अकबर का साथ देने वाले राजपूतों के परिवार में होने लगा विवाह तो बड़े बुजुर्गों ने किया था विरोध

पंजाब के गवर्नर और चंडीगढ़ के प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने अपने विवाह का किस्सा सुनाया। कहा कि महाराणा प्रताप राजस्थान के राजपूतों की शान हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sat, 14 Dec 2019 10:41 AM (IST) Updated:Sun, 15 Dec 2019 09:21 AM (IST)
अकबर का साथ देने वाले राजपूतों के परिवार में होने लगा विवाह तो बड़े बुजुर्गों ने किया था विरोध
अकबर का साथ देने वाले राजपूतों के परिवार में होने लगा विवाह तो बड़े बुजुर्गों ने किया था विरोध

चंडीगढ़ [विकास शर्मा]। Military literature festival (मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल) के पहले दिन Who was the victor of the battle of Haldighati (हल्दीघाटी के युद्ध का विजेता कौन था) के पैनल में मौजूद पंजाब के गवर्नर और चंडीगढ़ के प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने महाराणा प्रताप की चर्चा करते हुए अपने विवाह की घटना साझा की।

उन्होंनेे बताया कि जब उनकी शादी आमेर राजघराने से संबंध रखने वाली अलका सिंह से होने लगी तो उनके बड़े बुजुर्ग इस बात पर अड़ गए कि इनके पूर्वजों ने महाराणा प्रताप के खिलाफ युद्ध में अकबर का साथ दिया था, इसलिए यह शादी नहीं होनी चाहिए। हालांकि उनके पिता ने बड़े बुजुर्गों को राजी कर लिया। बदनौर ने कहा कि यह बात वह इसलिए बता रहे हैं कि आज भी राजपूत अपनी शान को महाराणा प्रताप से जोड़कर देखते हैं।

बदनौर रियासत के राजघराने से संबंध रखने वाली वीपी सिंह ने कहा कि महाराणा प्रताप जैसे योद्धा कभी हारा नहीं करते। वे अजेय होते हैं। महाराणा प्रताप एक सोच थे, जिसे अकबर मारने की कोशिश कर रहा था। उन्होंने कहा कि हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर को सिर्फ महाराणा प्रताप का हाथी राम प्रसाद मिला था। जिसे वह बंदी बनाकर ले गया, लेकिन रामप्रसाद ने खाना पीना छोड़ दिया और 18 दिन बाद शरीर त्याग दिया। महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक तक को लोग पूजते हैं। राजस्थान के इतिहास में कई लोकगीत हैं, जिसमें बताया गया है कि कैसे राणा ने अकबर का घमंड तोड़ा था। उन्होंने कहा कि अकबर उन्हें कभी नहीं हरा पाया।

महाराणा प्रताप की शैली में लड़ते थे गुरु गोबिंद सिंह

बदनौर ने कहा कि महाराणा प्रताप ने जिस गोरिल्ला युद्ध शैली से अकबर को कभी खुद पर हावी नहीं होने दिया। उसी युद्ध शैली से सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह ने औरंगजेब के खिलाफ युद्ध लड़ा। इस युद्ध कौशल का इतिहासकार आज भी अध्ययन करते हैं। मेवाड़ के पास सीमित साधन थे, जबकि अकबर का शासन बड़े भूभाग पर था। महाराणा प्रताप के पास न तो उतना सैन्य बल था और न ही युद्ध लड़ने के लिए अकबर जैसे संसाधन, बावजूद इसके महाराणा प्रताप के शौर्य से अकबर भी भय खाता था।

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