पंजाब में कैप्‍टन सरकार व कांग्रेस में मतभेद, दिसंबर में नहीं होंगे पंचायत चुनाव

पंजाब में कांग्रेस संगठन और कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार के बीच मतभेद उभर आए हैं। यह मतभेद पंचायत चुनाव को लेकर उठा है। ऐसे में अब पंचायत चुनाव दिसंबर में नहीं होंगे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sat, 17 Nov 2018 10:10 AM (IST) Updated:Sat, 17 Nov 2018 10:10 AM (IST)
पंजाब में कैप्‍टन सरकार व कांग्रेस में मतभेद, दिसंबर में नहीं होंगे पंचायत चुनाव
पंजाब में कैप्‍टन सरकार व कांग्रेस में मतभेद, दिसंबर में नहीं होंगे पंचायत चुनाव

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब में कांग्रेस संगठन और कैप्‍टन अमरिंदर सिंह सरकार के बीच मतभेद उभर आए हैं। यह मतभेद पंचायत चुनाव को लेकर सामने अाए हैं। ऐसे में कैप्‍टन सरकार अब दिसंबर में पंचायत चुनाव नहीं करवाएगी। मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह पंचायत चुनाव अभी कराना चाहती थी, लेकिन प्रदेश कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ इस‍के पक्ष में नहीं थे। राहुल गांधी ने जाखड़ की बात को माना और पंचायत चुनाव फिलहाल नहीं कराने का फैसला किया गया।

पूरे मामले में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की कांग्रेस प्रधान राहुल गांधी के साथ हुई मीटिंग में पार्टी और सरकार के बीच मतभेद उभरकर सामने आए। मुख्यमंत्री ने कहा कि समय पूरा होने पर पंचायत चुनाव दिसंबर में करवाकर पंचायतों का गठन कर देना चाहिए। प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा कि चुनाव करवाने से पार्टी में गुटबाजी बढ़ सकती है जो आगामी संसदीय चुनाव के मद्देनजर पार्टी हित में नहीं है। राहुल ने जाखड़ की बात पर सहमति जता दी। अब सरकार जल्द ही इस बारे में आदेश जारी कर सकती है।

राहुल गांधी के साथ हुई बैठक में खुलकर मतभेद आ गए सामने

उल्लेखनीय है कि दिसंबर में पंचायतों की अवधि पूरी होनी है। दिसंबर बीतने तक नई पंचायतों का गठन होना चाहिए लेकिन चूंकि अगले साल संसदीय चुनाव होने हैं, इसलिए पार्टी कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहती। जाखड़ ने मीटिंग में यह बात रखी कि उनसे ज्यादातर विधायकों ने कहा है कि फिलहाल पंचायत चुनाव न करवाए जाएं क्योंकि इससे पार्टी काडर में धड़ेबंदी उभर सकती है जिसका संसदीय चुनाव में नुकसान होगा।

मुख्यमंत्री चाहते थे कि दिसंबर चुनाव करवा समय से पंचायतों का गठन हो जाए

सरकार का मानना था कि नई पंचायतों के न होने से मार्केट कमेटियों का भी गठन भी नहीं हो पा रहा है। उल्लेखनीय है कि कमेटियों में पंचायतों से भी चुने हुए नुमाइंदे सदस्य के रूप में लिए जाते हैं। चूंकि इस समय अकाली-भाजपा सरकार के समय में चुनी हुई पंचायतें काम कर रही हैं इसलिए सरकार गांवों में डेवलपमेंट के लिए पैसा भी खर्च नहीं कर रही है। वह अपने चुने हुए नुमाइंदों के जरिए डेवलपमेंट के काम करवाना चाहती है।

जाखड़ ने कहा, चुनाव से पार्टी में बढ़ेगी गुटबाजी जो संसदीय चुनाव के लिए ठीक नहीं

विभागीय सूत्रों का कहना है कि सरकार के पास 560 करोड़ रुपये बिना खर्च किए हुए पड़े हैं। नई पंचायतें न होने के कारण इसे खर्च नहीं किया जा पा रहा है। इसका दूसरा नुकसान भी हो रहा है। पार्टी के जिन नेताओं को विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए टिकट नहीं मिली थी, और उन्हें आश्वस्त किया गया था कि चुनाव के बाद उन्हें बोर्ड, कार्पोरेशन और मार्केट कमेटी के चेयरमैन के पद पर लगाया जाएगा, वे भी एडजस्ट नहीं हो पा रहे हैं।

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