सपनों ने दी हिम्मत, चंडीगढ़ के सिक्योरिटी गार्ड का बेटा बना लेफ्टिनेंट, जानें संघर्ष की अनोखी कहानी

चंडीगढ़ के एक युवा ने अपने सपने को ताकत बना लिया और हर बाधा को पार कर मंजिल हासिल कर ली। चंडीगढ़ के सिक्‍योरिटी गार्ड का काम करने वाले व्‍यक्ति के पुत्र सोनूकांत भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बने हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sun, 13 Dec 2020 11:05 PM (IST) Updated:Mon, 14 Dec 2020 10:35 AM (IST)
सपनों ने दी हिम्मत, चंडीगढ़ के सिक्योरिटी गार्ड का बेटा बना लेफ्टिनेंट, जानें संघर्ष की अनोखी कहानी
चंडीगढ़ के सोनकांत उपाध्‍याय लेफ्टिनेंट बनने के बाद माता-पिता के साथ।

चंडीगढ़, [विकास शर्मा]। इस युवा ने अपने सपने को ही ताकत बना लिया और जीवन की कठिनाइयों के बीच मंजिल तक पहुंचने का रास्‍ता बना लिया। चंडीगढ़ में सिक्‍योरिटी गार्ड का काम करने वाले व्‍यक्ति के पुत्र ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन कर खुद के साथ-साथ माता-पिता के संघर्ष को सार्थक कर दिया। गरीबी और मुश्किल हालातों से संघर्ष की एक युवा की यह गाथा अद्भूत और प्रेरक है।

दड़वा में किराये के मकान में रहने वाले सिक्योरिटी गार्ड शोभाकांत उपाध्याय के बेटे सोनूकांत उपाध्‍याय लेफ्टिनेंट बने हैं। देहरादून में सैन्‍य अकादमी के पासिंग परेड में उनको लेफ्टिनेंट बनाया गया तो इस अवसर पर उनके माता-पिता भी मौजूद थे। मूलरूप से बिहार के सीवान जिले के रहने वाले सोनूकांत की इस कामयाबी के पीछे संघर्ष की अनोखी कहानी है। सोनूकांत ने बताया कि दड़वा में 17 साल तक उनका परिवार एक कमरे में रहा। इस कमरे का किराया सौ रुपये था, इसलिए कमरे के आकार का अंदाजा लगाया जा सकता है।

देहरादून में पासिंग आउट परेड के बाद सोनूकांत उपाध्‍याय।

कामयाबी के पीछे है लंबा संघर्ष , हिंदी मीडियम से पढ़कर हासिल की सफलता  

गरीबी इस कदर थी कि वह शब्दों में बयां नहीं हो सकती। परिवार की आर्थिक सहायता के लिए बचपन से ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया। हिंदी मीडियम में दसवीं पास की और जीएमएसएसएस -32 में आगे की पढ़ाई के लिए दाखिला ले लिया। अंग्रेजी मीडियम को देखकर लगा कि  आगेगे की पढ़ाई मुश्किल है।

एनसीसी ज्वाइन करने के बाद मिली सैन्य अफसर बनने की प्ररेणा

सोनूकांत उपाध्याय ने बताया कि जीएमएसएसएस -32 में दाखिला लेने के बाद एनसीसी ज्वाइन की, तभी फैसला किया कि मुझे सेना में अफसर बनाना है। हमारे बड़े होने के साथ परिवार के खर्चे भी बड़े हो रहे थे। इसलिए घर के हालत सुधरे इसलिए साल 2014 में कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर सेना ज्वाइन कर ली। अब मेरे पास नौकरी थी, लेकिन मैंने सैन्य अधिकारी बनने के लिए संघर्ष जारी रखा।

वह कहते हैं, मैं जब भी छुट्टी आता तो दिन रात पढ़ाई करता। निरंतर संघर्ष और प्रयास से मैंने आर्मी कैडेट कॉलेज (एसीसी) की परीक्षा उत्तीर्ण की और मिलिट्री अकादमी पहुंचा। चार साल की ट्रेनिंग के बाद अब मैं सैन्य अकादमी से पासआऊट होकर लेफ्टिनेंट बना हूं।  

पिता बोले- बेटे ने सार्थक कर दिया जीवन  

पिता शोभाकांत उपाध्याय ने बताया कि सोनू बचपन से ही मेहनती और संघर्षशील रहे हैं। उन्होंने कठिन समय में भी अपनी हिम्मत नहीं हारी और अपने सपनों को साकार करने के लिए मेहनत करते रहे। आज उसके लेफ्टिनेंट बनकर मेरा जीवन भी सफल और साथर्क बना दिया है।

माता -पिता को रखूंगा हमेशा अपने साथ

सोनूकांत जम्मू में इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियरिंग (ईएमई) में बतौर सैन्य अफसर ज्वाइन करेंगे। वह कहते हैं, अब मेरा सपना पूरा हो गया है। अब मैं अपने माता -पिता को हमेशा फौज में अपने साथ रखूंगा। उन्हें सैन्य अफसर के माता -पिता होने का गर्व हर समय महसूस होना चाहिए। उनका पूरा जीवन तंगहाली में बीता है अब उन्हें अपने जीवन में बदलाव महसूस होना चाहिए।

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