ऐसे लाखों से करोड़ों में पहुंच गए Flats के दाम, High Court ने लगाई Public notice पर रोक

हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के कर्मचारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए चंडीगढ़ प्रशासन के उस नोटिस पर रोक लगा दी है जिसके तहत फ्लैट के रेट बढ़ाए गए थे।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sat, 17 Aug 2019 01:30 PM (IST) Updated:Sat, 17 Aug 2019 06:22 PM (IST)
ऐसे लाखों से करोड़ों में पहुंच गए Flats के दाम, High Court ने लगाई Public notice पर रोक
ऐसे लाखों से करोड़ों में पहुंच गए Flats के दाम, High Court ने लगाई Public notice पर रोक

जेएनएन, चंड़ीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के कर्मचारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए चंडीगढ़ प्रशासन के उस नोटिस पर रोक लगा दी है जिसके तहत फ्लैट के रेट बढ़ाए गए थे। सुनवाई के दौरान प्रतिवादी पक्ष ने जवाब देने के लिए समय मांगा, जिसे हाई कोर्ट ने मंजूर कर लिया।

हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार सहित अन्य कर्मियों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए बताया कि यूटी प्रशासन और हाऊसिंग बोर्ड ने कर्मियों के लिए फ्लैट्स उपलब्ध करवाने के लिए एक स्कीम निकाली थी। इस स्कीम के तहत 3930 फ्लैट्स दिए जाने थे। उस समय ए श्रेणी के लिए 24 से 34 लाख, बी के लिए 14 से 24, सी के लिए 11 से 13 और डी के लिए 5.75 लाख का दाम बताया गया था।

वर्ष 2008 की इस स्कीम को आगे बढ़ाते हुए फ्लैट्स के लिए एक निर्धारित राशि जमा करवा ली गई और यूटी व हाऊसिंग बोर्ड इस पैसे पर ब्याज खाते रहे। बाद में योजना रद करने का निर्णय ले लिया गया। इस पर कुछ कर्मियों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। कई साल सुनवाई के दौर के बाद अब जब इस स्कीम को सिरे चढ़ाने की योजना बनाई गई तो प्रशासन ने दाम इतने अधिक कर दिए कि यह कर्मचारियों की पहुंच से बाहर हो गए हैं।

याची ने बताया कि थ्री बीएचके के लिए पौने दो करोड़, टूू बीएचके के लिए सवा करोड़ से अधिक और वन बीएचके के लिए एक करोड़ का दाम तय किया गया है। अब एक पब्लिक नोटिस जारी करते हुए बताया गया कि इस राशि का पांच किश्तों में भुगतान करना होगा और पहली किश्त के लिए 30 अगस्त की अंतिम तिथि तय की गई है।

याची ने कहा कि ऐसा करना पूरी तरह से गलत है। पुराने दाम के अनुसार ही फ्लैट्स दिए जाने चाहिए। हाई कोर्ट ने याची पक्ष को सुनने के बाद केंद्र सरकार, यूटी प्रशासन और चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों न इस पब्लिक नोटिस पर रोक लगा दी जाए। इसके बाद नोटिस पर रोक लगा दी गई।

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