कॉमेडी थिएटर फेस्टिवल में सियासी किरदारों के डॉयलाग्स पर दर्शक हुए लोटपोट
बीजेपी कांग्रेस और हर राजनीति से जुड़ी पार्टी को इस नाटक में निशाना बनाया गया। हर डायलॉग हंसाता है हर डायलॉग देश की हालिया स्थिती को बयान भी करता है।
शंकर सिंह, चंडीगढ़। ना, मैं हाथ का इस्तेमाल कभी नहीं करता.. हां जीवन में एक बार हाथी का इस्तेमाल जरूर किया था। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी, जैसे ही ये संवाद बोलते हैं, तो दर्शकदिर्घा में बैठे दर्शक हंस-हंसकर लिखने वाले की तारीफ करते हैं। बीजेपी, कांग्रेस और हर राजनीति से जुड़ी पार्टी को इस नाटक में निशाना बनाया गया। हर डायलॉग हंसाता है, हर डायलॉग देश की हालिया स्थिती को बयान भी करता है। नाटक अकबर द ग्रेट नहीं रहे में टाइटल तो अकबर का रहा, मगर इसकी जान अटल ही रहे।
सोमवार से टैगोर थिएटर-18 में शुरू हुए कॉमेडी थिएटर फेस्टिवल हास्यम के पहले दिन इस नाटक का मंचन हुआ। जिसका निर्देशन किया डॉ. एम सय्यद आलम ने। इसमें दिल्ली के पियरेट्स ट्रुप के कलाकारों ने अभिनय किया। नाटक में शुरू से अंत तक हालिया बातें शामिल रहीं। जैसे कि अलाउद्दीन खिलजी का फिल्म पद्मवत में अपने किरदार को लेकर नाराज होना, एलेक्सेंडर, अकबर और अशोक का स्वर्ग में बिरयानी का न मिलना हंसाता भी है और समकालीन समय से जोड़ता भी है। हालांकि इस बीच अभिनय बहुत सामान्य रहा, ये समझ से बाहर था कि इतने बड़े ट्रुप के कलाकार इतना सामान्य अभिनय कर रहे हैं। मगर इस बीच एंट्री होती है स्वर्गीय वाजपेयी के किरदार की, जो अपने बोलने के अंदाज से जितना हंसाते हैं, उतना ही अपने अभिनय से।
मुरली मनोहर जोशी ने स्वर्ग में दिख रहे हैं न धरती में.. नाटक में संवाद बेहद खास रहा। जैसे कि हाल ही में पीएम मोदी द्वारा बादलों के बीच रडार में जहाज का न दिखने को लिया गया। साथ ही अटल अपने मित्र आडवाणी की तलाश में रहते हैं। उन्हें सूचना दी जाती है कि वो भी उन्हें इन दिनों राजनीति में बहुत मिस कर रहे हैं। इसके बाद अटल स्वर्ग में अपने मित्रों की तलाश करते हैं, तो पूछते हैं कि यहां पंडित दीन दयाल उपाध्याय कहां पर हैं, मुरली मनोहर जोशी कहां पर है। ऐसे में उनके सेक्रेटरी जवाब देते हैं कि वो धरती पर ही हैं सर। तो अटल जी पूछते हैं कि न वो स्वर्ग में दिखाई दे रहे हैं न धरती पर।
नेहरु को स्वर्ग में नहीं बुलाया नहीं तो पूरा कुनबा साथ ले आते.. नाटक में हर पार्टी में मजेदार कटाक्ष सुनने को मिले। जैसे कि अकबर पूछते हैं कि यहां पर कई नेता भी आने वाले थे क्या हुआ। तो अशोक कहते हैं कि हां, नेहरु जी को लाना था, मगर वो पूरा कुनबा ले आते तो ऐसे में उन्हें वहीं रोक दिया गया। इसके अलावा पूर्व पीएम अटल भी चुटकी लेते हैं कि यहां केवल महात्मा गांधी ही ठीक लगते हैं, मगर इसके आगे गांधी नाम से जुड़ा कोई भी शख्स यहां नहीं होना चाहिए, धरती नहीं तो स्वर्ग को ही कांग्रेस मुक्त बना देते हैं। कमजोर अभिनय महगर मजेदार लेखन.. नाटक में बहुत ही कमजोर अभिनय देखने को मिला। नाटक की पुरानी शैली, जिसमें चीख-चीखकर डायलॉग बोले जाते हैं, वो यहां देखने को मिली। इस नाटक को एक तरह से नुक्कड़ नाटक की फॉर्म में खेला गया, जो इतने बड़े मंच पर नहीं जचता। इसके अलावा नाटक में न कोई सेट है न ही संगीत। ऐसे में नाटक थोड़ा स्पाट लगता है। मगर नाटक का लेखन ही इसे लोगों को देखने लायक बनाने में कामयाब रहा।
सोमवार से टैगोर थिएटर-18 में शुरू हुए कॉमेडी थिएटर फेस्टिवल हास्यम के पहले दिन इस नाटक का मंचन हुआ। जिसका निर्देशन किया डॉ. एम सय्यद आलम ने। इसमें दिल्ली के पियरेट्स ट्रुप के कलाकारों ने अभिनय किया। नाटक में शुरू से अंत तक हालिया बातें शामिल रहीं। जैसे कि अलाउद्दीन खिलजी का फिल्म पद्मवत में अपने किरदार को लेकर नाराज होना, एलेक्सेंडर, अकबर और अशोक का स्वर्ग में बिरयानी का न मिलना हंसाता भी है और समकालीन समय से जोड़ता भी है। हालांकि इस बीच अभिनय बहुत सामान्य रहा, ये समझ से बाहर था कि इतने बड़े ट्रुप के कलाकार इतना सामान्य अभिनय कर रहे हैं। मगर इस बीच एंट्री होती है स्वर्गीय वाजपेयी के किरदार की, जो अपने बोलने के अंदाज से जितना हंसाते हैं, उतना ही अपने अभिनय से।
मुरली मनोहर जोशी ने स्वर्ग में दिख रहे हैं न धरती में.. नाटक में संवाद बेहद खास रहा। जैसे कि हाल ही में पीएम मोदी द्वारा बादलों के बीच रडार में जहाज का न दिखने को लिया गया। साथ ही अटल अपने मित्र आडवाणी की तलाश में रहते हैं। उन्हें सूचना दी जाती है कि वो भी उन्हें इन दिनों राजनीति में बहुत मिस कर रहे हैं। इसके बाद अटल स्वर्ग में अपने मित्रों की तलाश करते हैं, तो पूछते हैं कि यहां पंडित दीन दयाल उपाध्याय कहां पर हैं, मुरली मनोहर जोशी कहां पर है। ऐसे में उनके सेक्रेटरी जवाब देते हैं कि वो धरती पर ही हैं सर। तो अटल जी पूछते हैं कि न वो स्वर्ग में दिखाई दे रहे हैं न धरती पर।
नेहरु को स्वर्ग में नहीं बुलाया नहीं तो पूरा कुनबा साथ ले आते.. नाटक में हर पार्टी में मजेदार कटाक्ष सुनने को मिले। जैसे कि अकबर पूछते हैं कि यहां पर कई नेता भी आने वाले थे क्या हुआ। तो अशोक कहते हैं कि हां, नेहरु जी को लाना था, मगर वो पूरा कुनबा ले आते तो ऐसे में उन्हें वहीं रोक दिया गया। इसके अलावा पूर्व पीएम अटल भी चुटकी लेते हैं कि यहां केवल महात्मा गांधी ही ठीक लगते हैं, मगर इसके आगे गांधी नाम से जुड़ा कोई भी शख्स यहां नहीं होना चाहिए, धरती नहीं तो स्वर्ग को ही कांग्रेस मुक्त बना देते हैं। कमजोर अभिनय महगर मजेदार लेखन.. नाटक में बहुत ही कमजोर अभिनय देखने को मिला। नाटक की पुरानी शैली, जिसमें चीख-चीखकर डायलॉग बोले जाते हैं, वो यहां देखने को मिली। इस नाटक को एक तरह से नुक्कड़ नाटक की फॉर्म में खेला गया, जो इतने बड़े मंच पर नहीं जचता। इसके अलावा नाटक में न कोई सेट है न ही संगीत। ऐसे में नाटक थोड़ा स्पाट लगता है। मगर नाटक का लेखन ही इसे लोगों को देखने लायक बनाने में कामयाब रहा।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप