिपटा पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो बिलख पड़े परिजन
शहीद स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ का तिरंगे से लिपटा पार्थिव शरीर घर पहुंचा तो बिलख पड़े परिजन

जेएनएन, चंडीगढ़। जम्मू-कश्मीर के बड़गांव में एयरफोर्स के एमआइ-17 हेलीकॉप्टर क्रैश में शहीद हुए चंडीगढ़ के स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ वशिष्ट का पार्थिव शरीर वीरवार देर सायं उनके सेक्टर 44 स्थित आवास पर लाया गया। सेना के जवानों के कंधे पर तिरंगे से लिपटे ताबूत में घर पहुंचे बेटे को देखकर परिजन बिलख पड़े। वहां मौजूद लोग भी अपने आंसू नहीं रोक पाए। शहीद के अंतिम दर्शनों के लिए लोगों की भारी भीड़ जुट गई। लोगों ने भारत माता की जय, वंदेमातरम जैसे नारों के साथ शहीद को श्रद्धांजलि दी। शहीद सिद्धार्थ को शुक्रवार को अंतिम विदाई दी जाएगी।

परिवार को सांत्वना देने पंजाब के राज्यपाल व चंडीगढ़ के प्रशासक बीपी सिंह बदनौर भी पहुंचे। शहीद सिद्धार्थ के पिता जगदीश वशिष्ट को गत दिवस जब बेटे की शहादत का पता चला तो उन्होंने कहा कि उन्हें दुख है, लेकिन इस बात का गर्व है कि उनका लाल देश के काम आया। उन्होंने बताया कि अभी दो दिन पहले उनकी सिद्धार्थ से बात हुई थी। पुलवामा हमले के बाद श्रीनगर में बिगड़े हालात पर सिद्धार्थ ने बड़ी बेबाकी से कहा था कि यहां सब कुछ ऐसे ही चलता है। बिगड़ता है और फिर ठीक हो जाता है। मैं ठीक हूं आप चिंता न करें और बुधवार सुबह उनकी शहादत की खबर आ गई। सिद्धार्थ की शहादत की खबर के बाद मां और दादी बेसुध हो गई। सिद्धार्थ का परिवार मूल रूप से अंबाला के हमीदपुर गांव का रहने वाला है।

2010 में बने थे लेफ्टिनेंट

जगदीश वशिष्ट ने बताया कि सिद्धार्थ पढ़ाई में तेज थे। बचपन से ही उन्हें सेना में जाने का शौक था। परिवार की चौथी पीढ़ी ने भी फौज में जाकर देश की सेवा करने का फैसला लिया है। इस फैसले से सारे खुश थे। 2010 में कमीशन पास कर वह लेफ्टिनेंट बने थे। इसके बाद अब वह एयरफोर्स में बतौर स्क्वाड्रन लीडर सेवाएं दे रहे थे। देश में बने मौजूदा हालात के बारे में उन्होंने इतना ही कहा कि जो भी हो रहा है वह बहुत पहले होने चाहिए था।

2013 में हुई थी शादी

सेक्टर-44 स्थित हाउसिंग सोसायटी की प्रेसीडेंट कामिनी शर्मा ने बताया की सिद्धार्थ का परिवार पिछले 20 साल से चंडीगढ़ में रह रहा है। 2013 में सिद्धार्थ ने एयरफोर्स में ही तैनात स्क्वाड्रन लीडर अनीता से शादी की थी। उनका दो साल का बेटा अंगद है, जिसका हाल ही में पूरे परिवार ने धूमधाम से जन्मदिन मनाया था। दोनों श्रीनगर में तैनात थे। सिद्धार्थ के माता-पिता भी श्रीनगर में थे और वे 15 दिन पहले ही चंडीगढ़ आए थे। शहादत के बाद गत देर रात ही पत्नी श्रीनगर से चंडीगढ़ पहुंच गई थीं।

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