असली और नकली शराब में दिखेगा फर्क, अब इस टेक्नोलॉजी से होगी पहचान

नकली और असली शराब में फर्क करना अब बेहद आसान हो जाएगा। यूटी एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट क्यूआर कोड प्रणाली अपनाने की तैयारी में हैं।

By Sat PaulEdited By: Publish:Mon, 19 Nov 2018 01:02 PM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 05:15 PM (IST)
असली और नकली शराब में दिखेगा फर्क, अब इस टेक्नोलॉजी से होगी पहचान
असली और नकली शराब में दिखेगा फर्क, अब इस टेक्नोलॉजी से होगी पहचान

चंडीगढ़ [बलवान करिवाल]। नकली और असली शराब में फर्क करना अब बेहद आसान हो जाएगा। यूटी एक्साइज एंड टैक्सेशन डिपार्टमेंट इसके लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लेते हुए क्यूआर कोड प्रणाली अपनाने की तैयारी में हैं। हर बोतल पर अलग क्यूआर कोड होगा। इस क्यूआर कोड को स्कैन करने के बाद ही बोतल की सेल हो सकेगी। साथ ही कस्टमर भी क्यूआर कोड स्कैन कर इसकी मेन्यूफेक्चरिंग से लेकर रेट तक का सही पता लगा सकेगा।

फाइनेंस सेक्रेटरी ने ऐसे आदेश डिपार्टमेंट को जारी कर दिए हैं। दरअसल हरियाणा भी अब क्यूआर और बार कोर्ड प्रणाली को अपना रहा है। इसमें प्रत्येक बोतल के ढक्कन में क्यूआर कोड होगा। इसे स्कैन करने के लिए प्रशासन एक ऐप भी लांच करेगा। इस एप को डाउनलोड करने बाद स्कैन होते ही कोड बता देगा कि शराब किस डिस्टलरी में और कब बनी है। इसके लिए इंटरनेट आवश्यक होगा। खास बात यह है कि इस क्यूआर कोड को एक बोतल से हटाकर दूसरे पर नहीं लगाया जा सकेगा। होलोग्राम इसी वजह से फेल हो गया।

अभी होलोग्राम का सहारा

अभी तक शराब की तस्करी रोकने के लिए यूटी प्रशासन होलोग्राम का इस्तेमाल करता है। लेकिन होलोग्राम को उतारकर दूसरी बोतल पर भी चस्पा किया जा सकता है। साथ ही इसके डुप्लीकेट का इस्तेमाल भी होता है। यह प्रणाली इतनी किफायती नहीं है। साथ ही इस पर खर्च भी काफी अधिक आता है। होलोग्राम के लिए टेंडर कर कंपनी को काम सौंपना पड़ता है। जो होलोग्राम उपलब्ध कराती है। इस पर काफी खर्च आता है।

रुकेगी शराब की तस्करी और भी कई फायदे

उत्तरप्रदेश सहित कई अन्य राज्यों में क्यूआर कोड का पहले से ही इस्तेमाल हो रहा है। इससे वहां के एक्साइज डिपार्टमेंट के पास डाटा भी पूरा रहता है और ग्राहकों की भी कीमत को लेकर दुकानदारों से लडऩा नहीं पड़ता। क्यूआर कोड को स्कैन करने के बाद ही शराब की बोतल की बिक्री होगी। इससे शराब की तस्करी रुकेगी, तो वहीं अवैध शराब की बिक्री पर भी रोक लगेगी। विभाग को यह जानने में आसानी होगी कि शराब की बोतल का मेन्यूफेक्चरर कौन है? किस तिथि में होलसेलर से लेकर कस्टमर शराब की बोतल पहुंची? किन दरों से पहुंची? यह सब कोड को स्कैन करने से पता चल जाएगा।

दूसरे राज्यों में होती है तस्करी

चंडीगढ़ की शराब पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में तस्करी के जरिये पहुंचती रही है। इसका मुख्य कारण इन प्रदेशों से शराब का सस्ता होना भी है। हरियाणा के कई शहरों में चंडीगढ़ की शराब पकड़ी जा चुकी है। कई बार तो ट्रक पकड़े गए हैं।

शहर में 90 शराब के ठेके

शहर में 90 शराब के ठेके हैं। जिन पर रोजाना हजारों में शराब की बोतल बिकती हैं। इस साल यूटी प्रशासन ने इंडियन मेड फॉरेन लीकर (आइएमएफएल) का कोटा 90 लाख प्रूफ लीटर रखा है। इसी तरह से कंट्री लीकर का कोटा 10 लाख प्रूफ लीटर रखा गया है।

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